इंदौर के बीमा अस्पताल के येलो से ग्रीन कैटेगरी में जाने का हो रहा है इंतजार.
COVID-19 के मरीजों की संख्या कम होने के बाद बीमा अस्पताल आने वाले सामान्य मरीजों का कहना है कि अब इसे ग्रीन कैटेगरी में वापस लाया जाना चाहिए, ताकि आम लोगों को अस्पताल की सुविधाएं मिल सके.
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो बीमा अस्पताल को 9 अप्रैल येलो कैटेगरी में लाने से पहले यहां की ओपीडी में रोजाना करीब 1200 मरीज आते थे. लेकिन पिछले लगभग 2 महीने से ऐसे मरीजों के आने पर रोक थी. अब जबकि अस्पताल में कोरोना वायरस के संक्रमित मरीजों की संख्या महज 10 रह गई है, तो बीमा अस्पताल को ग्रीन कैटेगरी में लाने की मांग उठने लगी है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस अस्पताल में कोरोना के 10 मरीजों की देखरेख के लिए 100 डॉक्टरों सहित कुल 600 से ज्यादा स्टाफ हैं. अस्पताल के रोज का खर्च करीब 2 करोड़ रुपए है. ऐसे में बीमा अस्पताल आने वाले सामान्य मरीजों का कहना है कि अब इसे ग्रीन कैटेगरी में वापस लाया जाना चाहिए, ताकि आम लोगों को अस्पताल की सुविधाएं मिल सके. इस अस्पताल में कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC) से जुड़े लोग अधिक आते हैं. मगर कोरोना हॉस्पिटल बनाए जाने से ऐसे मरीजों के आना बंद है. ऐसे में जबकि कोरोना के मरीज कम होने लगे हैं, तो लोग इस अस्पताल को जल्द से जल्द येलो से ग्रीन कैटेगरी में बदलने की मांग कर रहे हैं.
नंदानगर स्थित बीमा अस्पताल के कोरोना वार्ड के नोडल अधिकारी सुब्रा मुखर्जी ने बीते दिनों मीडिया के साथ बातचीत में कहा कि यहां पर अब कोरोना के 10 मरीज ही बचे हैं. इसलिए अस्पताल को ग्रीन कैटेगरी में लाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि इस बाबत अभी तक शासन से लिखित में आदेश नहीं मिला है. वहीं अस्पताल के सुप्रिंटेंडेंट सुचित्रा बोस ने कहा कि येलो कैटेगरी में आने के बाद अस्पताल का नियंत्रण प्रशासन के हाथ में चला गया है. इसके बाद यहां के डॉक्टर और अन्य स्टाफ प्रशासन के दिशा-निर्देश के मुताबिक कोरोना मरीजों के इलाज में सहयोग कर रहे हैं. बोस ने कहा कि 15 जून तक बीमा अस्पताल को ग्रीन कैटेगरी में वापस ले आया जाएगा.
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First published: June 5, 2020, 9:06 AM IST