IndependenceDay: India got these 50 lovely moments in 74 years of freedom | IndependenceDay:आजादी के 74 सालों ने दी हैं खेलों में ये 50 सफलताएं

IndependenceDay: India got these 50 lovely moments in 74 years of freedom | IndependenceDay:आजादी के 74 सालों ने दी हैं खेलों में ये 50 सफलताएं


नई दिल्ली. अंग्रेजों की गुलामी से आजाद होकर 15 अगस्त 1947 को दिल्ली में जब पहली बार लालकिले पर तिरंगा झंडा लहराया गया था तो किसी ने नहीं सोचा था कि आने वाले समय में इस देश का भविष्य कैसा होगा. लेकिन सफलता की सीढिय़ां चढ़ते हुए आज भारत ने आजादी के 74 साल पूरे कर लिए. इन 74 सालों में जहां अन्य क्षेत्रों में भारत ने तरक्की की पायदानों को चूमा, वहीं खेलों की दुनिया में भी भारत की उपलब्धियां कम नहीं रहीं. आइए नजर डालते हैं ऐसी 50 खेल यादों पर, जिन्हें कभी भूला नहीं जा सकता.

1. स्वतंत्र भारत का पहला ओलंपिक मेडल
भारत ने पहली बार ओलंपिक खेलों में एक स्वतंत्र देश के तौर पर वर्ष 1948 के लंदन ओलंपिक में हिस्सा लिया और 200 साल तक अपने ऊपर राज करने वाले अंग्रेजों की धरती पर फाइनल में उन्हें ही 4-0 से नीचा दिखाते हुए हॉकी में अपने नाम स्वतंत्र भारत का पहला ओलंपिक मेडल दर्ज कराया. ये हॉकी में तो स्वतंत्र भारत का पहला मेडल था ही, साथ में भारत के लिए ओलंपिक में ओवरऑल भी आजादी के बाद पदक तालिका का आगाज था.

2. हॉकी में तीन और ओलंपिक गोल्ड
भारतीय हॉकी का स्वर्णिम दौर जारी था. ओलंपिक में भारत ने स्वतंत्रता के बाद 1952 और 1956 के ओलंपिक में भी गोल्ड मेडल जीते. बलबीर सिंह सीनियर ने 1952 ओलंपिक के फाइनल में 5 गोल दागे, जो आज तक किसी भी खिलाड़ी का विश्व रिकॉर्ड है. 1960 के ओलंपिक में पहली बार भारत को पाकिस्तान से हारकर सिल्वर मेडल लेकर लौटना पड़ा तो 1964 में फिर से उसके खाते में स्वर्णिम पदक आया. 1968 और 1972 ओलंपिक में भारत को ब्रांज मेडल लेकर लौटना पड़ा. आखिरी बार भारत ने 1980 के मास्को ओलंपिक में स्पेन को फाइनल हराकर गोल्ड मेडल जीता था.

3. केडी जाधव का वो पहला ओलंपिक मेडल
भारत ने भले ही ओलंपिक खेलों में पहली बार स्वतंत्र देश के तौर पर 1948 के लंदन ओलंपिक में भाग लेकर हॉकी में गोल्ड मेडल जीत लिया हो, लेकिन उसके खाते में पहला व्यक्तिगत ओलंपिक मेडल 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक में आया, जब कुश्ती में केडी जाधव ने 52 किग्रा वर्ग में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया. खशाबा दादासाहेब जाधव का जीता हुआ वो मेडल 44 साल तक भारत का इकलौता व्यक्तिगत मेडल रहा.

4. एशियन गेम्स के तौर पर एशिया को नई राह दिखाई
भारत ने वर्ष 1951 में वो कर दिखाया, जिसकी उम्मीद भी दुनिया में किसी ने नहीं की थी. आजादी के सिर्फ 4 साल बाद जब भारत खुद अपने पैरों पर खड़े होने की कोशिश कर रहा था तो उसने एशियन गेम्स का आयोजन कर दिखाया. ओलंपिक खेलों के बाद इस सबसे बड़े खेल मेले की शुरुआत की चुनौती अपने कंधों पर लेकर भारत ने एशियाई देशों को एक नई राह दिखाई, जो आज बेहद प्रतिष्ठापूर्ण आयोजन बन गया है. दिल्ली में हुए इन खेलों में भारत ने 15 गोल्ड मेडल जीते थे और ओवरऑल दूसरे स्थान पर रहा था.

