एमपी में RTI का बुरा हाल: साल भर में माइनिंग की नहीं दी जानकारी, डिप्टी डायरेक्टर पर लगा 1 लाख जुर्माना madhya pradesh bhopal mines department under rti did not gave information fine of 1 lakh rupees imposed nodmk8 | bhopal – News in Hindi

एमपी में RTI का बुरा हाल: साल भर में माइनिंग की नहीं दी जानकारी, डिप्टी डायरेक्टर पर लगा 1 लाख जुर्माना madhya pradesh bhopal mines department under rti did not gave information fine of 1 lakh rupees imposed nodmk8 | bhopal – News in Hindi


मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने माइनिंग की जानकारी पिछले एक साल से नहीं देने पर खनिज शाखा सतना की उपसंचालक दीपमाला तिवारी को एक लाख के जुर्माने का कारण बताओ नोटिस थमाया है

राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने अपने 32 पन्नों के आदेश में इसे अपीलकर्ता अमित सिंह चौहान को परेशान करने की नीयत से किया गया काम माना है. उन्होंने अपीलकर्ता को सभी जानकारियां निःशुल्क देने का आदेश दिया. साथ ही एक लाख रुपए के जुर्माने के नोटिस का जवाब आयोग के सामने छह जुलाई को अगली पेशी से पूर्व देने का भी आदेश दिया

भोपाल. मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में आरटीआई यानी सूचना (Right To Information) के अधिकार कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. मामला खनिज विभाग (Mines Department) द्वारा एक साल तक जानकारी छिपाने का है. एक मामले में जानकारी नहीं देने पर विभाग की डिप्टी डायरेक्टर पर एक लाख रुपए का जुर्माना (Fine) लगाया गया है. मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने माइनिंग की जानकारी पिछले एक साल से नहीं देने पर खनिज शाखा सतना की उपसंचालक दीपमाला तिवारी को एक लाख के जुर्माने का कारण बताओ नोटिस थमाया है. आम तौर पर अधिकतम जुर्माना 25 हजार रुपए होता है. लेकिन इस मामले में चार अलग-अलग मामलों में एक साथ कार्रवाई करते हुए 25 हजार रुपए के हिसाब सेे एक लाख रुपये की जुर्माने की राशि लगाई गई.

प्राप्त जानकारी के मुताबिक अमित सिंह चौहान नाम के व्यक्ति ने सतना में प्रिज्म जोहन्सन माइनिंग कंपनी के खदानों से जुड़े कुल 10 बिंदुओ की जानकारी चार अलग अलग प्रकरणों में मांगी थी. उन्होंने यह जानकारी जुलाई 2019 में मांगी थी. लेकिन अमित सिंह खुद आश्चर्य में पड़ गए जब उल्टा उपसंचालक ने उनसे सवाल कर लिया कि माइंस का लैंड रिकॉर्ड ले कर आएं. राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने अपने 32 पन्नों के आदेश में इसे अपीलकर्ता अमित सिंह चौहान को परेशान करने की नीयत से किया गया काम माना है.

आरटीआई कानून के तहत मांगी गई थी जानकारी

अमित सिंह चौहान ने विभाग से लैंड शेड्यूल माइनिंग प्लान प्रोडक्शन और बकाया रॉयल्टी जैसे विषयों की जानकारी मांगी थी. सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने अधिकारी को आदेश जारी करते हुए लिखा कि जनहित में यह जानकारी देने योग्य है. क्योंकि मीडिया में कई माइनिंग कंपनियों द्वारा नियमों को ताक पर रख अवैध उत्खनन की खबरें उजागर होती रहती हैं. इसकी वजह से शासन को राजस्व का नुकसान होता है. साथ ही पर्यावरण को भी खतरा उत्पन्न होता है.जानकारी नहीं देने की लिए अपनाए ये हथकंडे

इस मामले में पिछले तकरीबन एक साल में उपसंचालक दीपमाला तिवारी ने कई तरह के हथकंडे अपनाए ताकि आरटीआई कर्ता को जानकारी नहीं मिल सके. सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने इसे धारा दो का उलंघन बताया है. उन्होंने कहा कि कोई भी लोकसूचना अधिकारी सिर्फ इस आधार पर जानकारी को नहीं रोक सकता कि मांगी गई जानकारी प्रश्नवाचक स्वरूप में है. अधिनियम की धारा 2 (F) और धारा 2 (J) में सूचना की स्पष्ट व्याख्या है. जो जानकारी रिकॉर्ड में उपलब्ध है, उसे आवेदक को दी जानी चाहिए.

सुनवाई में उपसंचालक दीपमाला तिवारी की दलील

इस मामले की सुनवाई के दौरान उपसंचालक दीपमाला तिवारी की दलील थी कि कुछ जानकारी उनके डिपार्टमेंट में उपलब्ध नहीं है. लेकिन आयोग के सामने उनकी यह दलील नहीं चल पाई. आयुक्त राहुल सिंह ने कहा कि दीपमाला तिवारी ने अधिनियम की धारा 6 (3) का उल्लंघन किया है, जिसके तहत अधिकारी को आवेदन मिलने के पांच दिन के भीतर अगर अन्य विभाग से जानकारी के लिए आवेदन को अंतरित करना था. जो कि पिछले लगभग एक साल में नहीं किया गया. उन्होंने यह भी कहा कि माइनिंग रूल 1988 के अनुसार माइनिंग प्लान के उल्लंघन होने की स्थिति में क्षेत्रीय कंट्रोलर उन राज्य सरकार द्वारा अधिकृत कार्यालय एक्शन लेंगे. वही माइंस से चारो तरफ 7.5 मीटर का बफर जोन होता है, जिसमें पेड़ लगाने का प्रावधान है. अगर माइनिंग प्लान माइनिंग अधिकारी के पास नहीं होगा तो वो कैसे माइंस पर निगरानी रखेंगे.

उपसंचालक ने सुनवाई के दौरान गुमराह करने की कोशिश की

दीपमाला तिवारी ने आयोग और अपीलकर्ता को गुमराह करने की कोशिश की. अपीलकर्ता अमित सिंह चौहान के माइंस के भू प्रवेश की जानकारी मांगने पर दीपमाला तिवारी ने कहा कि उनका विभाग सिर्फ भू प्रवेश पर NOC जारी करता है. इस पर आयुक्त राहुल सिंह ने अधिकारी को आड़े हाथों लेते हुए पूछ लिया कि ऐसा कैसे हो सकता है कि NOC हवा में जारी हो रही हो. और जिन दस्तावेजों के आधार पर NOC जारी की गई है वो कार्यालय में मौजूद नहीं है. आयुक्त राहुल सिंह ने अपीलकर्ता को सभी जानकारियां निःशुल्क देने का आदेश दिया. साथ ही एक लाख रुपए के जुर्माने के नोटिस का जवाब आयोग के सामने छह जुलाई को अगली पेशी से पूर्व देने का आदेश दिया. दीपमाला तिवारी को खनिज शाखा सतना को यह जुर्माना देने को कहा गया है.



First published: June 20, 2020, 4:51 PM IST





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