Broken down in July, the farmer ran his own 15 bigha paddy and 20 bigha tractor on soybean crop | जुलाई में टूटी इसलिए किसान ने अपनी ही 15 बीघा की धान और 20 बीघा में सोयाबीन फसल पर चलाया ट्रैक्टर

Broken down in July, the farmer ran his own 15 bigha paddy and 20 bigha tractor on soybean crop | जुलाई में टूटी इसलिए किसान ने अपनी ही 15 बीघा की धान और 20 बीघा में सोयाबीन फसल पर चलाया ट्रैक्टर


विदिशा2 घंटे पहले

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फसल बचाने के लिए कहां तक दवाओं में लागत लगाएं। मौसम से अब कोई उम्मीद नहीं है। इसलिए निराश होकर 15 बीघा की घान और 20 बीघा की सोयाबीन की फसल को हांकना पड़ा है। यह बानगी है पीपलखेड़ा निवासी किसान प्रकाश गिरी की। उन्होंने इस साल अच्छे मानसून की आस में बोवनी की थी। लेकिन उन्हें खुद ही इस बोवनी को उजाड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। ऐसे ही हालात जिले में कई किसानों के हैं। इस साल मानसून कमजोर पड़ने से जिले में करीब 40 फीसदी फसलों पर बर्बादी का संकट मंडरा रहा है। जिले में सबसे बड़ा रकबा सोयाबीन का है, जिसे पानी नहीं गिरने से इल्ली और खरपतवार निगल गया है। सोयाबीन में बेतहाशा उगे कचरा और इल्लियों ने काफी नुकसान पहुंचाया है। जबकि धान को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। ज्यादातर किसानों के धान के खेत सूख चुके हैं।

आपबीती… 20 दिन में दो बार डाली दवा, 3 लाख की लगी लागत : प्रताप
पीपलखेड़ा के कृषक प्रताप गिरी बताते हैं कि उन्होंने 40 बीघा में धान और 40 बीघा में ही सोयाबीन की बोवनी की है। धान में करीब 50 हजार का बीज, 20 हजार रुपए की खाद, 30 हजार रुपए की दवा और 20 हजार रुपए करीब मजदूरी-डीजल आदि पर खर्च कर लागत आई है। इसके अलावा सोयाबीन में 1.25 लाख का बीज, 30 हजार रुपए दवा और 20 हजार रुपए हकाई-जुताई में खर्च हो चुके हैं। करीब तीन लाख रुपए की लागत लगाने के बावजूद फसलों को बचाना मुश्किल हो गया है। 20 दिन में दो बार दवा डाल चुके हैं लेकिन पानी नहीं गिरने से खरपतवार नष्ट नहीं हो रही है। फसलों को बचाना ही मुश्किल हो गया है।

फसलों के पौधों से ज्यादा खरपतवार

जिले में करीब 5.25 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बोवनी हो चुकी है। इसमें 3 लाख 80 हजार हेक्टेयर में जहां सोयाबीन की बोवनी हुई है, वहीं 35 हजार हेक्टेयर में धान लगाई गई है। इसके अलावा 1.12 लाख हेक्टेयर में जहां उड़द बोई गई है, वहीं शेष रकबे में मक्का व अन्य उपज की बोवनी किसानों ने की है। खेतों में फसलों से ज्यादा खरपतवार नजर आ रही है। पानी नहीं गिरने से फसलों में कीटनाशक दवा का छिड़काव बेअसर साबित हो रहा है। सोयाबीन में इल्ली का प्रकोप है।

पिछले साल जुलाई में 31.7 सेमी बारिश, इस साल 14.1 ही हो पाई
इस साल जुलाई के महीने में कुल 14.1 सेमी बारिश हुई है, जबकि पिछले साल सिर्फ जुलाई में 31.7 सेमी बारिश हुई थी। जबकि जून में 31.6 सेमी रिकार्ड बारिश हुई थी। सावन का महीना सूखा गुजरने से किसानों में मायूसी छाई हुई है। पानी नहीं खेतों की नमी चली गई है। जिले में एक जून से अभी तक कुल 45.7 सेमी बारिश हुई है।

भास्कर पड़ताल... कीटनाशक के दामों में 15 से 20 प्रतिशत का इजाफा:

इस साल कोरोना संक्रमण के चलते लगे लॉक डाउन की वजह से कई कीटनाशक दवाओं के दाम करीब 15 से 20 फीसदी बढ़ गए हैं। इस बार सोयाबीन में इल्ली का प्रकोप अधिक होने से दवा की मांग ज्यादा है।

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