नहीं रहे राहत इंदौरी, कभी लिखा था- अभी माहौल मर जाने का नईं | indore – News in Hindi

नहीं रहे राहत इंदौरी, कभी लिखा था- अभी माहौल मर जाने का नईं | indore – News in Hindi


राहत इन्दौरी की शायरी (Rahat Indori Shayari) : मशहूर शायर राहत इंदौरी (Rahat Indori) का मंगलवार को निधन हो गया. वे लंबे समय से सांस की बीमारी से पीड़ित थे. उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव (COVID-19 Positive) आने के बाद उन्हें अरबिंदो अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. राहत इंदौरी को शुगर और हृदय रोग की भी समस्या थी. इसके साथ ही उन्हें निमोनिया और फेंफड़ेां में इंफेक्‍शन हो गया था. राहत साहब को दिल की बीमारी और डायबिटीज की शिकायत भी थी. उनको तीन बार हार्ट अटैक भी आया था.आज हम आपके लिए कविता कोश के साभार से लाए हैं राहत इन्दौरी की कुछ ख़ास शायरियां और ग़ज़लें….

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जो मेरा दोस्त भी है, मेरा हमनवा भी है…

जो मेरा दोस्त भी है, मेरा हमनवा भी हैवो शख्स, सिर्फ भला ही नहीं, बुरा भी है

मैं पूजता हूँ जिसे, उससे बेनियाज़ भी हूँ
मेरी नज़र में वो पत्थर भी है खुदा भी है

सवाल नींद का होता तो कोई बात ना थी

हमारे सामने ख्वाबों का मसअला भी है

जवाब दे ना सका, और बन गया दुश्मन
सवाल था, के तेरे घर में आईना भी है

ज़रूर वो मेरे बारे में राय दे लेकिन
ये पूछ लेना कभी मुझसे वो मिला भी है.

बुलाती है मगर जाने का नईं…

बुलाती है मगर जाने का नईं
ये दुनिया है इधर जाने का नईं

मेरे बेटे किसी से इश्क़ कर
मगर हद से गुजर जाने का नईं

सितारें नोच कर ले जाऊँगा
मैं खाली हाथ घर जाने का नईं

वबा फैली हुई है हर तरफ
अभी माहौल मर जाने का नईं

वो गर्दन नापता है नाप ले
मगर जालिम से डर जाने का नईं.

ये हादसा तो किसी दिन गुज़रने वाला था…

ये हादसा तो किसी दिन गुज़रने वाला था
मैं बच भी जाता तो इक रोज़ मरने वाला था

तेरे सलूक तेरी आगही की उम्र दराज़
मेरे अज़ीज़ मेरा ज़ख़्म भरने वाला था

बुलंदियों का नशा टूट कर बिखरने लगा
मेरा जहाज़ ज़मीन पर उतरने वाला था

मेरा नसीब मेरे हाथ काट गए वर्ना
मैं तेरी माँग में सिंदूर भरने वाला था

मेरे चिराग मेरी शब मेरी मुंडेरें हैं
मैं कब शरीर हवाओं से डरने वाला था.

वफ़ा को आज़माना चाहिए था, हमारा दिल दुखाना चाहिए था…

वफ़ा को आज़माना चाहिए था, हमारा दिल दुखाना चाहिए था
आना न आना मेरी मर्ज़ी है, तुमको तो बुलाना चाहिए था

हमारी ख्वाहिश एक घर की थी, उसे सारा ज़माना चाहिए था
मेरी आँखें कहाँ नाम हुई थीं, समुन्दर को बहाना चाहिए था

जहाँ पर पंहुचना मैं चाहता हूँ, वहां पे पंहुच जाना चाहिए था
हमारा ज़ख्म पुराना बहुत है, चरागर भी पुराना चाहिए था

मुझसे पहले वो किसी और की थी, मगर कुछ शायराना चाहिए था
चलो माना ये छोटी बात है, पर तुम्हें सब कुछ बताना चाहिए था

तेरा भी शहर में कोई नहीं था, मुझे भी एक ठिकाना चाहिए था
कि किस को किस तरह से भूलते हैं, तुम्हें मुझको सिखाना चाहिए था

ऐसा लगता है लहू में हमको, कलम को भी डुबाना चाहिए था
अब मेरे साथ रह के तंज़ ना कर, तुझे जाना था जाना चाहिए था

क्या बस मैंने ही की है बेवफाई,जो भी सच है बताना चाहिए था
मेरी बर्बादी पे वो चाहता है, मुझे भी मुस्कुराना चाहिए था

बस एक तू ही मेरे साथ में है, तुझे भी रूठ जाना चाहिए था
हमारे पास जो ये फन है मियां, हमें इस से कमाना चाहिए था

अब ये ताज किस काम का है, हमें सर को बचाना चाहिए था
उसी को याद रखा उम्र भर कि, जिसको भूल जाना चाहिए था

मुझसे बात भी करनी थी, उसको गले से भी लगाना चाहिए था
उसने प्यार से बुलाया था, हमें मर के भी आना चाहिए था.

हवा खुद अब के हवा के खिलाफ है, जानी…

हवा खुद अब के हवा के खिलाफ है, जानी
दिए जलाओ के मैदान साफ़ है, जानी

हमे चमकती हुई सर्दियों का खौफ नहीं
हमारे पास पुराना लिहाफ है, जानी

वफ़ा का नाम यहाँ हो चूका बहुत बदनाम
मैं बेवफा हूँ मुझे ऐतराफ है, जानी

है अपने रिश्तों की बुनियाद जिन शरायत पर
वहीँ से तेरा मेरा इख्तिलाफ है, जानी

वो मेरी पीठ में खंज़र उतार सकता है
के जंग में तो सभी कुछ मुआफ है, जानी

मैं जाहिलों में भी लहजा बदल नहीं सकता
मेरी असास यही शीन-काफ है, जानी.





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