मौसम को देख कर बदलते हैं अपराध : ठंड में लूटपाट और गर्मी में बढ़ जाती है हत्या
जून से लेकर अक्टूबर के बीच आत्महत्या (suicide) के मामले बढ़े.अक्टूबर से लेकर फरवरी के बीच लूट (loot) नकबजनी ,डकैती समेत अन्य वारदातें हुईं
जुर्म करके अपराध की दुनिया में कदम रखना हर किसी के लिए आसान नहीं होता.किसी को धारदार हथियार से मार डालना हो या घर में घुसकर चोरी करना. रेप करने से लेकर आत्महत्या करने तक इन तमाम अपराधों का सिर्फ तनाव, बदला या रंजिश से कनेक्शन नहीं होता बल्कि मौसम से भी ताल्लुक होता है. यह दावा हम नहीं कर रहे बल्कि खुद चिकित्सक और पुलिस के आला अधिकारी कहते हैं. मस्तिष्क आपके पूरे शरीर को चलाता है जिसे हम शरीर का सीपीयू भी बोलते हैं. जिस प्रकार से हमारा मस्तिष्क हमें संकेत देता है उस हिसाब से ही हम चलते हैं.
ठंड में लूट, गर्मी में हत्या
अपराधों के मौसमी होने की बात पर जबलपुर रेंज के आईजी भगवत सिंह चैहान ने भी मुहर लगाई है. अपने 25 साल से ज्यादा के अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने कहा यह बात सही है कि जिस प्रकार से मौसम बदलता है उस हिसाब से मनोवृति में भी बदलाव आता है. जैसे बारिश के मौसम में अमूमन जमीन संबंधी घटनाएं हों या फिर ठंड के मौसम में लूट डकैती की. गर्मी के मौसम में हत्या, चाकूबाजी और रेप की वारदातें बढ़ती हैं.मौसम का मन पर असर
जबलपुर जिले के सीएमएचओ और मनोचिकित्सक डॉ रत्नेश कोरिया का कहना है वातावरण पर पड़ने वाला असर याने की मौसमी बदलाव आपकी मनो स्थिति पर असर डालता है. अमूमन बरसात के मौसम में नमी आती है और वातावरण में ठंडक घुलती है तो लोग डिप्रेशन का शिकार होते हैं. वह आत्महत्या जैसा आत्मघाती कदम उठाते हैं. वहीं जब तापमान बढ़ता है यानि होली के बाद हत्या जैसी वारदात बढ़ती हैं. इसका सीधा ताल्लुक वातावरण में पड़़ रहे असर और मनोस्थिति में बदलाव से होता है.
एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक
– वर्ष 2016 में मध्य प्रदेश में कुल 365154 अपराध दर्ज किए गए
– वर्ष 2017 में 379682 अपराध दर्ज हुए.
– जबकि वर्ष 2018 में अपराध का ग्राफ घटकर 405129 हो गया
– अकेले वर्ष 2018 में मध्यप्रदेश में हत्या के 3789 मुकदमे दर्ज हुए जबकि धारा 304 के 280 और धारा 304 ए के 23060 मुकदमे दर्ज हुये
-इस तरह साल 2018 में अटेम्प्ट टू मर्डर के 3787मामले दर्ज हुए
-साल 2018 में आत्महत्या करने के 356 मामले भी सामने आए
– इसी साल 2018 में मारपीट चाकूबाजी और किसी भी तरीके से चोट पहुंचाने वाले कुल 8380 मुकदमे दर्ज किए गए
एनसीआरबी में दर्ज ये अपराध मौसम बदलने के अनुसार ही घटित हुए. अगर निचोड़ समझें तो गर्मी के दिनों यानि मार्च से लेकर मई तक रेप ,हत्या, चाकूबाजी और मारपीट की वारदातें ज्यादा देखी गयीं. वहीं जून से लेकर अक्टूबर के बीच आत्महत्याओं के मामले बढ़े.अक्टूबर से लेकर फरवरी के बीच लूट नकबजनी ,डकैती समेत अन्य वारदातें हुईं.