नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट टीम के इतिहास में सबसे कामयाब कप्तानों में से एक रहे सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) की शानदार बल्लेबाजी के क्या कहने. दादा के नाम से मशहूर गांगुली की कप्तानी में टीम इंडिया को बहुत सी जीत मिलीं. ‘प्रिंस ऑफ कोलकाता’ ने नसिर्फ टीम इंडिया को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया बल्कि यंग क्रिकेटर्स को भी खूब प्रेरित किया. जब गांगुली मैदान पर खेलते थे तब से आज तक सौरव दादा युवा खिलाड़ियों को आगे लाने की बात पर जोर डालते आ रहे हैं. जब इंडिया की कमान उनके हाथों में थी तब टीम को बहुत से युवा क्रिकेटर्स मिले, जिन्होंने आगे चलकर हिंदुस्तान का नाम खूब रोशन किया. तो चलिए आज आपको ऐसे ही शानदार खिलाड़ियों से रूबरू करवाते हैं जिन्होंने सौरव गांगुली की कप्तानी में अपने करियर का आगाज किया और आगे चलकर खूब शोहरत कमाई.
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वीरेंद्र सहवाग
कम ही लोगों को इस बात का पता है कि टीम इंडिया के पूर्व सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग (Virender Sehwag)को भी सौरव दादा की ही खोज माना जाता है. वीरु कभी 5 या 6 नंबर पर बल्लेबाजी किया करते थे पर फिर गांगुली ने वीरू को ओपनिंग करने का मौका दिया, जिसके बाद सहवाग की गिनती दुनिया के सबसे बेहतरीन सलामी बल्लेबाज के रूप में की जाने लगी थी. अपने करियर के शुरुआती दौर में गांगुली ने वीरेंद्र सहवाग का खूब साथ दिया था, बाद में सहवाग ने टीम के लिए कितने कमाल किए इससे हर कोई वाकिफ है.
जहीर खान
टीम इंडिया के पूर्व गेंदबाज जहीर खान (Zaheer Khan) में वो सभी हुनर थे जो उन्हें क्रिकेट की दुनिया में काफी ऊंचाईयों तक ले जा सकते थे, लेकिन हर हीरे को एक जौहरी की जरूरत तो होती ही है और जहीर को वो जौहरी मिला सौरव गांगुली के रूप में. सौरव दादा ने ना सिर्फ जहीर पर भरोसा जताया बल्कि हर कदम पर उनका साथ भी दिया. जिसका नतीजा ये निकला कि आगे चलकर जहीर टेस्ट क्रिकेट में इंडिया की तरफ से सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले दूसरे सबसे सफल तेज गेंदबाज बने.
युवराज सिंह
इस लिस्ट में एक और शानदार बल्लेबाज का नाम शामिल है और वो हैं युवराज सिंह (Yuvraj Singh). साल 2000 में उन्होंने भी सौरव गांगुली की कप्तानी में अपने करियर की शुरुआत की थी. युवराज ने अंडर-19 क्रिकेट में खूब सुर्खियां बटोरी थीं जिसके बाद आईसीसी नॉकआउट ट्रॉफी में ऑस्ट्रेलिया (Australia) की टीम के खिलाफ 84 रनों की शानदार पारी खेली और उसी की बदौलत इंडिया फाइनल में पहुंचने में कामयाब हुआ था. दादा लगातार युवराज पर भरोसा जताते रहे जिससे युवराज अपने प्रदर्शन में निखार लाते रहे. इस बारे में खुद युवराज ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि अब तक वो जितने भी कप्तानों के साथ खेले हैं, उनमें से सौरव गांगुली बेस्ट हैं.
महेंद्र सिंह धोनी
टीम इंडिया के पूर्व कैप्टन एमएस धोनी (MS Dhoni) को आज दुनिया के सबसे बेहतरीन खिलाड़ियों में शुमार किया जाता है, लेकिन ये सब सौरव गांगुली के बिना मुमकिन नहीं था. माही को भी भारतीय क्रिकेट टीम में पहली बार खेलने का मौका दादा की कप्तानी में ही मिला था. वहीं जब बार-बार धोनी मैदान पर अच्छा प्रदर्शन करने में असफल हो रहे थे तो सौरव दादा ने ही उन्हें पाकिस्तान (Pakistan)के खिलाफ तीसरे नंबर पर खेलने पर मौका दिया था. पाकिस्तान के खिलाफ मैच में एमएस धोनी को टीम में चुनने के लिए दादा चयनकर्ताओं से भी भिड़ पड़े थे. आपको बता दें कि उस वक्त पाकिस्तान के खिलाफ धोनी ने 148 रनों की शानदार पारी खेली थी.
हरभजन सिंह
दुनिया के बेहतरीन गेंदबाजों में से एक हरभजन सिंह (Harbhajan Singh) ने क्रिकेट की दुनिया में कई कारनामें कर दिखाए, मगर भज्जी को इस मुकाम तक पहुंचाने में जितना बड़ा हाथ उनकी कड़ी मेहनत का है उतना ही श्रेय सौरव गांगुली को भी जाता है. पूरी दुनिया में टर्बनेटर के नाम से फेमस हरभजन ने उस वक्त खूब सुर्खियां बटोरी जब साल 2001 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज में उन्होंने 32 विकेट लिए थे. इस सीरीज से पहले गांगुली, भज्जी को टीम में लेने के लिए चयनकर्ताओं से भिड़े थे. खुद भज्जी ने एक बार ये बात कही थी कि अगर ‘दादा’ का साथ नहीं होता तो वो कुछ नहीं कर पाते.