जबकि मंत्रिमंडल में ज्योतिरादित्य सिंधिया ( Jyotiraditya Scindia) समर्थकों का दबदबा रहना तय माना जा रहा है. प्रदेश में कांग्रेस के सत्ता गंवाने के बाद बीजेपी की वापसी पर सिंधिया का बड़ा रोल रहा है. मिनी कैबिनेट में अपने 2 समर्थकों को जगह दिलाने वाले सिंधिया मंत्रिमंडल विस्तार में कम सीटों को लेकर राजी नहीं थे और यही कारण है की सिंधिया समर्थक चेहरों के साथ कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए दिग्गज नेता भी मंत्री पद की दौड़ में शामिल हैं.
सिंधिया के इन लोगों को मिल सकता है मंत्री पदऐसे में पाला बदलने वाले 22 में से 7 से 8 चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह मिलना तय माना जा रहा है. जिन ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थकों मंत्रिमंडल में जगह मिलना तय माना जा रहा है, उसमें प्रदुम सिंह तोमर, इमरती देवी, महेंद्र सिंह सिसोदिया, प्रभु राम चौधरी, राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव, एदल सिंह कंसाना, बिसाहूलाल सिंह और हरदीप सिंह डंग शामिल हैं. यही नहीं, इसके अलावा कांग्रेस में मंत्री रहे निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल भी मंत्री पद की दौड़ में शामिल हैं.
मंत्री पद की संख्या गणित पर नजर
मध्य प्रदेश विधानसभा की 230 विधायकों की संख्या के हिसाब से सीएम समेत 35 मंत्री बनाए जाने का प्रावधान है. फिलहाल शिवराज कैबिनेट में पांच मंत्री शामिल हैं. ऐसे में 29 मंत्री बनाए जा सकते हैं, लेकिन पार्टी की कोशिश है कि 24 से 25 चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाए और असंतोष के चलते कुछ सीटों को रिजर्व में रखा जाए.
बीजेपी में मंत्री पद के लिए यह हैं दावेदार
सिंधिया समर्थकों के बाद बीजेपी में मंत्री पद के लिए एक अनार सौ बीमार जैसे हालात हैं. इसमें सीनियर विधायकों की सूची काफी लंबी है. पूर्व नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव, भूपेंद्र सिंह, विजय शाह, गौरीशंकर बिसेन, यशोधरा राजे सिंधिया, विश्वास सारंग, संजय पाठक, अरविंद सिंह भदोरिया,राजेंद्र शुक्ला,हरिशंकर खटीक, अजय विश्नोई, रामपाल सिंह, केदारनाथ शुक्ल, सुरेंद्र पटवा, पारस जैन प्रबल दावेदार हैं, लेकिन खबर इस बात को लेकर की पार्टी पुराने चेहरों को मौका देने के मूड में नहीं है इसके चलते कुछ विधायकों के मंत्री बनने की आस अधूरी रह सकती है.
बीजेपी के सामने जातीय संतुलन एक चुनौती
दरअसल, बीजेपी का मंत्रिमंडल विस्तार पहली बार बड़ी चुनौतियों से जूझ रहा है. ऐसे में सबसे बड़ी चुनौती जातीय समीकरणों को साधने के साथ क्षेत्रीय संतुलन को साथ में की भी है. ग्वालियर चंबल, बुंदेलखंड, विंध्य और मध्य में दावेदारों की भीड़ होने के कारण पार्टी को इन इलाकों में मंत्री पद का चेहरा तय करना सबसे बड़ी चुनौती साबित हो रहा है.खैर, मंत्रिमंडल में शामिल होने की आस लगाए बैठे विधायक बेचैन है और कल किसके सिर मंत्री का ताज सजेगा इसका सभी को इंतजार है.