कार बाइक हो सकती है मंहगी…
ऑटो कंपनियों (Automakers) को स्टील कंपनियों के साथ अनुबंधों के लिए 10 से 12 फीसदी ज्यादा मूल्यवृद्धि का सामना करना पड़ सकता है. जिसका सीधा असर कार और बाइक की कीमत पर दिखेगा.
आर्सेलरमित्तल निप्पॉन स्टील इंडिया के चीफ मार्केटिंग ऑफिसर, रंजन धर ने कहा कि इस फर्म ने कुछ ऑटोमोबाइल कंपनियों के साथ अर्धवार्षिक अनुबंध (Half-yearly contracts) फाइनल कर लिया गया है. उन्होंने कहा कि ऑटो सेक्टर में काफी सुधार दिख रहा है, जो उम्मीद से बेहतर है. छोटी गाड़ियों की डिमांड बढ़ रही है. इसका मुख्य कारण लोग अपने निजी वाहन ज्यादा पसंद कर रहे हैं. हालांकि समझा जा रहा है कि आर्सेलरमित्तल निप्पॉन स्टील इंडिया ने अप्रैल-सितंबर का अनुबंध किया था, लेकिन इसका क्रियान्वयन अक्टूबर से मार्च के दौरान हो सकता है.
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उन्होंने कहा कि स्टील निर्माताओं ने वाहन कंपनियों को पूरा फायदा नहीं दिया जब अक्टूबर में कीमतें घट गई थी. हम इसका विरोध कर रहे हैं. एक कार कंपनी के बिक्री प्रमुख ने कहा, अगर कीमतें अंतत: बढ़ती है तो हमारे पास बढ़ी लागत का भार उपभोक्ताओं पर डालने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं होगा. यह उपभोक्ताओं की मांग पर असर डालेगा. उन्होंने कहा कि स्टील कंपनियां न्यूनतम आयात शुल्क का अनुचित फायदा उठा रही हैं, जो सस्ते आयात से उन्हें सुरक्षित रखने के लिए लगाया गया है.उन्होंने कहा कि अगर देखा जाए तो एक कार में औसतन 700 kg स्टील लगता है. जो पूरी कार की कीमत का 10 प्रतिशत है. अगर कीमत बड़ी तो इसका सीधा असर ग्राहकों पर पड़ेगा. कीमत बढ़ने से गाड़ियों की मांग में भी कमी आएगी.
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स्टील व वाहन कंपनियों के बीच अनुबंध अर्धवार्षिक होता है. दूसरी छमाही (2019-20) के लिए अनुबंध मार्च में हुआ. अप्रैल से बातचीत होनी थी, लेकिन लॉकडाउन से यह टल गया लेकिन जून में दोबारा बातचीत शुरू हुई. दूसरी छमाही के लिए स्टील कंपनियों ने वाहन कंपनियों को सहारा देने के लिए कीमतें 11-14 फीसदी घटाई थी.