When India lost the Women’s World Cup 2017 final to England by 9 runs

When India lost the Women’s World Cup 2017 final to England by 9 runs


नई दिल्ली: साल 2017, लॉर्ड्स का ऐतिहासिक मैदान और इंग्लैंड और भारतीय महिला टीमों के बीच वर्ल्ड कप के फाइनल में बेहद ही रोमांचक मुकाबला,  सच कहा जाए तो ये कोई साधारण मुकाबला नहीं था. इस मैच में भारतीय क्रिकेट टीम मैदान पर ऐसे उतरी थी, जैसे जंग पर जाने वाले सैनिक घर से रवाना होते हैं. यह वो मैच था जिसमें भारतीय महिलाओं ने अपना जी जान लगा दिया था और एक बार को तो ऐसा लगने लगा था जैसे मिताली की सेना इतिहास रच ही देगी पर किस्मत को तो कुछ और ही मंजूर था. अंत में वो हुआ जिसकी उम्मीद किसी भी भारतीय फैन को नहीं थी क्योंकि इंडियन टीम सिर्फ 9 रन से फाइनल हार गयी और वर्ल्ड कप जीतने का इस टीम का सपना, सपना ही रह गया.

यह भी पढ़ें- लाहौर में जन्मे दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेटर इमरान ताहिर को आज भी है इस एक चीज का अफसोस

इस फाइनल मुकाबले में इंग्लैंड की कैप्टन हीथर नाइट ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया और भारतीय टीम को विश्व कप जीतने के लिए 229 रनों का लक्ष्य दिया पर टीम इंडिया जवाब में सिर्फ 219 रन ही बना सकी. इंग्लैंड ने इस मैच में धीमी शुरूआत की थी लेकिन सारा टेलर और नताली सीवर की 83 रन की अहम साझेदारी की बदौलत उनकी पारी को कुछ गति मिली. इसके बाद अनुभवी भारतीय गेंदबाज झूलन गोस्वामी का जादू चला और उन्होंने एक के बाद एक तीन इंग्लिश बल्लेबाजों को पवेलियन वापस भेज दिया.

झूलन की बेहतरीन गेंदबाजी के बावजूद भारतीय टीम इस जबरदस्त मौके को भुनाने में नाकामयाब रही और इंग्लैंड पारी के आखिरी क्षणों में कैथरीन ब्रंट और जेनी गुन की सूझबूझ भरी बल्लेबाजी के दम पर एक चुनौतीपूर्ण स्कोर खड़ा करने में सफल रही. इंग्लैंड की पारी में सराह टेलर के 45 रन, नताली सीवर के अर्धशतक और कैथरीन ब्रंट के 34 रनों का महत्वपूर्ण योगदान रहा.

लक्ष्य का पीछा करते हुए भारतीय टीम की शुरूआत कुछ खास अच्छी नहीं रही और टीम ने अपने 2 महत्वपूर्ण विकेट जल्दी ही गंवा दिए. इस खराब शुरूआत के बाद भारत को एक पार्टनरशिप की जरूरत थी, जोकि मिली भी क्योंकि पूनम राउत (86) और हरमनप्रीत कौर (51) ने तीसरे विकेट के लिए 95 रन जोड़े. लेकिन जैसे ही भारत ने हरमनप्रीत कौर और पूनम राउत के विकेट खोए, भारतीय पारी लगातार लड़खड़ाती ही चली गयी. 

एक समय भारत का स्कोर तीन विकेट पर 191 रन था और उसे मैच जीतने के लिए सिर्फ 38 रनों की जरूरत थी, लेकिन इंग्लिश गेंदबाज श्रबसोले ने मैच का पूरा पासा ही पलटकर रख दिया. श्रबसोले ने न सिर्फ भारत की आखिरी उम्मीद वेदा कृष्णमूर्ति (35) का विकेट लिया, इसके साथ ही अपने करियर का बेस्ट प्रदर्शन करते हुए उन्होंने 46 रन देकर 6 भारतीय बल्लेबाजों के विकेट लिए और भारत के हाथों में आई हुई जीत छीन ली.

यह पहला मौका नहीं था जब भारतीय महिला टीम वर्ल्ड कप के फाइनल में हारी थी. साल 2005 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टीम इंडिया को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था पर उस हार को टीम ने भुला दिया था. जबकि इंग्लैंड से मिली हार जख्मों पर नमक छिड़कने जैसी थी क्योंकि इस मैच के आखिरी 7 ओवर्स को छोड़ दिया जाए तो भारतीय टीम का पलड़ा इंग्लैंड पर पूरी तरह से भारी था पर वो कहते हैं न वक्त से पहले आज तक किसा को कुछ नहीं मिला. शायद अभी टीम इंडिया का वक्त नहीं आया था, लेकिन हर भारतीय को टीम इंडिया के प्रदर्शन पर उस दिन भी गर्व था, आज भी गर्व है और हमेशा रहेगा. 





Source link