When we saw patients wandering, they started treatment at their own expense | मरीजों को भटकते देखा तो खुद के खर्चे पर करने लगे इलाज, अब तक 400 मरीजों की सैंपलिंग कराई

When we saw patients wandering, they started treatment at their own expense | मरीजों को भटकते देखा तो खुद के खर्चे पर करने लगे इलाज, अब तक 400 मरीजों की सैंपलिंग कराई


उज्जैन12 मिनट पहले

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उज्जैन में कोरोना मरीजों का मुफ्त इलाज करने वाले डॉाक्टरों की टीम।

  • उज्जैन के 58 निजी डॉक्टर्स 83 दिनों से कोरोना मरीजों के इलाज में जुटे
  • आयुष विभाग ने इनमें से 7 डॉक्टर्स की सेवाएं सरकारी तौर पर लेना शुरू किया

(रामसिंह चौहान) उज्जैन के 58 प्राइवेट डॉक्टर 83 दिनों से कोरोना मरीजों का मुफ्त इलाज कर रहे हैं। इनमें से 7 डॉक्टरों की सेवाएं आयुष विभाग ने सरकारी तौर पर लेनी शुरू कर दी है। डॉक्टरों की यह टीम अब तक 400 लोगों की सैंपलिंग करा चुकी है।

यह उज्जैन के उन 58 निजी डॉक्टर्स के जज्बे और जुनून की कहानी है, जो अपनी जान की परवाह किए बिना कोरोना मरीजों के इलाज में जुटे हुए हैं। सुबह होते ही क्षेत्रों में निकल जाना, मरीजों का सर्वे करना और सैंपल लेना इनकी दिनचर्या है। इन डॉक्टरों ने मरीजों को इलाज के लिए इधर-उधर भटकते हुए देखा तो निर्णय लिया कि मरीजों का मुफ्त इलाज करेंगे।

उज्जैन के पहले कंटेनमेंट जोन से शुरू किया अभियान
इन्होंने उज्जैन के पहले कंटेनमेंट क्षेत्र जानसापुरा से 5 मई से कोरोना को हराने के अभियान की शुरुआत की। यह वह क्षेत्र था, जहां पर दूसरी टीमें जाने से घबराती थीं। क्षेत्र के लोगों के अपशब्द सुनने के बाद भी ये डटे रहे। आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज में मरीजों के बीच जाकर योग और डांस कर उनका हौसला बढ़ाया। आयुष विभाग ने तो इनमें से 7 डॉक्टर की चिकित्सा सेवाएं सरकारी तौर पर लेना भी शुरू कर दिया है।

अब तक 400 लोगों की सैंपलिंग कराई
हालांकि ये डॉक्टर्स खुद के खर्चे पर लोगों को चिकित्सा सेवा दे रहे हैं। अब तक 400 मरीजों की सैंपलिंग करवा चुके हैं। वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति से जुड़े इन डॉक्टर्स ने लोगों के मन से कोरोना का डर भगाने का कार्य किया। स्थानीय डॉक्टर होने से लोगों ने इन पर भरोसा किया और जांच तथा इलाज के लिए तैयार हुए। मरीजों को प्राथमिक उपचार देने के साथ ही इन्होंने क्षेत्रों में सर्वे और सैंपलिंग का कार्य भी किया।

गर्भवती महिला को भटकते देखा तो निर्णय लिया
टीम लीडर डॉ. अकील खान का कहना है “भार्गव मार्ग पर रहने वाली शहाना पति अब्दुल रज्जाक जो कि गर्भवती थी। उसे भर्ती करने के लिए कोई भी अस्पताल तैयार नहीं था। महिला डिलीवरी के लिए यहां-वहां भटक रही थी। समय पर इलाज नहीं मिल पाने की वजह से महिला के बच्चे की मौत हो गई। उसके बाद महिला की भी मौत हो गई। उसके बाद टीम के सदस्यों से चर्चा कर निर्णय लिया कि मरीजों का इलाज करना है और उसके बाद मैदान में उतर गए।”

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