मध्य प्रदेश उपचुनाव: 13 जुलाई से शुरू नहीं होगा ग्वालियर चंबल सीट पर कांग्रेस का प्रचार | bhopal – News in Hindi

मध्य प्रदेश उपचुनाव: 13 जुलाई से शुरू नहीं होगा ग्वालियर चंबल सीट पर कांग्रेस का प्रचार | bhopal – News in Hindi


कांग्रेस ने अपने सभी कार्यक्रम टाल दिए हैं. (File)

MP By-Election 2020: बताया जा रहा है कि ग्वालियर चंबल (Gwalior Chambal) के कई इलाकों में कोरोना (Corona Pandemic) के बढ़ते मामले और लॉकडाउन के कारण कांग्रेस ने अपने सभी कार्यक्रम निरस्त कर दिया है.

भोपाल. मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में 24 सीटों पर होने वाले उपचुनाव की सियासत तेज हो गई है. लेकिन इन सबके बीच कोरोना (COVID-19) राजनीतिक पार्टियों के लिए परेशानी का सबब बन गया है. बड़ा फैसला लेते हुए एमपी कांग्रेस ने ग्वालियर चंबल (Gwalior Chambal) विधानसभा सीट का चुनाव प्रचार का कार्यक्रम टाल दिया है. बताया जा रहा है कि ग्वालियर चंबल के कई इलाकों में कोरोना के बढ़ते मामले और लॉकडाउन (Lockdown) के कारण कांग्रेस ने अपने सभी कार्यक्रम निरस्त कर दिया है. बता दें कि 13 जुलाई को दतिया की पीतांबरा पीठ में मां के दर्शन के साथ कांग्रेस के दिग्गज नेता चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत करने वाले थे. एक बस में सवार होकर चुनाव प्रचार करने की कांग्रेस की तैयारी थी.

मालूम हो कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के ग्वालियर चंबल दौरे के साथ विधानसभा के उपचुनाव टलने की आशंका कांग्रेस जता रही थी. शनिवार को ग्वालियर और मुरैना में सीएम शिवराज सिंह चौहान कोरोना की बिगड़ती स्थिति का जायजा ले रहे थे. पूर्व कानून मंत्री पीसी शर्मा ने उपचुनाव टाले जाने की आशंका जाहिर करते हुए कहा था कि सीएम का ग्वालियर चंबल दौरा पॉलिटिकली मोटिवेटेड है. उन्होंने कहा था कि जब इंदौर में कोरोना सबसे ज्यादा था तब भी मुख्यमंत्री वहां नहीं गए, अचानक से ग्वालियर-मुरैना जाना प्रश्न चिह्न लगाता है. इसके साथ ही उन्होंने मांग कर दी कि एमपी में उपचुनाव 20 सितंबर से पहले ही कराए जाने चाहिए. चुनाव टालने की पॉलिटक्स नहीं होनी चाहिए.

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आखिर क्यों परेशान है कांग्रेस?दरअसल, मध्य प्रदेश में 24 सीटों के लिए विधानसभा उपचुनाव होना है. इनमें से दो सीटें जौरा और आगर मालवा की ऐसी हैं, जो कांग्रेस और बीजेपी के विधायकों के निधन की वजह से खाली हुई हैं. इन सीटों पर 6 महीने में चुनाव की मियाद निकल चुकी है, जबकि बाकी 22 सीटें सिंधिया समर्थक विधायकों के कांग्रेस पार्टी छोड़ने की वजह से खाली हुई हैं. कांग्रेस विधायकों ने मार्च में विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया था और उन्होंने बीजेपी जॉइन कर ली थी. इस लिहाज से 20 सितंबर से पहले तक चुनाव हो जाना जरूरी है. लेकिन मंत्रिमंडल बनने में देरी और विभागों के बंटवारे में होने वाली देरी के बाद अब पूर्व विधायकों को प्रचार के लिए केवल डेढ़ महीने का ही वक्त बचा है, उस पर भी कोरोना के हालात मुसीबत बने हुए हैं. ऐसे में कांग्रेस को लगता है कि ग्वालियर चंबल संभाग में कोरोना का डर दिखाकर उपचुनाव टाले जा सकते हैं, क्योंकि उपचुनाव की सबसे ज्यादा 16 सीटें उसी संभाग में हैं.





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