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- UPSC 2019 Results Madhya Pradesh Topper Updates | Success Story Of Pradeep Singh UPSC Topper 2019 (Rank 26)
इंदौर20 मिनट पहले
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यूपीएससी का रिजल्ट आने के बाद प्रदीप अपने परिवार के साथ। बाएं से मां अनीता, पिता मनोज सिंह और एकदम बाएं छोटा भाई संदीप। प्रदीप की मां ने कहा कि आज मुझे बहुत खुशी है। प्रदीप ने काफी मेहनत की है।
- प्रदीप के पिता ने काेचिंग के लिए घर बेचा, पुस्तैनी जमीन बेची, पत्नी के जेवर भी गिरवी रखे
- प्रदीप ने 2018 में पहली बार में ही यूपीएससी में सफलता पाई थी, लेकिन 93वीं रैंक आने से संतुष्ट नहीं थे
- 2020 में प्रदीप को 26वीं रैंक मिली, बिहार कैडर में जाना चाहते हैं, बोले- अपने गृह राज्य के लिए कुछ करूंगा
यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (यूपीएससी) ने सिविल सर्विसेज एग्जामिनेशन-2019 का रिजल्ट मंगलवार को जारी कर दिया। इसमें इंदौर के प्रदीप सिंह ने 26वीं रैंक हासिल की। प्रदीप का इस बार आईएएस बनने का रास्ता साफ हो गया है। वह बिहार कैडर चाहते हैं, ताकि अपने गृह राज्य के लिए काम कर सकें। प्रदीप ने 2 साल पहले 2018 में भी यूपीएससी परीक्षा पास की थी। वह उनका पहला प्रयास था। लेकिन, रैंक 93वीं आने से आईएएस बनने से रह गए थे। वे वर्तमान में आयकर विभाग में बतौर असिस्टेंट कमिश्नर पदस्थ हैं। फिलहाल, छुट्टी लेकर प्रदीप ने दोबारा यूपीएससी की तैयारी की और लक्ष्य को हासिल करके दिखाया। परिवार में जश्न का माहौल है। सभी ने प्रदीप का मुंह मीठा कराया। बधाई के लिए लोगों के फोन आ रहे हैं।
प्रदीप की 2018 में 93वीं रैंक आई थी
यूपीएससी के सिविल सेवा परीक्षा- 2018 के फाइनल रिजल्ट में प्रदीप की ऑल इंडिया 93वीं रैंक आई थी। एक साल पहले तक प्रदीप के पिता मनोज सिंह एक पेट्रोल पंप पर कर्मचारी थे। प्रदीप ने डीएवीवी के इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज से 2017 में बीकॉम ऑनर्स की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने फर्स्ट अटेंप्ट में ही यह परीक्षा पास की थी।

प्रदीप के पिता मनोज सिंह इंदौर में निरंजनपुर देवास नगर के डायमंड पेट्रोल पंप पर काम करते थे। -फाइल फोटो
बचपन से लेकर अब तक आर्थिक तंगी से जूझे
प्रदीप ने इससे पहले दिल्ली में कोचिंग भी की थी। परिवार में एक छोटा संदी भाई और मां अनीता हैं। प्रदीप ने कहा कि बचपन से ही सपना था कि कुछ कर दिखाऊं। जब बीकॉम ऑनर्स में एडमिशन लिया था, तभी से सपना था कि कुछ बनना है। मेरी कोशिश थी कि अपनी इस छोटी सी सफलता से माता-पिता के संघर्ष को कम कर सकूं। पिता मनोज का कहना है कि मेरे लिए आज का दिन कभी नहीं भूलने वाला दिन है। कुछ साल पहले मैंने इसकी कल्पना भी नहीं की थी कि बेटा देश में नाम रोशन करेगा। मैं बहुत खुश हूं।
पढ़ाई में अतिरिक्त समय देता था प्रदीप
आईआईपीएस के प्रोफेसर बताते हैं कि प्रदीप पढ़ाई में होशियार था। वह बीकॉम ऑनर्स को तो पूरा समय देता ही था, लेकिन जो समय बचता था, उसमें वह यूपीएससी से जुड़ी पत्रिकाएं पढ़ता था। उसका काफी समय लाइब्रेरी में बीतता था। कई बार तो वह बड़े आयोजन भी छोड़ देता था।
दिल्ली में कोचिंग के लिए पिता ने घर बेच दिया था
प्रदीप की यूपीएससी की तैयारी में मदद के लिए पिता मनोज सिंह और घर के अन्य सदस्यों ने भी सब-कुछ दांव पर लगाया। प्रदीप दिल्ली में रहकर यूपीएससी की तैयारी करना चाहता था, लेकिन घर में इतने पैसे नहीं थे कि दिल्ली में कोचिंग की फीस दी जा सके। इसके बावजूद पिता ने हार नहीं मानी और बेटे की कोचिंग के लिए अपना घर तक बेच दिया। मनोज बताते हैं कि दिल्ली में कोचिंग फीस डेढ़ लाख रुपए थी। बाकी पढ़ाई के अन्य खर्चे भी थे। कुछ समय बाद गांव की पुस्तैनी जमीन बेची। लेकिन बेटे को कभी कुछ नहीं बताया। उसे सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान रखने को कहते रहे।

