Mother paid fees as receptionist, Mayda of Harda ranked 455th in UPSC | मां ने रिसेप्शनिस्ट का काम कर भरी फीस, हरदा के मयंक की यूपीएससी में 455वीं रैंक

Mother paid fees as receptionist, Mayda of Harda ranked 455th in UPSC | मां ने रिसेप्शनिस्ट का काम कर भरी फीस, हरदा के मयंक की यूपीएससी में 455वीं रैंक


हरदा10 मिनट पहले

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  • खिरकिया तहसील के डेडगांव निवासी मयंक गुर्जर का संदेश- युवा वह करें, जिसमें उनकी रुचि हाे, लाेग क्या कहेंगे, इसकी परवाह न करें

जिले की खिरकिया तहसील के डेडगांव निवासी मयंक गुर्जर यूपीएससी में 455 वीं रैंक है। उन्हें यह कामयाबी पहले ही प्रयास में मिली है। उन्होंने मुंबई से केमिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया है। 2014 में सिर से पिता का असमय साया उठ गया। बेटे काे पढ़ाने के लिए मां प्रेमलता गुर्जर ने इंदाैर के दवा बाजार में मेडिकल स्टाेर्स पर रिसेप्शनिस्ट का काम किया। जिससे घर खर्च व मयंक की फीस का इंतजाम हुआ। मुंबई में केमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करते हुए खुद मयंक ने भी काॅलेज के स्टूडेंट्स काे ट्यूशन पढ़ाई। कठाेर परिश्रम के बाद यह मुकाम हासिल हुआ।
मयंक ने बताया कि 2012 से उन्होंने आईआईटी की तैयारी शुरू कर दी थी। 2014 में 12वीं की परीक्षा से 7 दिन पहले पिता गाेविंद गुर्जर की बहुत ज्यादा तबियत खराब हाे गई। वे अकाउंटेंट थे। उनकी स्थिति यह थी कि महीने में 15-20 दिन अस्पताल में भर्ती रखना पड़ता था, शेष समय घर पर देखभाल। मयंक ने बताया कि 25 अप्रैल 2014 काे वह वाेट डालने गया था, घर लाैटा ताे देखा कि पता का परिवार से साथ छूट गया। पढ़ाई व सपने अधूरे थे, जाे आंसुओं में धुंधले हाेने लगे।
सारी उम्मीदें टूटने लगी। मां के अलावा घर में काेई नहीं था।
ऐसे में इंदाैर जैसे शहर में घर का खर्च और पढ़ाई में लगने वाले रुपयों के इंतजाम का साेचकर ही दिल बैठने लगा। लेकिन हौसले से यह स्थान पाया।

मां ने निभाई दाेहरी भूमिका

मयंक की मां प्रेमलता बताती हैं कि वे बेटे के सपने व परिवार की हालात दाेनाें से बखूबी वाकिफ थीं। उन्होंने बेटे काे पढ़ाई जारी रख जीवन का लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रेरित किया। रुपयों के इंतजाम के लिए उन्होंने दवा बाजार में रिसेप्शनिस्ट का जाॅब शुरू किया। इसमें 8-9 हजार रुपए मिल जाते हैं। इस बीच आईआईटी में चयन हाेने के बाद मयंक मुंबई जाकर केमिकल इंजीनियरिंग पढ़ाई करने लगा। साथ में यूपीएससी की तैयारी भी। 2019 में ग्रेजुएशन किया। यूपीएससी का फार्म भरा। तैयारी के लिए काॅलेज की लायब्रेरी में राेज 5-7 घंटे तैयारी की। दाेस्ताें से दूरी बढ़ाई। काॅलेज के स्टूडेंट्स काे काेचिंग पढ़ाकर केमिस्ट्री के एक पेपर की खुद ने ट्यूशन ली। रात काे बिस्तर पर लेटता ताे मां व उनकी मेहनत तथा असमय पिता का चले जाना याद आता। उनके परिश्रम काे सार्थक करने के लिए लक्ष्य पर फाेकस किया। मयंक ने बताया कि पिछले साल के हिसाब से आईपीएस मिलना तय है, आईएएस के भी चांस हैं।
संदेश

कामयाबी का काेई शार्टकट नहीं हाेता है। यह कठाेर परिश्रम के बिना संभव ही नहीं है। औराें की देखा-देखी काेई लक्ष्य तय न करें। ऐसे में सफलता में संदेह रहता है। आप केवल उस काम काे चुनिए, जाे मन कहे। लाेग क्या कहेंगे, इसकी परवाह छाेड़ दें।

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