How Rahul Dravid made a comeback after being dropped from Team India in 1998

How Rahul Dravid made a comeback after being dropped from Team India in 1998


नई दिल्ली: महान भारतीय बल्लेबाज राहुल द्रविड़ (Rahul Dravid) को यूं ही ‘द वॉल’ नहीं कहा जाता. द्रविड़ को धैर्य, ढृढ़ता और संयम की मिसाल माना जाता है. वैसे तो द्रविड़ का करियर बहुत लंबा था और उन्होंने कई रिकॉर्ड भी अपने नाम दर्ज किए पर इस सबके बावजूद द्रविड़ ने कई उतार-चढ़ाव भी देखे. इन्हीं उतार-चढ़ावों में एक था साल 1998 में भारतीय वनडे टीम से उन्हें बाहर किया जाना. अब द्रविड़ ने उस दौर को याद करते हुए बताया है कि दरअसल चयनकर्ताओं ने उन पर टेस्ट क्रिकेटर होने का टैग लगा दिया था और इसी वजह से उन्हें टीम से निकाल दिया गया था. द्रविड़ ने आगे ये भी बताया कि सिलेक्टर्स ने उन पर आरोप लगाया था कि उनकी बल्लेबाजी वनडे क्रिकेट के अनुकूल नहीं है.

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हालांकि अगले साल ही, यानि 1999 में द्रविड़ की टीम में वापसी हो गयी थी और उस साल इंग्लैंड में हुए वर्ल्ड कप में अपनी शानदार बल्लेबाजी से द्रविड़ ने न सिर्फ चयनकर्ताओं को मुंह तोड़ जवाब दिया था, इसके साथ ही उन्होंने उन भारतीय फैंस का दिल भी जीत लिया था जो उन्हें पूरी तरह से नापसंद करते थे. द्रविड़ ने उस टूर्नामेंट के दौरान दो ऐसी पार्टनरशिप्स की थीं जो आज भारतीय क्रिकेट इतिहास का हिस्सा हैं. पूर्व भारतीय बल्लेबाज डब्ल्यू वी रमन (WV Raman) के साथ एक खास बातचीत के दौरान द्रविड़ ने इस किस्से को याद किया और उस वक्त उनके मन में जो असुरक्षा की भावना थी उसके बारे में बताया.  

द्रविड़ ने कहा, ‘मेरे अंतर्राष्ट्रीय करियर में इस तरह का दौर था. 1998 में मुझे वनडे टीम में से हटा दिया गया था. मुझे वापसी के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी थी. मैं एक साल के लिए टीम से बाहर था. इस तरह की अनिश्चित्ता थी कि क्या मैं वनडे के लिए सही खिलाड़ी हूं या नहीं क्योंकि मैं हमेशा से टेस्ट खिलाड़ी बनना चाहता था. मेरी कोचिंग भी टेस्ट खिलाड़ी की तरह हुई थी. गेंद को नीचा रखकर मारो. गेंद को हवा में मत मारो. मेरी कोचिंग इस तरह की थी.आप चिंता में आ जाते हो कि आपके पास वनडे के लिए स्किल्स हैं या नहीं.’

यहां आपको याद दिला दें कि एक साल वनडे टीम से बाहर रहने के बावजूद द्रविड़ ने वनडे क्रिकेट में 10 हजार रन बनाए. इतना ही नहीं द्रविड़ टेस्ट क्रिकेट में 10 हजार रन बनाने वाले तीसरे भारतीय बल्लेबाज बने. उनसे पहले सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar) और सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) ने यह मुकाम हासिल किया था. डब्ल्यू वी रमन के साथ बातचीत के दौरान द्रविड़ ने यह भी बताया कि अपनी रिटायमेंट के बाद वो पूरी तरह से असमंजस थे कि अब क्या करेंगे? ऐसे में पूर्व कप्तान कपिल देव (Kapil Dev) की सलाह ने उन्हें एक नई दिशा दिखाई और वो क्रिकेट कोच बन गए.





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