गैंगस्टर विकास दुबे की गिरफ्तारी के बाद क्या होगी आगे की कानूनी प्रक्रिया | ujjain – News in Hindi

गैंगस्टर विकास दुबे की गिरफ्तारी के बाद क्या होगी आगे की कानूनी प्रक्रिया | ujjain – News in Hindi


मध्य प्रदेश पुलिस ने उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर के कैंपस में गैंगस्टर विकास दुबे को गिरफ्तार कर लिया है. इस गिरफ्तारी के बाद कानूनी तौर उसके साथ क्या होगा. किस तरह से यूपी पुलिस उसको रिमांड पर लेगी और यहां लेकर आएगी और फिर उस पर आगे की कार्रवाई होगी.

गौरतलब है कि विकास दुबे पर उसे पकड़ने गई पुलिस टीम पर हमला करने और उनकी फायरिंग के जरिए हत्या करने का आरोप है. इस मामले में एक डीएसपी समेत आठ पुलिसकर्मियों की जान गई है.

सवाल – गिरफ्तारी के बाद मप्र पुलिस विकास दुबे का क्या करेगी?
– अगर पुलिस अधिकारियों से बात करिए तो बकौल उनके यूपी पुलिस 24 घंटे के अंदर वहां पहुंच जाएगी. वहां वो चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के सामने ट्रांजिट रिमांड के लिए आवेदन करेगी. ताकि मप्र पुलिस से वो विकास की सुपुदर्गी ले सके. वहीं वकीलों के अनुसार, चूंकि मप्र पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी उज्जैन से दिखा दी है. लिहाजा अब उसे उज्जैन में 24 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना होगा.जिस समय मप्र पुलिस विकास को उज्जैन में मजिस्ट्रेट के सामने पेश करेगी, तभी यूपी पुलिस ट्रांजिट रिमांड मांगेगी, जो उसे मिल जाएगी, क्योंकि मप्र में विकास के खिलाफ कोई मामले नहीं हैं. उसके खिलाफ जो भी मामले हैं वो उत्तर प्रदेश में हैं.

(वैसे जानकारी के लिए आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स उसको उज्जैन से लाने के लिए रवाना हो गई है)

सवाल – उज्जैन में सीजेएम किस शर्त के साथ विकास की ट्रांजिट रिमांड को मंजूरी दे सकते हैं?
– जब यूपी पुलिस विकास के खिलाफ तमाम मामलों के दस्तावेज उज्जैन के सीजीएम के सामने पेश करके ट्रांजिट रिमांड मांगेगी, तब कोर्ट इस आधार पर ट्रांजिट रिमांड दे सकती है कि यूपी पुलिस 24 घंटे के भीतर उसे कानपुर की अदालत में पेश करके वहां से आगे की कार्रवाई की अनुमति लेगी.

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सवाल – क्या इसमें कोई अड़चन भी आ सकती है?
– एक ही सूरत में इसमें अड़चन आ सकती है जबकि उज्जैन अदालत में विकास दुबे द्वारा मुकर्रर कोई वकील कोर्ट से ये कहे कि उसके मुवक्किल को उत्तर प्रदेश ले जाने में खतरा है और उसके खिलाफ मनगढ़ंत केस बनाए गए हैं. ऐसे में उज्जैन की अदालत ट्रांजिट रिमांड पर विचार भी कर सकती है.

सवाल – उज्जैन सीजेएम से ट्रांजिट रिमांड मिलने के बाद फिर क्या होगा?
– अपराधी विकास दुबे को 24 घंटे के भीतर कानपुर अदालत में पेश करके पुलिस वहां उसे ज्यूडिशियल कस्टडी पर रखने का आदेश हासिल कर सकती है. ये अदालत पर है कि वो कितने दिनों की रिमांड देती है. ये भी संभव है कि कोर्ट पहले उसके कोरोना जांच या क्वारेंटीन के लिए भी कहे.

अगर उज्जैन के सीजेएम कोर्ट से यूपी पुलिस को ट्रांजिट रिमांड मिल गई तो उसे 24 घंटे के भीतर कानपुर में मजिस्ट्रेट अदालत में पेश करना होगा.

सवाल – ज्यूडिशियल कस्टडी पर पुलिस क्या करेगी?
– पुलिस इस दौरान उससे पूछताछ करके कोशिश करेगी कि उसे जुर्म कबूल कराए और फिर सबूतों के लिए उसे जरूरी पूछताछ करे. अगर इस दौरान पुलिस पूछताछ के दौरान पुख्ता सबूत और जानकारियां हासिल कर लेती है तो उनके जरिए अदालत में एफआईआर दर्ज करेगी. फिर उसे अपनी गिरफ्तारी में ले लेगी.

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सवाल – क्या जूडिशियल कस्टडी के बाद उसकी जमानत भी हो सकती है?
– अगर पुलिस उससे पूछताछ के बाद सबूत नहीं जुटा पाती और पर्याप्त जानकारियां हासिल नहीं कर पाती तो उसे जमानत मिल जाएगी. अन्यथा अगर पुलिस मामले के पक्ष में सारे सबूत, गवाह और जानकारियां हासिल कर इसे अदालत में पेश करके मांग कर देती है तो इसकी गंभीरता के आधार पर उसकी आगे जमानत की अर्जी खारिज हो सकती है.

सवाल – क्या जिस समय पुलिस विकास दुबे को अदालत में पेश करेगी, उस समय उसे वकील की सेवाएं मिल सकती हैं?
– हां, ऐसा हो सकता है. वकील अदालत में ये भी कह सकता है कि उसके मुवक्किल की जान को खतरा है, तो पूछताछ के दौरान पुलिस पर शारीरिक टार्चर नहीं करने का दबाव रहेगा.

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गैंगस्टर विकास दुबे का ये अपराध संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है. लिहाजा अगर पुलिस कस्टडी के दौरान पर्याप्त साक्ष्य और गवाह जुटा लिए तो उसका जेल से बाहर निकलना असंभव है

सवाल – कौन से अपराध जमानत लायक होते हैं और कौन से नहीं?
– आमतौर पर हत्या, बलात्कार और अन्य गंभीर अपराध जमानत लायक नहीं होते. खासकर ऐसे अपराध जिसमें मृत्यु दंड, आजीवन कारावास या लंबी सजा हो सकती हो. ऐसे मामलों में पुलिस खुद जमानत नहीं दे सकती बल्कि ये मजिस्ट्रेट के आदेश पर ही दिए जा सकते हैं. कुछ अपराधों में मजिस्ट्रेट भी जमानत नहीं देते हैं.

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सवाल – पुलिस के एफआईआर दाखिल होने के बाद क्या होता है?
– अदालत में मुकदमा चलता है. वहां पुलिस को अपने सबूतों, गवाहों और साक्ष्यों के आधार पर साबित करना होता है कि आरोपी पर दर्ज अपराध गंभीर हैं, अक्सर पुलिस के सामने अपराधी जो कुछ भी कबूल करता है, उसे वो अदालत में मुकर भी सकता है. कई बार गवाह भी मुकर जाते हैं. ऐसा आमतौर पर देखने को मिलता है. ऐसे में अपराधी साफतौर पर बरी हो जाता है. लेकिन अगर अदालत के सामने साक्ष्य, सबूत और गवाह टिके रहे तो अदालत सजा सुनाती है.

आप की जानकारी के लिए बता दें कि विकास दुबे पहले भी हत्या के एक मामले में गवाहों के अभाव में बरी हो चुका है.





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