The fourth edition of the UNESCO Global Education Monitoring 2020 Report is released, described the image of women in books as less effective or submissive | ग्लोबल एजुकेशन मॉनिटरिंग रिपोर्ट का चौथा संस्करण जारी, किताबों में महिलाओं की छवि को बताया कम प्रभावी या दब्बू

The fourth edition of the UNESCO Global Education Monitoring 2020 Report is released, described the image of women in books as less effective or submissive | ग्लोबल एजुकेशन मॉनिटरिंग रिपोर्ट का चौथा संस्करण जारी, किताबों में महिलाओं की छवि को बताया कम प्रभावी या दब्बू


  • किताबों में एक ओर जहां पुरुषों को डॉक्टर, तो वहीं महिलाओं को नर्स दिखाया जाता है: रिपोर्ट
  • फारसी, विदेशी भाषा की 60, विज्ञान की 63 और सामाजिक विज्ञान की 74% किताबों से महिलाएं गायब

दैनिक भास्कर

Jun 30, 2020, 06:32 PM IST

यूनाइटेड नेशन एजुकेशनल साइंटिफिक एंड कल्चर ऑर्गेनाइजेशन (UNESCO) ने हाल ही में अपनी ग्लोबल एजुकेशन मॉनिटरिंग रिपोर्ट 2020 जारी की। इस रिपोर्ट में अलग-अलग देशों के पाठ्यक्रम में महिलाओं की भूमिका के बारे में बताया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक किताबों में महिलाओं को जहां भी शामिल किया गया है, उन्हें पारंपरिक और पुरुषों की तुलना में कम प्रभावी या दब्बू दिखाया जाता है।

किताबों में महिलाएं अंतर्मुखी और दब्बू 

एनुअल रिपोर्ट के इस चौथे संस्करण के मुताबिक महिलाओं को किताबों में कम प्रतिष्ठित पेशे वाला दर्शाया गया है। इतना ही नहीं इन पेशों में काम करने वाली महिलाओं के स्वभाव को भी अंतर्मुखी और दब्बू बताया। इस बात को समझाने के लिए यूनेस्को ने उदाहरण के लिए बताया कि किताबों में एक ओर जहां पुरुषों को डॉक्टर दिखाया जाता है, तो वहीं महिलाओं की भूमिका एक नर्स के रूप में दर्शायी जाती है।

कई दशों को किया शामिल

अपनी रिपोर्ट में यूनेस्को ने यह भी कहा कि महिलाओं को सिर्फ फूड, फैशन और एंटरटेनमेंट से जुड़े विषयों में दिखाया जाता है। विभिन्न पाठ्यक्रमों में महिलाओं को स्वैच्छिक भूमिकाओं में और पुरुषों को वेतन वाली नौकरियों में दिखाया जाता है। हालांकि रिपोर्ट में कुछ ऐसे देश की किताबों के बारे में भी बताया जो महिलाओं की इस भूमिका में संतुलन बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

विज्ञान की 63% किताबों से गायब महिलाएं

इस बारे में बताने के लिए अफगानिस्तान का उदाहरण लिया गया जहां 1990 में ग्रेड 1 की किताबों में महिलाएं लगभग गायब रहती थी। वहीं, 2001 में किताबों में किए बदलाव के बाद इसमें महिलाओं को शामिल किया गया, लेकिन यहां भी इनकी भूमिका दब्बू और घरेलू जैसे मां, परिचारिका, बेटी या बहन के रूप में दिखाई गई। यूनेस्को की रिपोर्ट के मुताबिक फारसी और विदेशी भाषा की 60, विज्ञान की 63 और सामाजिक विज्ञान की 74 फीसदी किताबों में महिलाओं की कोई तस्वीर नहीं है। 

रिपोर्ट में महाराष्ट्र में का जिक्र

रिपोर्ट में महाराष्ट्र के ‘महाराष्ट्र स्टेट ब्यूरो ऑफ टेक्सबुक प्रोडक्शन एंड करिकुलम रिसर्च’ द्वारा 2019 में लैंगिक रूढ़िवादी को हटाने के लिए किताबों में छवि में हुए सुधार के बारे भी बताया गया है। इसमें  दूसरी कक्षा के पुस्तक में महिला और पुरुष घर के काम करते दिख रहे हैं एक और जहां महिला डॉक्टर तो वहीं पुरुष की तस्वीर शैफ के रूप में दिखाई गई थी।

क्या हैं ग्लोबल एजुकेशन मॉनिटरिंग रिपोर्ट?

ग्लोबल एजुकेशन मॉनिटरिंग रिपोर्ट, एक स्वतंत्र टीम द्वारा तैयार की जाती है, जिसे बाद में यूनेस्को जारी करता है। यह रिपोर्ट शिक्षा के क्षेत्र में हुए लगातार विकास और इससे जुड़े प्रयासों के अध्ययन पर आधारित होती है। हाल में जारी हुई इस रिपोर्ट में इटली, स्पेन, बांग्लादेश, पाकिस्तान, मलेशिया, इंडोनेशिया, कोरिया, अमेरिका, चिल्ली, मोरक्को, तुर्की और युगांडा की पाठ्यपुस्तकों में महिलाओं के साथ जुड़ी इन रूढ़ियों का उल्लेख किया गया है।



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