radha-krishna will wear wearing jewelery of scindia dynasty worth more than 100 crores | 100 करोड़ रुपए से अधिक की ज्वैलरी पहनकर सजे राधा-कृष्ण, कड़ी सुरक्षा के बीच मंदिर लाए गए गहने

radha-krishna will wear wearing jewelery of scindia dynasty worth more than 100 crores | 100 करोड़ रुपए से अधिक की ज्वैलरी पहनकर सजे राधा-कृष्ण, कड़ी सुरक्षा के बीच मंदिर लाए गए गहने


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ग्वालियरएक घंटा पहले

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ग्वालियर के फूलबाग स्थित मंदिर में करीब 100 करोड़ के गहने भगवान राधा-कृष्ण को पहनाए गए हैं। फोटो/वीडियो- रवि उपाध्याय

  • सिंधिया राजवंश के ये प्राचीन ज्वैलरी मध्यभारत की सरकार के समय गोपाल मंदिर को सौंप दिए गए थे, इन बेशकीमती ज्वैलरी में हीरे और पन्ना जड़ित हैं
  • ज्वैलरी को हर साल जिला कोषालय से कड़ी सुरक्षा के बीच मंदिर लाया गया है, लिस्टिंग के बाद उनका वजन करने के बाद गंगाजल से धोने के बाद भगवान को पहनाए गए

यहां फूलबाग गोपाल मंदिर में जन्माष्टमी के अवसर पर भगवान राधाकृष्ण का श्रृंगार करीब 100 करोड़ रुपए के अधिक की ज्वैलरी से किया गया है। सिंधिया राजवंश के ये प्राचीन ज्वैलरी मध्यभारत की सरकार के समय गोपाल मंदिर को सौंप दिए गए थे। इन बेशकीमती ज्वैलरी में हीरे और पन्ना जड़ित हैं। ज्वैलरी को बुधवार को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच जिला कोषालय से मंदिर लाया गया। 200 पुलिस कर्मी सुरक्षा व्यवस्था में लगाए गए हैं। सीसीटीवी से एक-एक गहने पर नजर रखी जा रही है।

कोषालय से ज्वैलरी को मंदिर में लाते समय रास्ते खाली करा लिए गए थे। जैसे ही ज्वैलरी के बाक्स मंदिर पहुंचे। कोषालय ने सिर्फ उन्ही लोगों को मंदिर में रुकने की अनुमति दी जिनके नाम ट्रस्ट ने दिए थे। पहले ज्वैलरी की लिस्टिंग के बाद उनका वजन किया गया। इसके बाद गंगाजल से धोने के बाद भगवान को पहनाए गए। मंदिर के इतिहास में पहली बार कोरोना संकट के चलते इस बार मंदिर के अंदर श्रद्धालुओं को प्रवेश नहीं दिया जा रहा है।

कोरोना संकट के चलते इस बार मंदिर में आम श्रद्धालुओं को प्रवेश नहीं दिया जा रहा है। पूरे परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं।

रात में ही जमा कराए जाएंगे कोषालय में
कृष्ण जन्म के बाद रात 12 बजे ही इन जेवरातों को ट्रेजरी खुलवाकर उसमें रखवाया जाएगा और दूसरे दिन सुबह इन्हें दोबारा से बैंक के लॉकर में रखवा दिया जाएगा। सौ करोड़ कीमत के हैं गहने सिंधिया रियासत द्वारा बनवाए गए इस मंदिर में राधा-कृष्ण की प्रतिमाओं के लिए बहुमूल्य रत्नों से जड़ित सोने की जेवरात हैं। एंटीक होने के कारण इनका बाजार मूल्य सौ करोड़ से अधिक आंका जाता है।

भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच कोषालय से गहने बड़े बक्से में मंदिर में लाए गए।

ये हैं भगवान के गहने

  • भगवान के जेवरातों में राधाकृष्ण का सफेद मोती वाला पंचगढ़ी हार, सात लड़ी हार, जिसमें 62 असली मोती और 55 पन्ने लगे हैं।
  • कृष्ण भगवान सोने के तोड़े तथा सोने का मुकुट, राधाजी का ऐतिहासिक मुकुट, जिसमें पुखराज और माणिक जड़ित के साथ बीच में पन्ना लगा है। यह मुकुट लगभग तीन किलो वजन का है।
  • राधा रानी के मुकुट में 16 ग्राम पन्ना रत्न लगे हुए हैं। श्रीजी तथा राधा के झुमके, सोने की नथ, कंठी, चूड़ियां, कड़े इत्यादि हैं।
  • भगवान के भोजन के लिए सोने, चांदी के प्राचीन बर्तन भी हैं।
  • साथ ही भगवान की समई, इत्र दान, पिचकारी, धूपदान, चलनी, सांकड़ी, छत्र, मुकुट, गिलास, कटोरी, कुंभकरिणी, निरंजनी आदि भी हैं।

मंदिर के अंदर गहनों का बक्सा लेकर आते कोषालय के अधिकारी।

आजादी से पहले से चली आ रही है परंपरा
गोपाल मंदिर में स्थापित भगवान राधाकृष्ण की प्रतिमा को इन ज्वैलरी से सुसज्जित करने की परंपरा आजादी के पूर्व से है। उस समय सिंधिया राजपरिवार के लोग व रियासत के मंत्री, दरबारी व आम लोग जन्माष्टमी पर दर्शन को आते थे। उस समय भगवान राधाकृष्ण को इन ज्वैलरी से सजाया जाता था। आजादी के बाद मध्यभारत की सरकार बनने के बाद गोपाल मंदिर, उससे जुड़ी संपत्ति जिला प्रशासन व निगम प्रशासन के अधीन हो गई है। नगर निगम ने इन ज्वैलरी को बैंक लॉकर में रखवा दिया। वर्षों तक ये लॉकरों में रखे रहे। इसके बाद साल 2007 में डॉ. पवन शर्मा ने निगमायुक्त की कमान संभाली। उन्होंने निगम की संपत्तियों की पड़ताल कराई, उसमें इन ज्वैलरी की जानकारी मिली। उसके बाद तत्कालीन महापौर विवेक शेजवलकर और निगमायुक्त ने गोपाल मंदिर में जन्माष्टमी के दिन भगवान राधाकृष्ण की प्रतिमाओं को इन ज्वैलरी से श्रृंगार कराने की परंपरा शुरू कराई। उसके बाद से तत्कालीन आयुक्त इस परंपरा का पालन कर रहे हैं।

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