5. भारत का 100 मीटर पुरुष स्प्रिंट में पहला और इकलौता एशियाई गोल्ड मेडल
दिल्ली में हुए पहले एशियन गेम्स सिर्फ इसी कारण खास नहीं थे बल्कि इन खेलों में भारत को पहला मेडल एक स्प्रिंट इवेंट से मिला. ये स्प्रिंट इवेंट था 100 मीटर फर्राटा दौड़. केन्या में जन्मे और मुंबई में पले-बढ़े लेवी पिंटो ने 10.8 सेकंड में रेस पूरी कर देश को एशियन गेम्स का पहला गोल्ड मेडल जिताया, जो आज तक एशियाई खेलों में पुरुषों की 100 मीटर दौड़ में भारत का इकलौता गोल्ड मेडल है.

6. फुटबॉल में एशियाई बादशाहत
भारत ने पहले एशियन गेम्स में ट्रैक एंड फील्ड इवेंट्स में तो मेडल के भंडार लगाकर अपनी बादशाहत कायम की ही थी, लेकिन एक गोल्ड मेडल ऐसा भी था, जिसके बारे में सुनकर शायद आप आश्चर्य में पड़ जाएंगे. जो भारतीय फुटबॉल टीम आज दक्षिण एशियाई खेलों में भी चैंपियन बनने के लिए जूझती है, उसने 1951 के एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीतकर एशिया पर अपनी बादशाहत कायम कर दी थी. जीत के हीरो थे सेंटर फॉरवर्ड शाहू मेवालाल, जिन्होंने ईरान के खिलाफ फाइनल में 1-0 की जीत का इकलौता विजयी गोल करने के साथ ही टूर्नामेंट में सर्वाधिक 4 गोल किए थे.

7. पहली बार ओलंपिक में खेली भारतीय फुटबॉल टीम
शायद आपको सुनकर हैरानी हो, लेकिन जिस फुटबॉल में आज हम कहीं हैसियत नहीं रखते, उसी फुटबॉल में हमने 1 या 2 नहीं बल्कि 3 ओलंपिक में हिस्सेदारी की थी. वर्ष 1948 के लंदन ओलंपिक में पहली बार भारतीय फुटबॉल टीम खेलने उतरी तो नंगे पैर बिना जूतों के खेलते उसके खिलाड़ी सभी की हंसी का कारण थे, लेकिन फ्रांस से 2-1 की हार के बावजूद भारतीय खिलाड़ियों के खेल ने सभी का दिल जीत लिया. 1952 ओलंपिक में भी हम पहले ही दौर में यूगोस्लाविया से 10-1 से हार गए.

8. 1956 ओलंपिक में ब्रांज मेडल मैच में हारी फुटबॉल टीम
भारतीय फुटबॉल टीम का ओलंपिक में बेस्ट प्रदर्शन 1956 ओलंपिक में था, जब भारतीय टीम ब्रॉन्ज मेडल के मुकाबले तक पहुंची. लेकिन उसे बुल्गारिया से हार का सामना करते हुए चौथे नंबर पर रहना पड़ा.

9. नेविले बने ओलंपिक में हैट्रिक बनाने वाले पहले एशियाई
भारत के लिए 1956 ओलंपिक में एक और गर्व का मौका तब आया, जब भारतीय फुटबॉल खिलाड़ी नेविले डिसूजा ने क्वार्टर फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जीत में हैट्रिक बनाई. वे ओलंपिक में हैट्रिक बनाने वाले किसी भी एशियाई देश के पहले खिलाड़ी थे.

10. भारतीय फुटबॉल टीम का फीफा विश्व कप 
भारतीय फुटबॉल टीम फीफा विश्व कप में खेलेगी, ये शायद ही आज कोई भी सोच पाएगा. लेकिन भारतीय टीम ने पहली और आखिरी बार वर्ष 1950 के फीफा विश्व कप में क्वालिफाई किया था. ब्राजील में होने वाले उस विश्व कप में टीम सिर्फ इसलिए नहीं गई, क्योंकि उसके खिलाडिय़ों के पास जूते नहीं थे और फीफा ने मैच में जूते पहनना अनिवार्य कर दिया था.

