मेडिकल टीचर्स को निलंबित करने के ये मामले भोपाल और रीवा के हैं.
कोरोना के इस दौर में जब मेडिकल स्टाफ कड़ी ड्यूटी कर रहा है, टीचर्स का निलंबन उनका हौंसला तोड़ रहा है.
मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन का कहना है वे लोग लगातार कोरोना में ड्यूटी कर रहे हैं.खुद के साथ पूरे परिवार की जान खतरे में डालकर लगातार मरीजों की सेवा कर रहे हैं, इसके बावजूद विभाग और प्रशासनिक अधिकारी उन्हें बेवजह परेशान करते हैं.
ये है मामला
रीवा के संजय गांधी अस्पताल में एक मरीज के स्थान पर दूसरे कोरोना संक्रमित मरीज का अंतिम संस्कार कर दिया गया. परिवार ने इस मामले को पकड़ा तो जांच हुई.जांच में सामने आया कि अस्पताल के कर्मचारियों ने टैगिंग में गलती कर दी. इससे गलत लाश का अंतिम संस्कार हो गया. इस मामले में रीवा कमिश्नर ने टैगिंग में लापरवाही के लिए श्यामशाह चिकित्सा महाविद्यालय, रीवा के एसोसिएट प्रोफेसर और यूनिट के इंचार्ज डॉ राकेश पटेल को सस्पेंड कर दिया.सच बोलना भारी पड़ा
दूसरा मामला विदिशा मेडिकल कॉलेज का है. कलेक्टर के निरीक्षण के दौरान आईसीयू इंचार्ज का सच बोलना महंगा पड़ गया.आईसीयू में अव्यवस्था देख कलेक्टर के सवाल पर आईसीयू इंचार्ज ने कहा उनके पास स्टाफ की कमी है.बिना स्टाफ आईसीयू कैसे चल सकता है. बस उनका ये कहना कलेक्टर और अन्य बड़े अधिकारियों को नागवार गुजरी और डॉक्टर को निलंबित कर दिया गया.
आत्मसम्मान के लिए आंदोलन
इस मामले पर मध्यप्रदेश मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन के सचिव डॉ.राकेश मालवीय का कहना है, चिकित्सा शिक्षा मंत्री को एसोसिएशन ने पत्र लिखा है कि निलंबन रद्द किया जाए. इसके साथ ही हर काम के लिए डॉक्टरों को दोषी साबित करने के बजाय अब काम की जवाबदारी तय करने की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए.हालात अब ऐसे हैं कि डॉक्टर्स अपने आत्मसम्मान के लिए आंदोलन तक कर सकते हैं.