Corona with pneumonia has so far taken 10 lives | निमोनिया के साथ कोरोना अब तक ले चुका है 10 जानें

Corona with pneumonia has so far taken 10 lives | निमोनिया के साथ कोरोना अब तक ले चुका है 10 जानें


ग्वालियर3 मिनट पहले

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  • मौसम बदलने के साथ ही और घातक होता जा रहा है कोरोना संक्रमण

मौसम बदलने के साथ कोरोना संक्रमण घातक होता जा रहा है। खासतौर से उन लोगों के लिए जिन्हें डायबिटीज के साथ दिल की बीमारी या अन्य कोई गंभीर बीमारी भी है। ऐसे मरीजों को वायरल जनित निमोनिया के साथ कोरोना संक्रमण हुआ तो उनकी हालत बिगड़ने की संभावना ज्यादा है। ऐसे लोगों की इलाज के दौरान मौत के 10 मामले अब तक सामने आ चुके हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि हार्ट व डायबिटीज के मरीज में कोरोना संक्रमण के साथ वायरल जनित निमाेनिया होना काफी घातक है। इसलिए डायबिटीज और हार्ट के मरीज को यदि खांसी के साथ-साथ सांस लेने में तकलीफ महसूस हो तो उसे तुरंत विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए। समय रहते अगर निमोनिया का पता चल जाता है, तो उसका इलाज कर रोगी को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है।  काेरोना संक्रमण के घातक असर से जुलाई के 19 दिनों में ही ग्वालियर के 5 मरीजों की मौत हुई है। सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में मरने वाले इन मरीजों को कोरोना के साथ डायबिटीज व हार्ट या अन्य गंभीर बीमारी पहले से थी। कोरोना वायरस या कोविड 19 अनजान कारणों से निमोनिया जैसी बीमारी के साथ ही सामने आया। बाद में पता चला कि इस बीमारी का कारण सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम कोरोना वायरस 2 या सार्स कोरोना वायरस-2 है। इसमें शुरुआत में हल्की सर्दी-जुकाम जैसे लक्षण होते हैं। डब्लूएचओ के मुताबिक, कोरोना संक्रमित 80% लोग बिना किसी खास इलाज के ठीक हो जाते हैं। 

विशेषज्ञों की सलाह 
हल्की खांसी के साथ सांस लेने में तकलीफ हो तो विशेषज्ञ को दिखाएं
अधिक उम्र वाले, डायबिटीज, हार्ट पेशेंट या अन्य किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे कोविड मरीजों में निमोनिया बहुत ज्यादा घातक है। इसलिए ऐसे लोगों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। डायबिटीज व हार्ट के पेशेंट को अपना चेकअप कराना चाहिए। अगर हल्की खांसी के साथ सांस लेने में परेशानी आ रही है या सांस फूल रही है तो तत्काल विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए।
डॉ. राकेश गहरवार, एसोसिएट प्रोफेसर, मेडिसिन विभाग जीआरएमसी

कोविड मरीज में निमोनिया होने से दूसरे अंग भी काम करना कर देते हैं बंद
60 साल से अधिक उम्र, मोटापा, डायबिटीज व हार्ट, किडनी व लिवर संबंधी बीमारी से जो पीड़ित हैं ऐसे मरीज हाईरिस्क जोन में हैं। ऐसे मरीजों में कोरोना निमोनिया का रूप ले लेता है, जो कि एआरडीएस में परिवर्तित हो जाता है। जो गंभीर स्थिति है। सीवियर निमोनिया से डीआईसी की स्थिति निर्मित हो जाती है जिसमें खून की नलियों में थक्के जम जाते हैं। इससे बीपी कम होने के साथ दूसरे अंग काम करना बंद कर देते हैं।  
डॉ अजय पाल सिंह, प्रोफेसर, जीआरएमसी

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