Covid-19 को लेकर एक और दावा, यहां मां के दूध से हारा कोरोना | jabalpur – News in Hindi

Covid-19 को लेकर एक और दावा, यहां मां के दूध से हारा कोरोना | jabalpur – News in Hindi


स्तनपान कराने के बाद भी संक्रमित महिलाओं के नवजातों में कोरोना वायरस नहीं पाया गया. सांकेतिक फोटो.

कोरोना वायरस (Corona Virus) के संक्रमण (Covid-19) के इलाज के लिए दवा बनाने के दावों के बीच मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के जबलपुर (Jabalpur) से एक राहतभरी खबर है.

जबलपुर. कोरोना वायरस (Corona Virus) के संक्रमण (Covid-19) के इलाज के लिए दवा बनाने के दावों के बीच मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के जबलपुर (Jabalpur) से एक राहतभरी खबर है. जबलपुर जिले में अब तक कोरोना वायरस के संक्रमितों का आंकड़ा 430 के पार है. संक्रमित मरीजों में ऐसी महिलाएं भी हैं, जिन्होंने कोरोना संक्रमित रहते हुए या तो बच्चे को जन्म दिया या फिर बच्चे को जन्म देने के बाद कोरोना संक्रमण से ग्रसित हो गईं. जबलपुर के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कोरोना की ऐसी 6 महिला मरीज सामने आई जो 18 दिनों तक अपने नवजात शिशुओं को लेकर अस्पताल मे भर्ती रहीं, भले ही उनको कोरोना संक्रमण रहा, लेकिन 18 दिनों तक उन बच्चों को अपनी मां का दूध भी दिया गया. इसके बाद भी बच्चों में संक्रमण नहीं फैला.

मेडिकल कॉलेज प्रबंधन का दावा है कि इन 6 मां के बच्चों को कोरोना वायरस छू भी नहीं सका. जबलपुर में कोविड हाॅस्पिटल में ड्यूटी कर रहे डॉ. संजय भारती और उनकी टीम ने इन 6 कोरोना संक्रमित महिलाओं के बच्चों को मां से अलग रखा, लेकिन स्तनपान के लिए लगातार 18 दिनों तक बच्चे अपनी मां के पास आते रहे और स्तनपान भी किया, लेकिन कोरोना इनका बाल भी बांका नहीं कर पाया. चिकित्सक बताते हैं कि मां के दूध में एंटीबॉडी होती हैं, जिससे कोरोना संक्रमण नहीं फैल पाता. बेशक स्तनपान के पहले जरूरी सावधानियां बरती गईं और डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन का पालन किया गया, नतीजा यह रहा कि किसी बच्चे मे कोरोना संक्रमण नहीं फैला.
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मरीजों को किया गया डिस्चार्जअस्पताल प्रबंधन के मुताबिक ये सभी 6 महिलाएं और उनके बच्चे स्वस्थ्य हैं और अस्पताल से डिस्चार्ज हो गए हैं. खास बात ये है कि बच्चो को जन्म देने वाली इन महिलाओं को एक अलग वार्ड में रखा गया था. ताकि संक्रमण इन्हें और उनके बच्चों को ना घात कर जाए. एक अलग वार्ड में सतत रूप से इनकी मॅानिटरिंग होती रही और बच्चों को अपनी मां से अलग रखा गया. जब—जब भी स्तनपान की जरूरत पड़ती तभी बच्चों को मां के पास लाया जाता था, लेकिन उससे पहले सभी महिलाओं को सैनिटाइज कर दिया जाता था ताकि बच्चे सुरक्षित रहें.





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