Birthday Special:Maninder Singh remembers more than bowling for tie test and drugs | B’day Special: गेंदबाजी से ज्यादा टाई टेस्ट और ड्रग्स के लिए याद आते हैं ये भारतीय

Birthday Special:Maninder Singh remembers more than bowling for tie test and drugs | B’day Special: गेंदबाजी से ज्यादा टाई टेस्ट और ड्रग्स के लिए याद आते हैं ये भारतीय


नई दिल्ली: इंटरनेशनल लेवल पर क्रिकेट खेलना जितना आसान लगता है, उसके उलट मानसिक रूप से उतना ही दबाव बढ़ाने वाला काम है. कई बेहतरीन क्रिकेटरों का करियर जोरदार शुरुआत के बाद इसी दबाव में खत्म होते देखा गया है. भारत में भी विनोद कांबली, लक्ष्मण शिवरामाकृष्णन, नरेंद्र हिरवानी जैसे कई नाम आसानी से गिनाए जा सकते हैं. इसी कतार में एक नाम मनिंदर सिंह (Maninder Singh) का भी है. एक समय जिस गेंदबाज की तुलना महान खब्बू स्पिनर बिशन सिंह बेदी से की गई हो. उस गेंदबाज को आज गेंदबाजी से ज्यादा क्रिकेट इतिहास के 2 टाई टेस्ट मैच में से एक में खेलने और बाद में ड्रग्स विवाद में जेल की हवा खाने के लिए याद किया जाता है.

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सचिन से पहले सबसे कम उम्र में डेब्यू का रिकॉर्ड
1965 में पुणे में जन्मे मनिंदर सिंह ने अपना करियर महज 17 साल की उम्र में पाकिस्तान जैसी टीम के खिलाफ शुरू किया था. उन्होंने 1982-83 के पाकिस्तान दौरे पर कराची टेस्ट में करियर की शुरुआत की. ये सबसे कम उम्र में टेस्ट मैच खेलने का नया भारतीय रिकॉर्ड था, जो बाद में सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) के करियर की शुरुआत के साथ टूट गया था. 

कराची टेस्ट में भारत को एक पारी और 86 रन से हार मिली, जिसमें मनिंदर कोई विकेट नहीं ले पाए. लेकिन 23 ओवर में महज 67 रन देकर पाकिस्तान के दिग्गज बल्लेबाजों को संघर्ष के लिए मजबूर करने वाले मनिंदर ने सभी को प्रभावित किया. इसके बाद मनिंदर ने अपने करियर में 35 टेस्ट मैच खेले और कुल 88 विकेट लिए, जिसमें 107 रन देकर 10 विकेट उनका बेस्ट बॉलिंग प्रदर्शन रहा. उन्होंने छोटे से करियर में दो बार मैच में 10 विकेट लिए. वनडे में भी मनिंदर ने 59 मैच खेलकर 66 विकेट अपने नाम किए.

ऐतिहासिक टाई टेस्ट में आउट होने वाले आखिरी बल्लेबाज
मनिंदर सिंह क्रिकेट इतिहास के 2000 से ज्यादा मैचों में टाई रहने वाले महज 2 टेस्ट मैचों में से एक के निर्णायक पल का हिस्सा बने. साल 1986 में ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच मद्रास टेस्ट को टाई कराने वाला आखिरी विकेट मनिंदर सिंह का ही गिरा था. इस टेस्ट की चौथी पारी में 344 रन पर भारत के 9 विकेट गिर चुके थे. रवि शास्‍त्री ने तब तक धुआंधार 45 रन बनाए थे. भारत को जीत के लिए 4 रन की जरूरत थी. शास्‍त्री ने पहली गेंद पर कोई रन नहीं बनाया और दूसरी गेंद पर उन्होंने 2 रन लिए. 

तीसरी गेंद पर दो रन की कोशिश के बावजूद शास्‍त्री को एक रन ही मिला और स्ट्राइक पर मनिंदर आ गए थे. चौथी गेंद पर मनिंदर रन नहीं ले पाए और पांचवीं गेंद पर ग्रेग मैथ्यूज (Greig Mathews) ने उन्हें एलबीडब्‍ल्यू कर दिया. इसी के साथ भारत की पूरी टीम दूसरी पारी में 347 रन पर ही ऑल आउट हो गई और मुकाबला टाई हो गया. हालांकि इस निर्णय पर आज तक विवाद है. बहुत सारे विशेषज्ञ कहते हैं कि यह गेंद मनिंदर के बल्ले से लगकर पैर में लगी थी. दिलचस्प बात ये है कि एक बेहद जरूरी रन नहीं बना पाने वाले मनिंदर ने बाद में रणजी ट्रॉफी में दिल्ली के लिए ओपनिंग करते हुए शतक ठोक दिया था.

प्रदर्शन हुआ खराब, टीम से हो गए बाहर
इसके बाद मनिंदर के ज्यादा विकेट लेने की कोशिश में गेंदबाजी के साथ प्रयोगों का नतीजा ये हुआ कि उन्हें विकेट मिलने बंद हो गए. आखिरकार उन्हें 1990 में टीम से बाहर कर दिया गया. 4 साल बाद 1994 में जिंबाब्वे के खिलाफ दिल्ली टेस्ट में मनिंदर की वापसी हुई और उन्होंने दोनों पारी में 7 विकेट भी लिए, लेकिन चयनकर्ता उनकी गेंदबाजी से प्रभावित नहीं दिखाई दिए और उन्हें फिर टीम से ऐसा बाहर किया गया कि वे कभी नहीं लौट सके. महज 27 साल की उम्र में उनका करियर खत्म हो गया. मनिंदर ने ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान और वेस्टइंडीज जैसी तत्कालीन हैवीवेट टीमों के खिलाफ 26 टेस्ट में 55 के महंगे औसत से 45 विकेट लिए तो इंग्लैंड, श्रीलंका और जिंबाब्वे के खिलाफ महज 9 टेस्ट मैच में 19 के बेहतरीन औसत से 43 विकेट चटकाए थे.

टीम से निकलने के तनाव में लेने लगे थे ड्रग्स
दोबारा टीम से निकाले जाने का तनाव मनिंदर को ऐसा भारी पड़ा कि वे जमकर शराब पीने लगे और ड्रग्स लेने लगे. धीरे-धीरे वे मानसिक अवसाद में चले गए. इस दौरान उन्होंने खुदकुशी की भी कोशिश की. हालांकि उन्होंने बाद में इसे महज एक हादसा बताया. वे इस कदर ड्रग्स ले रहे थे कि उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार करके जेल भी भेज दिया. हालांकि बाद में उन्होंने इस लत से छुटकारा पा लिया.





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