भोपाल20 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
- सहयाेगी संस्था मध्य भारत कंसाेर्टियम ऑफ फार्मर्स मैदानी क्रियान्वयन का काम संभाल रही है
अनूप दुबाेलिया, इस बार ऑफ सीजन (अगस्त से नवंबर) में आपको 5-6 गुना महंगे दाम पर प्याज नहीं खरीदना पड़ेगा। वजह- महाराष्ट्र के नासिक की तर्ज पर अब मप्र में भी प्याज के संग्रहण का काम शुरू हाे गया है। केंद्र की मूल्य स्थिरीकरण याेजना के तहत नेशनल एग्रीकल्चर मार्केटिंग फेडरेशन (नाफेड) काे यह जिम्मा साैंपा गया है। सहयाेगी संस्था मध्य भारत कंसाेर्टियम ऑफ फार्मर्स मैदानी क्रियान्वयन का काम संभाल रही है।
कंसाेर्टियम के सीईओ याेगेश द्विवेदी ने बताया कि मप्र में 80 फीसदी प्याज का भंडारण हाे चुका है। द्विवेदी के मुताबिक प्याज उत्पादक किसानाें के घर पहुंचकर टीम पंजीयन कर रही है। इन दिनाें राेजाना 80 से लेकर 100 ट्राली इन केंद्राें पर पहुंच रही हैं। संग्रहण केंद्र पर साफ-सुथरे माल काे खरीद लिया जाता है। मूल्य निर्धारण समिति द्वारा तय दाम पर खरीदी होती है।
नासिक की तर्ज पर अमलाहा में बना संग्रहण केंद्र…. इसकी क्षमता 10 हजार मीट्रिक टन
हार्टीकल्चर के तय मापदंडाें के मुताबिक ये कांक्रीट के बेस पर बांस और टीन की चादराें से बने हैं। इनकी डिजाइन ऐसी है कि हवा क्राॅस हाेती रहे। यहां प्याज जमीन से दाे फीट ऊपर रखे जाते हैं, ताकि बारिश-नमी से प्याज खराब न हो।
खाचरोद में भी है ऐसा ही केंद्र
मप्र में भाेपाल के नजदीक अमलाहा में 10 हजार मीट्रिक टन और उज्जैन के खाचरोद में 5 हजार मैट्रिक टन का संग्रहण केंद्र बनाया गया है। प्रदेश में अब तक 80 फीसदी प्याज का संग्रहण हो चुका है।
उपभोक्ता और किसान दोनों को फायदा इस बार ऑफ सीजन में प्याज के दाम नहीं बढ़ेंगे। मप्र में भी भंडारण के लिए केंद्र खाेले गए हैं। इस याेजना से उपभाेक्ता व किसान दाेनाें काे फायदा हाेगा। एसके सिंह, एडिशनल एमडी, नाफेड, दिल्ली
0