ऐसा लगता है कि विकास दुबे भगवान शंकर का भक्त है, तभी वो उज्जैन के महकालेश्वर मंदिर में खुद को सकुशल रखने के लिए उनकी पूजा अर्चना करने गया था. खबरें ये बता रही हैं कि विकास दुबे हर साल सावन में महाकाल के इस मंदिर में दर्शन करने जरूर जाता था. टीवी रिपोर्ट्स में उसकी मां के हवाले से ये बताया गया है. जानते हैं उज्जैन के इस विश्व प्रसिद्ध मंदिर के बारे में 05 खास बातें
01. बारह ज्योर्तिलिंगो में एक
महाकालेश्वर मंदिर भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में एक है. देशभर कुल 12 ज्योतिर्लिंग मंदिर हैं. ये भगवान शंकर के विशेष और प्राचीन मंदिर हैं. जिनकी हिंदू धर्म में सबसे ज्यादा मान्यता है.ये भी पढ़ें – Video में देखें कैसे मास्क और बिना मास्क से हवा में फैलते हैं ड्रॉपलेट्स
02. बेहद प्राचीन मंदिर
पुराणों, महाभारत और कालिदास जैसे महाकवियों की रचनाओं में उज्जैन के महाकाल मंदिर का वर्णन मिलता है. चूंकि दक्षिणमुखी है, इसलिए माना जाता है कि यहां दर्शन करने पर पुण्य की प्राप्ति होती है.
देश में कुल 12 ज्योर्तिलिंग हैं, उसमें उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर सबसे प्राचीन मंदिरों में माना जाता है. इसकी खासी मान्यता है
03 ये मान्यता है
हिंदू धर्म में माना जाता है कि केवल महाकाल मंदिर भगवान शंकर के लिंग दर्शन मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है.
04. एक बार इसका ध्वंस भी हो चुका है
1235 में इस प्राचीन मंदिर का ध्वंस इल्तुत्मिश ने किया था. उसके बाद उज्जैन में जो भी शासक रहे, उन्होंने इसका जीर्णोद्धार और सौन्दर्यीकरण कराया, तभी वो वर्तमान स्वरूप में आ पाया है. हर साल सिंहस्थ से पहले मंदिर को सजाया जाता है.

महाकालेश्वर मंदिर में शिव लिंग को रोज सजाया संवारा जाता है, रोज यहां उनके अलग रूप देखने को मिलते हैं
29 नवंबर 1728 में मराठा शासकों ने इस इलाके पर अपना अधिपत्य स्थापित किया. इसके बाद उज्जैन का भी खोया गौरव लौटा और इस मंदिर का भी. फिर से महाकालेश्वर मंदिर का निर्माण हुआ और इसके साथ ही उसमें ज्योतिर्लिंग की फिर से प्रतिष्ठा हुई.
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05 मंदिर का परकोटा
मंदिर एक परकोटे के भीतर है. गर्भगृह तक एक सीढीदार रास्ते से पहुंचा जाता है. इसके ठीक उपर एक दूसरा कक्ष है जिसमें ओंकारेश्वर शिवलिंग स्थापित है. मंदिर का क्षेत्रफल 10.77 x 10.77 वर्गमीटर और ऊंचाई 28.71 मीटर है. ऐसी मान्यता है कि इल्तुत्मिश ने जब मंदिर को तुड़वाया तो शिवलिंग को इसी कोटितीर्थ में फिकवा दिया था. बाद में इसकी पुनर्प्रतिष्ठा करायी गयी.
06. सोने से दमकते हैं मंदिर के शिखर
इस मंदिर के 118 शिखरों पर 16 किलो स्वर्ण की परत चढ़ाई गई है. ये सूर्य की रोशनी में दमकते रहते हैं. मंदिर की देखरेख एक प्रशासकीय समिति करती है.