दलबदलुओं को MP के पूर्व वित्त मंत्री ने दिया श्राप, कहा- ऐसे नेताओं को भगवान माफ नहीं करेंगे | jabalpur – News in Hindi

दलबदलुओं को MP के पूर्व वित्त मंत्री ने दिया श्राप, कहा- ऐसे नेताओं को भगवान माफ नहीं करेंगे | jabalpur – News in Hindi


मध्य प्रदेश के पूर्व वित्त मंत्री तरुण भनोट ने सत्ता के लालच में दलबदलने वाले नेताओं पर जमकर निशाना साधा है

मध्य प्रदेश कांग्रेस (MP Congress) के नेता तरुण भनोट (Tarun Bhanot) ने कहा, सिर्फ इस लालच में कि सत्ता चली गई है नेताओं को पाला बदल लेनी चाहिए. क्या उन्हें जनता से गद्दारी करनी चाहिए. यह तो वो ही बात हुई कि सेवा के नाम पर वोट मांगा और मेवा खा कर भाग निकले

जबलपुर. मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के पूर्व वित्त मंत्री तरुण भनोट (Tarun Bhanot) ने राजनीति में पाला बदलने वालों पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि जो लोग भी ऐसा काम कर रहे हैं उन्हें भगवान कभी माफ नहीं करेगा. ऐसा कर के नेता खुद सवालों के घेरे में आ रहे हैं. क्या किसी राजनेता को अपनी मातृसंस्था छोड़ देनी चाहिए, वो भी सिर्फ इस लालच में कि सत्ता चली गई है. क्या उन्हें जनता से गद्दारी करनी चाहिए. यह तो वो ही बात हुई कि सेवा के नाम पर वोट मांगा और मेवा खा कर भाग निकले. दरअसल भनोट ने यह बयान देकर कांग्रेस (Congress) से बीजेपी (BJP) में जाने वाले विधायक प्रद्युम्न लोधी पर निशाना साधा है. लोधी ने दो दिन पहले कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी जॉइन कर ली थी. बदले में बीजेपी ने उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा देकर नवाजा है.

‘जिसे जहां जाना हो चले जाए, यह सौदेबाजी की राजनीति है’
वहीं राजस्थान के बदलते राजनीतिक हालात के मध्य प्रदेश कनेक्शन की बात भी कही जा रही है. खबर थी कि रविवार को दिल्ली में ज्योतिरादित्य सिंधिया से मिलने के बाद सचिन पायलट ने बागी तेवर अपनाए थे. इसके बाद अटकलें लगने लगी थी कि राजस्थान कांग्रेस के कई विधायक पार्टी छोड़ कर बीजेपी में जा सकते हैं. इस सियासी घटनाक्रम पर भी भनोट खुल कर बोले. उन्होंने कहा कि सत्ता में बने रहने के लिए इस प्रकार की सौदेबाजी की राजनीति की जा रही है. सत्ता में बने रहने के लिए जिसको जहां जाना है चले जाए, किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता. क्योंकि जनता देख रही है. स्पष्ट है कि नेता ऐसी हरकत कर के सबके सामने जगजाहिर हो रहे हैं.

उन्होंने उम्मीद जताई कि छोटे दिल वाले और स्वार्थी लोगों को राजनीति में नहीं आना चाहिए. बेहतर है कि वो अपने घर पर ही रहें. जनसेवा में ऐसे लोगों की जरूरत बिल्कुल नहीं होती. वक्त आने पर जनता अपना निर्णय जरूर सुनाएगी.





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