प्रदीप की मां अनीता सिंह हाउस वाइफ हैं।
सपने में भी नहीं सोचा था बेटा रोशन करेगा नाम
प्रदीप जब पिछली बार यूपीएससी की परीक्षा दे रहे थे, उस वक्त उनकी मां की तबीयत खराब थी, लेकिन प्रदीप पर इसका कोई असर न पड़े इसलिए पिता ने बेटे को मां की तबीयत के बारे में भी नहीं बताया। पिता मनोज का कहना है कि मेरे लिए यह दिन कभी नहीं भूलने वाला दिन है। कुछ साल पहले तक मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि मेरा बेटा देशभर में नाम रोशन करेगा। छोटा बेटा संदीप प्राइवेट सेक्टर में जॉब करता है।
मां ने जेवर गिरवी रख दिए थे
प्रदीप को पढ़ाने के लिए उनके माता-पिता ने गरीबी हालत में भी कोई कमी नहीं छोड़ी। पिता मनोज सिंह पेट्रोल पंप पर नौकरी करते थे और अपनी जरूरतों को कम करके बच्चों को पढ़ाया। कई बार मुसीबतें भी आईं, लेकिन बच्चों तक नहीं पहुंचने दीं। बच्चों की पढ़ाई के लिए घर बेचने के बाद से परिवार किराए के मकान में रहता है। इसके अलावा मां अनीता ने अपने गहने तक गिरवी रख दिए थे।
प्रदीप बिहार कैडर चाहते हैं, अपने राज्य के लिए कुछ करने की चाह
प्रदीप का इंट्रेस्ट बिहार कैडर है। वे कहते हैं कि मेरी जन्मभूमि बिहार है और कर्मभूमि इंदौर। अगर मुझे बिहार कैडर मिलता है तो अपनी जन्मभूमि के लिए कुछ करना चाहता हूं।
प्रदीप जब 7वीं में पढ़ रहे थे, तब उनके दादा हमेशा बोलते थे कि बेटा कुछ ऐसा कर कि जिससे परिवार का नाम रोशन हो। प्रदीप ने कहा कि बिहार में आईएएस और आईपीएस काफी सेलेक्ट होते हैं। वहीं से उसके दिमाग में आईएएस का सपना बन गया।

रिजल्ट आने के बाद प्रदीप का घर में मुंठ मीठा कराया गया।
प्रदीप का सफर, एक नजर…
- प्रदीप का जन्म बिहार के गोपालगंज में हुआ था। वे 24 साल के हैं।
- 25 साल पहले पिता नौकरी की तलाश में इंदौर आए थे।
- परिजन का इंदौर से गोपालगंज आना-जाना रहता है।
- सीबीएसई बोर्ड से 10वीं और 12वीं की। दोनों एग्जाम में 80% से ज्यादा नंबर आए।
- आगे बीकॉम ऑनर्स से पढ़ाई की। इंदौर में खेल के साथ लाइब्रेरी से दोस्ती की।
- कॉलेज खत्म होने के बाद कंप्टीशन की तैयारी जारी रखी। 2017 में दिल्ली का रुख किया।
- आर्थिक तंगी के कारण पिता ने घर बेचा। इसी पैसे से पढ़ाई पूरी हुई।
प्रदीप ने सफलता के मंत्र दिए….
- सबसे पहले अपने आपसे पूछो कि क्या हम ये कर पाएंगे?
- सबसे पहले इंट्रेस्ट डेवलप करो। अगर इंट्रेस्ट बढ़ता है तो फिर आप उस काम को कर सकते हैं।
- खुद से यह भी पूछिए कि 4 या 5 साल हम इसके लिए दे पाएंगे।
- यूपीएससी की तैयारी के लिए पुराने पेपर सॉल्व करिए। मैं भी करता था।
- इसके बाद फॉर्मूले सीखिए। इसकी प्रैक्टिस किए। इसके बाद थ्योरी पर फोकस करिया। ये सब मैं खुद करता था, जो आपको बता रहा हूं।
- 2019 में 93वीं रैक आई और अब 2020 में मप्र टॉपर बन गया।

प्रदीप का लोगों ने फूल माला पहनाकर स्वागत किया।
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