Physically Challenged Indian Cricket Team Captain Dinesh Sain Peon job Applies in NADA | दिव्यांग टीम के पूर्व कप्तान दिनेश सेन ने कहा- मान्यता नहीं मिलने से कई खिलाड़ी नौकरी के लिए भटक रहे, प्यून की जॉब भी नहीं मिल रही

Physically Challenged Indian Cricket Team Captain Dinesh Sain Peon job Applies in NADA | दिव्यांग टीम के पूर्व कप्तान दिनेश सेन ने कहा- मान्यता नहीं मिलने से कई खिलाड़ी नौकरी के लिए भटक रहे, प्यून की जॉब भी नहीं मिल रही


24 मिनट पहले

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दिनेश सेन के बाएं पैर में पोलियो हो गया था। उन्होंने 2015 से 2019 तक भारतीय फिजिकली चैलेंज्ड क्रिकेट टीम के लिए 9 मैच खेले हैं।

  • दिनेश सेन के परिवार का खर्च उनके बड़े भाई उठा रहे हैं, वे डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में भी प्यून के लिए इंटरव्यू दे चुके
  • उन्होंने 2015 में बांग्लादेश में 5 टीमों के टूर्नामेंट में 8 विकेट लिए थे, पाकिस्तान के खिलाफ 2 विकेट भी शामिल

फिजिकली चैलेंज्ड इंडियन क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान दिनेश सेन बेरोजगार हैं। बड़े भाई ही उनका परिवार का खर्च उठा रहे हैं। हाल ही में उन्होंने नेशनल एंटी-डोपिंग एजेंसी (नाडा) में प्यून की जॉब के लिए अप्लाई भी किया है। दिनेश ने भास्कर को बताया कि उनके जैसे दिव्यांग टीम के कई क्रिकेटर नौकरी के लिए दर-दर भटक रहे हैं। उन्हें प्यून की जॉब भी नहीं मिल पा रही है।

दिनेश ने भास्कर से कहा कि फिजिकली चैलेंज्ड टीम को भी भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीआई) से मान्यता मिलना चाहिए। साथ ही टीम के खिलाड़ियों को नौकरी में रिजर्वेशन देने के लिए पॉलिसी बनाया जाना चाहिए।

मान्यता नहीं होने के कारण नौकरी मिलने में दिक्कत
पूर्व कप्तान ने कहा, ‘‘फिजिकली चैलेंज्ड क्रिकेट को बीसीसीआई या केंद्र और राज्य सरकारों से मान्यता नहीं मिली है। ऐसे में इनके खिलाड़ियों को स्पोर्ट्स कोटे के तहत नौकरी में आरक्षण नहीं मिलती है। कहीं से मान्यता नहीं होने के कारण ही खिलाड़ी नौकरी के लिए दर-दर की ठोकर खाने के लिए मजबूर हैं।’’

दिनेश ने 2015 से 2019 तक भारतीय फिजिकली चैलेंज्ड क्रिकेट टीम के लिए 9 मैच खेले हैं।

दिनेश को जन्म के बाद ही बाएं पैर में पोलियो हो गया था। उन्होंने 2015 से 2019 तक भारतीय फिजिकली चैलेंज्ड क्रिकेट टीम के लिए 9 मैच खेले हैं। इस दौरान उन्होंने टीम की कप्तानी भी की है। 35 साल की उम्र में वह स्थायी नौकरी की तलाश में है। उनके परिवार में उनकी पत्नी और एक साल की बेटी है।

दिनेश ने पढ़ाई में ग्रेजुशन किया है
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने पढ़ाई में ग्रेजुएशन किया है। 12वीं के बाद से मैंने सिर्फ क्रिकेट खेला। करियर में मैंने भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व भी किया, लेकिन अब मेरे पास पैसे नहीं हैं। परिवार के खर्चे के लिए नौकरी की जरूरत है, इसलिए मैंने नाडा में प्यून के पद के लिए आवेदन किया है।’’

सरकारी नौकरी के लिए आखिरी मौका
दिनेश ने बताया कि उनके बड़े भाई ही अब तक पूरे परिवार का खर्च चला रहे हैं। वहीं उनके पास सरकारी नौकरी पाने का यह आखिरी साल है। वे 35 साल के हो चुके हैं। सरकारी नौकरी के लिए 25 साल की उम्र निर्धारित है, लेकिन दिव्यांग आरक्षण से उन्हें 10 साल की छूट मिली है। इससे पहले वे डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में भी प्यून के लिए इंटरव्यू दे चुके हैं।

देश के लिए खेलने के बावजूद नौकरी नहीं मिली, इसका अफसोस
दिनेश ने कहा, ‘‘मुझे इस बात का अफसोस है कि देश के लिए खेलने के बाद भी सरकारी नौकरी नहीं मिल पाई है। मैंने 2015 में बांग्लादेश में हुए 5 देशों के टूर्नामेंट में 8 विकेट लिए थे। पाकिस्तान टीम के खिलाफ भी 2 विकेट लिए थे। 2019 में इंग्लैंड जाने वाली टीम के साथ बतौर अधिकारी के रूप में गया, ताकि नए खिलाड़ियों का मार्गदर्शन कर सकूं।’’

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