After 5 years of becoming an IAS, tweeted the marksheet and said – I got 24 marks in chemistry, but knew that these will not decide my future. | आईएएस नितिन सांगवान ने अपनी 12वीं की मार्कशीट ट्वीट कर बताया, केमिस्ट्री में मुझे सिर्फ 24 मार्क्स मिले थे

After 5 years of becoming an IAS, tweeted the marksheet and said – I got 24 marks in chemistry, but knew that these will not decide my future. | आईएएस नितिन सांगवान ने अपनी 12वीं की मार्कशीट ट्वीट कर बताया, केमिस्ट्री में मुझे सिर्फ 24 मार्क्स मिले थे


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3 घंटे पहले

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  • 2015 में नितिन सांगवान ने क्लियर की थी UPSC परीक्षा
  • आईएएस नितिन सांगवान कहते हैं – लोगों को मार्क्स की चिंता करते देख लगा कि मेरी हालत तो इनसे ज्यादा खराब थी

15 जुलाई को CBSE ने 10वीं कक्षा के परिणाम जारी किए। इसके दो दिन पहले 12वीं का रिजल्ट घोषित हुआ था। रिजल्ट आने के कुछ घंटों बाद ही टॉपर्स की सक्सेस के किस्से वायरल होने लगे। हर कोई या तो अपने हाई स्कोर की कहानी बताना चाहता था। या फिर किसी दूसरे ने हाई स्कोर कैसे हासिल किया ये जानना चाहता था। लेकिन, इसी बीच एक आईएएस अधिकारी के ट्वीट ने हाई स्कोर की इस होड़ के बीच बच्चों के साथ पैरेंट्स को भी थोड़ा ठहर कर सोचने पर मजबूर किया। 

नितिन सांगवान ने 2015 में लोक सेवा आयोग ( UPSC) परीक्षा क्लियर की थी। इस सफलता के पांच साल बाद यानी 14 जुलाई 2020 को, जब लोग 12वीं में 99% लाने वालों की कहानियों में मशगूल थे। आईएएस नितिन सांगवान ने अपनी 12वीं कक्षा की मार्कशीट ट्वीट की। ये कोई टॉपर की मार्कशीट नहीं थी। न ही इसमें किसी विषय में प्राप्त अंकों के आगे 100 लिखा था। बल्कि मार्कशीट पर केमिस्ट्री विषय में अभ्यर्थी को मात्र 24 मार्क्स मिले दिख रहे हैं। 

नितिन सांगवान ने ट्वीट कर इन्हीं 24 मार्क्स की तरफ स्टूडेंट्स का ध्यान आकर्षित करते हुए लिखा – 12वीं कक्षा में केमिस्ट्री में मुझे 24 मार्क्स मिले थे। ये पासिंग मार्क्स से सिर्फ एक अंक ज्यादा था। लेकिन इन मार्क्स से यह तय नहीं हुआ कि मुझे अपने जीवन से क्या चाहिए। बच्चों पर मार्क्स का प्रेशर मत बनाइए। जिंदगी बोर्ड एग्जाम से कहीं ज्यादा है। रिजल्ट को आत्मनिरीक्षण का मौका समझें, न कि क्रिटजिज्म का।

मार्क्स को लेकर फैली चिंता को देख आया मार्कशीट शेयर करने का विचार

न्यूज चैनल NDTV से बातचीत में नितिन सांगवान ने कहा कि जब मैंने दोस्तों और परिवार के लोगों को मार्क्स को लेकर चिंतित देखा। तो लगा कि मेरी हालत तो इससे ज्यादा खराब थी। यहीं से आइडिया आया कि मार्कशीट शेयर कर लोगों को बताया जाए कि जब मैं जीवन में इतना कर सकता हूं। तो वो भी काफी कुछ कर सकते हैं।

10वीं और 12वीं माइलस्टोन होते हैं, पर भविष्य इनका मोहताज नहीं

आईएएस नितिन सांगवान कहते हैं- 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं निश्चित तौर पर करियर का माइलस्टोन होती हैं। लेकिन, सिर्फ यही एग्जाम आपका भविष्य तय नहीं करते। मार्कशीट ट्वीट करके यही बताना चाहता था। हमें समझना होगा कि सफलता डिग्री या मार्कशीट पर निर्भर नहीं करती। और वैसे भी एजुकेशन का मूल उद्देश्य मार्क्स पाना बिल्कुल भी नहीं है।

सोशल मीडिया से बढ़ गया है दबाव 

नितिन सांगवान का मानना है कि सोशल मीडिया के दौर में स्टूडेंट्स पर मार्क्स के दबाव का दायरा बढ़ गया है। इसलिए पैरेंट्स और घर के अन्य लोगों को बच्चों को और ज्यादा प्रोत्साहित करने की जरूरत है।   

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