Opinion: आखिर क्यों जरूरी था सरकार गिराने के राज का खुलासा ? | Opinion: Why was it necessary to reveal the secret of toppling the kamalnath government | bhopal – News in Hindi

Opinion: आखिर क्यों जरूरी था सरकार गिराने के राज का खुलासा ? | Opinion: Why was it necessary to reveal the secret of toppling the kamalnath government | bhopal – News in Hindi


पूर्व सीएम कमलनाथ और सीएम शिवराज सिंह चौहान

मुख्यमंत्री शिवराज चौहान का सांवेर में कार्यकर्ताओं के साथ मीटिंग का जो ऑडियो/वीडियो वायरल हुआ उसमें वे कह रहे हैं कि केन्द्रीय नेतृत्व ने तय किया कि सरकार गिरनी चाहिए.

भोपाल. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (shivraj singh chauhan)द्वारा राज्य की कमलनाथ (kamalnath)सरकार गिराने का ठीकरा केन्द्रीय नेतृत्व के सिर पर फोड़ने का आखिर मकसद क्या था ? वे इस बात को क्यों सार्वजनिक करना चाहते थे कि सरकार गिराने का फैसला दिल्ली में लिया गया ? जबकि इस सर्वविदित सच से पार्टी का हर नेता बचने की कोशिश कर रहा है. इस मामले में उठे विवाद के बाद भारतीय जनता पार्टी के भीतर भी यह सवाल काफी अहम हो गया है. शिवराज सिंह चौहान के बयान के बाद कांग्रेसी इस मामले को लेकर आक्रमक हैं और सड़क पर भी उतर आए हैं.

कानूनी राय भी ले रहे हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बीच ट्विटर वार चलने लगा. चौहान के बयान से पहले भारतीय जनता पार्टी के सभी नेता कमलनाथ सरकार के पतन की वजह कांग्रेस के अंदरूनी झगड़े को बता रहे थे. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अभी भी सरकार गिरने की जिम्मेदारी कांग्रेस पर ही डाल रहे हैं.

सांवेर में कार्यकर्ताओं को बताई सरकार गिरने की वजह
शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार 8 जून को इंदौर गए थे. यहां उन्होंने सांवेर विधानसभा क्षेत्र के कार्यकर्ताओं की बैठक भी ली. सांवेर में विधानसभा के उप चुनाव होना है. आम चुनाव में इस क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर तुलसी सिलावट चुनाव जीते थे. सिलावट ने ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के साथ कांग्रेस छोड़ी है. विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र दिया. मुख्यमंत्री चौहान का सांवेर में कार्यकर्ताओं के साथ मीटिंग का जो ऑडियो/वीडियो वायरल हुआ उसमें वे कह रहे हैं कि केन्द्रीय नेतृत्व ने तय किया कि सरकार गिरनी चाहिए. सरकार प्रदेश को बर्बाद कर थी, तबाह कर रही थी. चौहान कार्यकर्ताओं से सवाल करते हैं कि सिंधिया और तुलसी भाई के बिना सरकार गिर सकती थी क्या? और कोई तरीका नहीं था. दरअसल भारतीय जनता पार्टी में कांग्रेस के नेताओं के शामिल होने के बाद कार्यकर्ताओं में जगह-जगह असंतोष देखा जा रहा है. चौहान के चौथी बार मुख्यमंत्री बनने से भी पार्टी के कई वरिष्ठ नेता नाराज बताए जाते हैं. सांवेर में भी कार्यकर्ता सिलावट को स्वीकार नहीं कर रहे हैं. वायरल ऑडियो में कार्यकर्ताओं को मनाने के लिए चौहान यह भावुक अपील करते भी दिखाई दे रहे हैं कि तुलसी सिलावट अगर विधायक नहीं बने तो क्या हम मुख्यमंत्री रहेंगे, क्या सरकार बचेगी?कांग्रेस के निशाना दिल्ली की ओर

24 विधानसभा सीटों के उप चुनाव में कांगे्रस की रणनीति ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थकों की बेवफाई को जनता के सामने रखकर चुनाव लड़ने की थी. शिवराज सिंह चौहान के कथित खुलासे के बाद कांगे्रस की रणनीति में बदलाव भी देखने को मिल सकता है. कांगे्रस के नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (narendra modi) और गृह मंत्री अमित शाह (amit shah)को निशाने पर लेना शुरू कर दिया है. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि अब तो इस बात की पुष्टि भी हो गई और सच्चाई भी खुद मुख्यमंत्री ने बता दी कि सरकार गिराने के खेल में कौन-कौन शामिल था. पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने शिवराज सिंह चौहान को धन्यवाद देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को जब कोरोना से निपटने में समय देना था,तब वे चुनी हुई सरकार को गिराने में व्यस्त थे.

