नागदा13 मिनट पहले
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बायपास कस्तूरबा छात्रावास के समीप की जमीन राजस्व विभाग द्वारा नगरपालिका को आवंटित की गई थी। नगरपालिका द्वारा यहां गार्डन और पेयजल टंकी का निर्माण करने वाली थी। इसे लेकर बीते डेढ़ साल से किसानों द्वारा विरोध किया जा रहा था। इससे मामला अटका हुआ था।
तहसीलदार विनोद शर्मा द्वारा किसानों और नपा अधिकारियों से चर्चा के बाद मामले का पटाक्षेप कराया गया। इसके बाद यहां पेयजल टंकी का निर्माण कार्य शुरू हो गया है, हालांकि नपा ने गार्डन के लिए अब दूसरी जमीन का प्रस्ताव तैयार किया है। इससे किसानों को भी काेई आपत्ति नहीं है। वहीं किसानों की मांग के अनुरुप सीमांकन के आदेश भी राजस्व निरीक्षक को दिए गए हैं।
44 साल पुरानी पेयजल टंकी हो चुकी है जर्जर:
नपा द्वारा बायपास कस्तूरबा छात्रावास के पास पेयजल टंकी निर्माण का उद्देश्य भी साफ है। यह इलाका ऊंचाई पर स्थित है, ऐसे में यहां टंकी निर्माण के बाद क्षेत्रों में पेयजल सप्लाई करने में सुविधा हाेगी। वर्तमान में जन्मेजय मार्ग स्थित पानी की टंकी 44 साल पुरानी हो गई है। 1976 में बनी इस टंकी में 5 लाख लीटर जल संग्रहण की क्षमता है।
टंकी से सरिए झांकने लगे और सीढ़ियां टूट गई। बावजूद इसी से पानी सप्लाई किया जा रहा है। जबकि दो साल पहले इसे डिसमेंटल करने के आदेश भी हुए थे। इस टंकी से वार्ड 1 से 12 तक के रहवासियों को पानी सप्लाई किया जाता है। नवीन पेयजल टंकी से भी इन क्षेत्रों को ही पानी देने की योजना है।
किसानाें की इन मांगों पर दिया असश्वासन
किसानाें द्वारा पेयजल टंकी निर्माण के पहले अपनी मांगें रखी गई थी। इसमें आवागमन के रास्ते को कोई नुकसान नहीं पहुंचाने, निजी जमीन छोड़कर कार्य करने, नाथ गोस्वामी समाज की समाधियों को क्षति नहीं पहुंचाने, जमीन में स्थित सिंचाई की पाइपलाइन को कोई नुकसान नहीं पहुंचाने, बच्चों के कच्चे श्मशान की जमीन का उपयोग नहीं करने, चंद्रवंशी समाज के आराध्य देव जुझार महाराज के मंदिर को क्षति नहीं पहुंचाने की बातों पर सहमति बनने के बाद यहां निर्माण कार्य शुरू हुआ। वहीं किसानों की निजी जमीन के सीमांकन के भी आदेश दिए गए। तहसीलदार विनाेद शर्मा ने बताया कि जमीन नपा को अलाट की गई थी। किसानों की कुछ समस्या थी, उसे हल कर निर्माण कार्य शुरू करा दिया गया है।
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