Ratlam की इस अदालत में होती है हर मामले की सुनवाई, यहां कोई केस पेंडिंग नहीं
घर के आपसी विवाद (Family dispute), खेती (agriculture) का झगड़ा हो या पैसों के लेनदेन जैसे मामले. सभी कुछ इसी अदालत में सुने जाते हैं और सर्वमान्य फैसले किए जाते हैं
आज के इस कलयुग में मध्यप्रदेश के रतलाम के एक गांव में ऐसी अदालत लगती है जिसके प्रति ग्रामीणों में अटूट आस्था है. ये है रतलाम का सिमलावदा गांव. यहां मंदिर के परिसर में अदालत लगती है. लोग इसे भोलेनाथ की अदालत कहते हैं. 27 साल से भगवान भोलेनाथ क़ि ये अदालत मंदिर प्रांगण में लगातार चल रही है. न्याय यहां गांव वालों की 108 सदस्यों की समिति करती है. लेकिन ये सभी सदस्य भगवान् शिव को साक्षी मानकर फैसला सुनाते हैं.
हर झगड़े का फैसला भोलनाथ की अदालत में
घर के आपसी विवाद, खेती का झगड़ा हो या पैसों के लेनदेन जैसे मामले. सभी कुछ इसी अदालत में सुने जाते हैं और सर्वमान्य फैसले किए जाते हैं.यहां गांव का हर छोटा-बड़ा मसला और झगड़ा आपसी सहमति से सुलझाया जाता है. ज़रूरत पड़ने पर समिति के लोग मौके पर जाकर फैसला सुनाते हैं. मंदिर क़ि इस समिति में गांव के बुजुर्गो के साथ ही पढ़े लिखे युवा भी शामिल हैं. जो पूरे तथ्यों को परखकर और सभी पक्षों की बात सुनकर फैसला सुनाते हैं. ग्रामीणों के अनुसार भगवान् भोलेनाथ में लोगो क़ि ऐसी आस्था है की पक्ष- विपक्ष दोनों इस अदालत का फैसला मान लेते हैं. वे ना तो थाने जाते हैं और न ही कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाते हैं. गांव के सभी विवादों का फैसला यहीं हो जाता है.हर काम से पहले बाबा को प्रणाम
यहां ग्रामीणों की भगवान भोलेनाथ में ऐसी आस्था है क़ि अगर कहीं कोई विवाद या मसला पुलिस में पहुंच गया तो लोग थाने या कोर्ट जाने से पहले यहां मंदिर में आकर माथा टेकते हैं फिर आगे बढ़ते हैं.