माइक्रो बैक्टीरियम डब्ल्यू (MW) का देश के 4 AIIMS में ट्रायल किया जा रहा था.
माइक्रो बैक्टीरियम डब्ल्यू (MW) का उपयोग कुष्ठ (Leprosy) के साथ कुछ प्रकार के कैंसर में भी उपयोग किया जाता है. एक सेंटर में नेगेटिव इफेक्ट आने के बाद इस दवा के ट्रायल को रोग दिया गया है.
रायपुर में निगेटिव इफेक्ट
माइक्रो बैक्टीरियम डब्ल्यू यानि एमडब्ल्यू के इस ट्रायल को पहले भोपाल एम्स में ही पूरा किया जाना था.सारी तैयारी होने के बाद मरीजों को दवाएं दी जाने लगी थीं.पहले चरण में इसके पॉजीटिव इफेक्ट भी सामने आए थे.इसी बीच ट्रायल में एम्स दिल्ली, पीजीआई चंडीगढ़ और सबसे बाद में एम्स रायपुर भी शामिल हो गए.एम्स रायपुर में मरीजों पर निगेटिव इफेक्ट आने पर आईसीएमआर ने नियमानुसार पूरे ट्रायल को रोक दिया. इसलिए एम्स भोपाल में भी दवा का एक्सपेरिमेंटल सेशन बंद कर दिया गया.
फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन अमेरिका ने दी थी मंजूरीएम्स भोपाल में माइक्रो बैक्टीरियम डब्ल्यू (MW) दवा के मरीजों पर ट्रायल के लिए अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रिेशन से भी मंजूरी मिल चुकी थी.इस दवा को कोरोना के कम गंभीर मरीज और गंभीर मरीजों को एक निश्चित डोज देकर उनका तुलनात्मक अध्ययन किया जा रहा था.एम्स भोपाल निदेशक डॉ.सरमन सिंह के मुताबिक ये दवा शरीर में बाहरी संक्रमण रोकने के लिए शरीर में प्रतिरोधक क्षमता पैदा करती है.सीधी भाषा में कहें तो इस दवा का इस्तेमाल मरीजों की इम्युनिटी बढ़ाने के लिए किया जाता है.
कम गंभीर मरीज़ों को डोज
कोरोना के दौरान शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले प्रोटीन बढ़ जाते हैं.इस दवा से इन प्रोटीन को बढऩे से रोका जा सकता है. माइक्रो बैक्टीरियम डब्ल्यू (MW) का उपयोग कुष्ठ के साथ कुछ प्रकार के कैंसर में भी उपयोग किया जाता है. एक सेंटर में नेगेटिव इफेक्ट आने के बाद इस दवा के ट्रायल को रोग दिया गया है.हालांकि कम गंभीर मरीजों और एसिम्टोमेटिक मरीजों को इस दवा का डोज दिया जा रहा है.