बयान पर भाजपा नेता नहीं एक मत
कमलनाथ सरकार गिराए जाने के बयान पर उठे विवाद के बाद मध्यप्रदेश भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा (vishnu datt sharma)ने कहा केंद्र में रहते हुए जो कांग्रेस हमेशा राज्य सरकारों के लिए भस्मासुर रही, वही कांग्रेस कमलनाथ सरकार के अंत की भी जिम्मेदार है! 105 सरकारें गिरा चुकी कांग्रेस में 106वी सरकार गिराने का श्रेय दिग्विजय सिंह (Digvijay singh) को जाता है ! मुख्यमंत्री चौहान के रवैये में भी बदलाव देखने को मिला है. कांग्रेस के आक्रमक रूख के बाद शिवराज सिंह चौहान ने बेहद सधे हुए शब्दों में ट्विटर पर लिखा कि पापियों का विनाश तो पुण्य का काम है. हमारा धर्म तो यही कहता है. क्यों बोलो, सियापति रामचंद्र की जय. इसके जवाब में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपनी सरकार की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए पूछा कि क्या किसानों का कर्ज माफ करना पाप है ?

कमलनाथ के पास नहीं था स्पष्ट बहुमत

मध्यप्रदेश की विधानसभा 230 सदस्यों वाली है. सरकार बनाने के लिए 116 सीटों की जरूरत होती है. विधानसभा के आम चुनाव में कांग्रेस को 114 सीटों पर सफलता मिली थी. कांग्रेस ने निर्दलीय, बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के विधायकों का समर्थन लेकर सरकार बनाई थी. भारतीय जनता पार्टी को विधानसभा चुनाव में 109 सीटों पर सफलता मिली थी. चुनाव परिणामों के बाद ही शिवराज सिंह चौहान सरकार बनाना चाहते थे. लेकिन केन्द्रीय नेतृत्व ने इसकी मंजूरी नहीं दी थी. भारतीय जनता पार्टी के नेता उसके बाद से ही लगातार यह बयान दे रहे थे कि पार्टी के नंबर एक और नंबर दो नेता यदि इशारा कर दें तो अभी सरकार गिरा दें. नंबर एक और नंबर दो से उनका अभिप्राय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से होता है. कमलनाथ को इस बात का पूरा भरोसा था कि पार्टी के ये दोनों वरिष्ठ नेता कभी भी उनकी सरकार गिराने की कोशिश नहीं करेंगे. इसी अतिविश्वास में कमलनाथ भारतीय जनता पार्टी के विधायकों को अपने पक्ष में करने लग गए गए थे. नारायण त्रिपाठी और शरद कोल को अपने पक्ष लाकर उन्होंने भाजपा में घबराहट भी पैदा कर दी थी.

सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने से अल्पमत में आई थी सरकार
मार्च में अचानक कमलनाथ सरकार गिर गई. कांग्रेस के कद्दावर नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने समर्थक विधायकों के साथ पार्टी छोड़ दी. कुल 22 विधायकों ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया था. शुरू से ही भारतीय जनता पार्टी सरकार गिराने का आरोप अपने सिर लेने से बच रही थी. शायद यही कारण रहा कि पहले विधायकों से विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफे दिलाए गए. यह पूरा घटनाक्रम उस वक्त शुरू हुआ था जब राज्यसभा चुनाव की घोषणा हो गई. मध्य प्रदेश मेंं राज्यसभा के तीन सदस्यों का कार्यकाल पूरा हो रहा था. इनमें दो भारतीय जनता पार्टी की सीटें थीं. कांग्रेस के कब्जे वाली एक-एक सीट खाली हो रही थी. कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे होने से पहले की स्थिति में भारतीय जनता पार्टी सिर्फ एक सीट जीतने की स्थिति में थी. राज्यसभा में उसे एक सीट का घाटा हो रहा था. कांग्रेस को एक सीट ज्यादा मिल रही थी. 22 विधायकों के इस्तीफे होने से भाजपा दो सीटें जीतने की स्थिति में आ गई. कांग्रेस ने आरोप यही लगाया कि राज्यसभा की दूसरी सीट के कारण ही भाजपा ने एक चुनी हुई सरकार को गिरा दिया. इस आरोप पर भाजपा नेताओं ने सरकार गिरने का ठीकरा कांग्रेस की आंतरिक राजनीति पर फोड़ा. कांग्रेस के बागी विधायक भी यह स्वीकार करने से बचते रहे हैं कि उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर सरकार गिराई है. यद्यपि यह तथ्य जगजाहिर है.

भाजपा में है शिवराज सिंह चौहान का विरोध
विधानसभा के आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की हार की वजह शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी को माना गया. वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा 165 सीटें जीतने में सफल रही थी. इस लिहाज से उसे 56 सीटों का नुकसान पार्टी को हुआ था. कांग्रेस को 56 सीटों का फायदा हुआ था. शिवराज सिंह चौहान के तीसरे कार्यकाल से पार्टी का आम कार्यकर्ता खुश नहीं था. चुनाव के बाद जब राज्य में सत्ता परिवर्तन हो गया तो पार्टी का एक बड़ा धड़ा इस बात से खुश भी नजर आ रहा था. यह माना जा रहा था कि विधानसभा चुनाव में पार्टी को मिली हार के बाद केन्द्रीय नेतृत्व अब आगे शिवराज सिंह चौहान का उपयोग राज्य की राजनीति में नहीं करेगा. शिवराज सिंह चौहान पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी बनाए गए थे.

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First published: June 12, 2020, 9:06 PM IST





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