गोगा देव की पूजा से सांपों से रक्षा होती है (image credit: twitter/HitanandSharma)
गोगा नवमी २०२० (Gogadev Navami 2020): गोगा देवता की पूजा करने से सांपों से रक्षा होती है. गुग्गा नवमी के दिन नागों की पूजा करते हैं, क्योंकि इन्हें सांपों का देवता (God Of Snake) माना गया है…
- News18Hindi
- Last Updated:
August 13, 2020, 10:02 AM IST
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गोगा नवमी की पूजा कैसे करें-
भादवा बदी नवमी को सुबह जल्दी उठ नहा धोकर खाना बना लें. खीर, चूरमा, गुलगुले आदि बनाकर जब मिट्टी की मूर्तियां लेकर महिलाएं आती हैं तो इनकी पूजा होती है. रोली, चावल से टीका कर बनी हुई रसोई का भोग लगाएं. गोगाजी के घोड़े के आगे दाल रखी जाती है और रक्षाबंधन की राखी खोल कर इन्हें चढ़ाई जाती है. कहा जाता है कि रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाइयों को जो रक्षासूत्र बांधती हैं वह गोगा नवमी के दिन खोल कर गोगा जी महाराज को चढ़ा दिए जाते हैं.कई जगह तो गोगा जी की घोड़े पर चढ़ी हुई वीर मूर्ति होती है और कई जगह गोगाजी की मिट्टी की मूर्ति बनाई जाती है. आज भी गांवों में पूजा करने और उनका चढ़ावा लाने का काम कुम्हार समुदाय के लोग करते हैं. जगह-जगह इनकी पूजा के तरीके में अंतर तो जरूर है पर विश्व भर में जहां भी राजस्थानी रहते हैं, वहां सब जगह इनकी पूजा होती है.
गोगा नवमी की कथा:
पौराणिक कथा के मुताबिक, गोगा देवता की पूजा करने से सांपों से रक्षा होती है. गोगा जी की पूजा श्रावण मास की पूर्णिमा यानी रक्षाबंधन के दिन से शुरू होती है. गोगा जी का पूजा-पाठ नौ दिनों तक यानी नवमी तक चलता है, इसलिए इसे गोगा नवमी भी कहा जाता है. गुग्गा नवमी के दिन नागों की पूजा करते हैं, क्योंकि इन्हें सांपों का देवता माना गया है.
गोगाजी राजस्थान के लोक देवता हैं जिन्हे ‘जहरवीर गोगा जी’ के नाम से भी जाना जाता है. पंजाब और हरियाणा समेत हिमाचल प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में इस पर्व को बहुत श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया जाता है. गोगा/गुग्गा नवमी की ऐसी मान्यता है पूजा स्थल की मिट्टी को घर पर रखने से सर्प भय से मुक्ति मिलती है.
राजस्थान के महापुरूष गोगाजी का जन्म गुरू गोरखनाथ के वरदान से हुआ था. गोगाजी की माँ बाछल देवी निःसंतान थी. संतान प्राप्ति के सभी यत्न करने के बाद भी संतान सुख नहीं मिला. गुरू गोरखनाथ ‘गोगामेडी’ के टीले पर तपस्या कर रहे थे. बाछल देवी उनकी शरण मे गईं तथा गुरू गोरखनाथ ने उन्हें पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया और एक गुगल नामक फल प्रसाद के रूप में दिया. प्रसाद खाकर बाछल देवी गर्भवती हो गई और तदुपरांत गोगाजी का जन्म हुआ. गुगल फल के नाम से इनका नाम गोगाजी पड़ा.
कहा जाता है की श्री जाहरवीर गोगादेवजी सभी मनोकामनाए पूर्ण करते है. आज नवमी तिथि का दिन जाहरवीर की जोत कथा के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन घरो में जहारवीर पूजा और हवन किया जाता है साथ ही खीर और पुआ का भोग लगाया जाता है. लोग अपनी अपनी मनोकामनाओ की पूर्ति के लिये भी पूजा करते है. (Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)