शिवराज सरकार को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस, कैबिनेट को लेकर पूर्व स्पीकर ने दायर की याचिका | jabalpur – News in Hindi

शिवराज सरकार को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस, कैबिनेट को लेकर पूर्व स्पीकर ने दायर की याचिका | jabalpur – News in Hindi


मंत्रिमंडल गठन के साथ ही यह बात उठ रही थी कि नियम के विपरीत जाते हुए मंत्रिमंडल सदस्यों की संख्या ज्यादा कर दी गई है

धारा 164ए के तहत विधानसभा (MP Assembly) की कुल सदस्यों के 15 प्रतिशत सदस्य ही मंत्री बनाए जा सकते हैं. इसका कुल आंकड़ा सिर्फ 30 मंत्रियों का होता है. बावजूद इसके शिवराज सरकार में चार मंत्री (Ministers) ज्यादा बना दिए गए हैं.

जबलपुर. मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) विधानसभा (Assembly) के पूर्व अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने शिवराज मंत्रिमंडल के आकार को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. उन्होंने कोर्ट में याचिका दायर कर सवाल उठाया है कि शिवराज मंत्रिमंडल (Shivraj Cabinet) का आकार विधानसभा में सदस्यों की संख्या को देखते हुए वैधानिक व्यवस्था के खिलाफ है. इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने राज्य के सीएम शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) और मुख्य सचिव को नोटिस जारी किया है.

मध्य प्रदेश विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर शिवराज मंत्रिमंडल के विस्तार का मुद्दा उठाया है. याचिका में कहा गया है कि वर्तमान विधानसभा सदस्यों की संख्या के मुताबिक 34 मंत्री नहीं बनाए जा सकते. विधानसभा में जितनी सदस्य संख्या है उसके हिसाब से विधानसभा सदस्यों की 15% संख्या से ज्यादा मंत्री नहीं बनाए जा सकते. ये वैधानिक व्यवस्था है. लेकिन शिवराज मंत्रिमंडल में तय संख्या से ज़्यादा मंत्री बनाए गए हैं. प्रजापति ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.

सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस
मध्य प्रदेश विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष एनपी प्रजापति की इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के सीएम शिवराज सिंह चौहान और मुख्य सचिव को नोटिस जारी किया है. प्रजापति की ओर से सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और विवेक तनखा ने पक्ष रखा.ये है पूरा मामला

मध्यप्रदेश विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति ने याचिका दायर करते हुए मंत्रिमंडल विस्तार को चुनौती दी. याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और विवेक तनखा ने दलील दी कि प्रदेश में हुआ मंत्रिमंडल विस्तार संविधान के अनुच्छेद 164 1ए का स्पष्ट उल्लंघन है. आर्टिकल 32 के तहत दायर याचिका में मुद्दा उठाया गया है कि हाल ही में शिवराज सरकार ने 28 मंत्रियों की नियुक्ति की है, जबकि पूर्व में पहले से ही छह मंत्री नियुक्त किए गए थे. इस लिहाज से मध्य प्रदेश में मंत्रिमंडल में सदस्यों की कुल संख्या 34 हो गई है.

अगर नियम की बात की जाए तो धारा 164ए के तहत विधानसभा की कुल सदस्यों के 15 प्रतिशत सदस्य ही मंत्री बनाए जा सकते हैं. जिसका कुल आंकड़ा सिर्फ 30 मंत्रियों का होता है. बावजूद इसके चार मंत्री ज्यादा बना दिए गए हैं. याचिकाकर्ता की दलील को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान को नोटिस जारी कर दिए हैं. गौरतलब है कि मंत्रिमंडल गठन के साथ ही यह बात उठ रही थी कि नियम के विपरीत जाते हुए मंत्रिमंडल सदस्यों की संख्या ज्यादा कर दी गई है जो कानून का स्पष्ट उल्लंघन है. अब पूरे मामले को लेकर विपक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का रास्ता अख्तियार किया है.





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