नई दिल्ली: इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) के चीनी लिंक को लेकर हो रहे विरोध को देखते हुए भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने बड़ा फैसला लिया है. चीनी मोबाइल कंपनी वीवो (VIVO) अब आईपीएल की लीग स्पॉन्सर नहीं होगी.
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बोर्ड ने आईपीएल के 13वें एडिशन के लिए वीवो से दूरी बनाने का फैसला लिया है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, IPL की एक फ्रेंचाइजी ने सोमवार शाम को अन्य सातों फ्रेंचाइजी को फोन करके बताया कि वीवो अब टाइटल स्पॉन्सर नहीं है. कम से कम 13वें सीजन के लिए यह फैसला लिया गया है. हालांकि, फ्रेंचाइजी द्वारा इस तरह बोर्ड के फैसले को सार्वजानिक करके को लेकर BCCI खफा है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि बोर्ड ने फ्रेंचाइजी के रुख पर नाराजगी जताई है. उसका कहना है कि क्या फ्रेंचाइजी को ऐसा करने से पहले उसकी अनुमति नहीं लेनी चाहिए थी? वीवो से दूरी बनाने के फैसले के बाद आब BCCI ने आईपीएल के लिए नए टाइटल स्पॉन्सर की तलाश शुरू कर दी है. कहा जा रहा है कि अगले 24 घंटों में इस बारे में कोई निर्णय लिया जा सकता है.
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि भारी विरोध को देखते हुए वीवो इंडिया भी बोर्ड के साथ नाता तोड़ना चाहता है. रिपोर्ट में एक हितधारक से हवाले से कहा गया है कि यदि बोर्ड को वैल्यू का 50% भी रिप्लेसमेंट मिल जाता है तो यह उपलब्धि होगा. अगर इससे ज्यादा मिलता है, तो फिर और भी अच्छी बात है. उम्मीद करते हैं कि सबकुछ सौहार्दपूर्वक ढंग से निपट जाए. आपको बता दें कि आईपीएल का 13वां एडिशन यूएई में अगले महीने 19 सितंबर से शुरू होगा. इसका फाइनल मैच 10 नवंबर को खेला जाएगा. पहले IPL मार्च में भारत में होना था, लेकिन कोरोना के प्रकोप को देखते हुए उसे UAE में कराने का फैसला लिया गया.
गौरतलब है कि BCCI को आईपीएल के चीनी लिंक के लिए काफी आलोचना झेलनी पड़ रही थी. सोशल मीडिया पर लोग #boycottIPL के साथ अभियान चला रहे थे. दरअसल, VIVO से बोर्ड को भारी भरकम कमाई होती है, इसलिए वह इसका साथ छोड़ने में कतरा रहा था. VIVO प्रति वर्ष टाइटल स्पॉन्सरशिप के लिए BCCI को 440 करोड़ का भुगतान करता है. 2018 में वीवो ने 2,199 करोड़ रुपये की बोली लगाकर 5 साल तक आईपीएल की टाइटल स्पॉन्सरशिप का करार हासिल किया था.
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