11. भारत ने जीता 1975 का हॉकी विश्व कप
भारतीय हॉकी की कुछ खास यादों में से एक पहली और आखिरी बार विश्व कप जीतना भी है. 1975 में भारतीय हॉकी टीम ने ये कारनामा कर दिखाया था.

12. फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह का सेकंड के 100वें हिस्से से ओलंपिक मेडल चूकना
भारतीय खेलों की पुरानी यादें जब भी टटोली जाएंगी तो हर बार फ्लाइंग सिख के नाम से मशहूर मिल्खा सिंह का सेकंड से भी कम समय से चूककर 1960 के रोम ओलंपिक में 400 मीटर दौड़ का ब्रॉन्ज मेडल नहीं जीत पाना जरूर याद किया जाएगा.

13. भारत की पहली क्रिकेट टेस्ट मैच जीत
भारतीय क्रिकेट टीम का डंका आज पूरे विश्व में बजता है, लेकिन उसे अपनी पहली टेस्ट मैच जीत के लिए पूरे 20 साल इंतजार करना पड़ा था. 1932 में अपना पहला टेस्ट मैच खेलने वाले भारत ने 1952 में इंग्लैंड को मद्रास टेस्ट में हराकर ये कारनामा किया था.

14. पहली टेस्ट सीरीज जीत चिर प्रतिद्वंदी के खिलाफ
वर्ष 1952 में ही भारत ने पाकिस्तान को टेस्ट सीरीज में हराकर अपने इतिहास की पहली टेस्ट सीरीज जीत हासिल की थी. अपने चिर प्रतिद्वंदी देश पर मिली इस जीत ने भारत के हौसले बुलंद कर दिए थे.

15. पहली बार देश से बाहर मिली टेस्ट सीरीज जीत
भारत पे 1967-68 में न्यूजीलैंड को उसी के देश में 3-1 से हराकर विदेशी धरती पर अपनी पहली सीरीज जीत हासिल की थी.

16. भारत को पैरा ही सही पर मिला पहला व्यक्तिगत ओलंपिक गोल्ड
भारत के लिए ओलंपिक में पहला व्यक्तिगत गोल्ड मेडल पैरालंपिक खेलों में आया, जब लड़ाई में विकलांग होकर रिटायर कर दिए गए सैनिक मुरलीकांत पेटकर ने 50 मीटर फ्रीस्टाइल स्वीमिंग में साल 1972 में गोल्ड मेडल अपने नाम किया.

17. सुनील गावस्कर का जबरदस्त डेब्यू
वर्ष 1971 में सुनील गावस्कर ने वेस्टइंडीज की खतरनाक गेंदबाजी के खिलाफ उन्हीं के देश में टेस्ट डेब्यू करते हुए 774 रन बनाए थे, जो आज भी डेब्यू सीरीज में किसी बल्लेबाज का वर्ल्ड रिकॉर्ड है.

18. वेस्टइंडीज को उसी के घर में सीरीज हराना
भारतीय क्रिकेट टीम ने सुनील गावस्कर के जबरदस्त डेब्यू प्रदर्शन से वेस्टइंडीज को उसी के घर में 1-0 से सीरीज हराकर पहली बार ये कारनामा किया था.

19. इंग्लैंड को पहली बार उसके घर में सीरीज हराई
वेस्टइंडीज को हराने के बाद अजीत वाडेकर की कप्तानी वाली भारतीय टीम ने इंग्लैंड को भी वर्ष 1971 में ही उसके घर में पहली बार सीरीज हराई.

20. जब भारत बना क्रिकेट का विश्व विजेता
वर्ष 1983 को भारतीय खेलों के इतिहास में सबसे ऊपर रखा जाएगा, क्योंकि ये वो साल था, जिसने भारतीय खेलों की स्थिति ही बदल दी. कपिल देव की कप्तानी में भारतीय टीम सिर्फ क्रिकेट में ही विश्व विजेता नहीं बनी थी बल्कि उसने भारतीय खेलों में पैसा लाने की नई इबारत भी लिख दी.

21. आनंद बने चेस में विश्व चैंपियन
विश्वनाथन आनंद साल 2000 में विश्व चैस चैंपियन बनकर ऐसा करने वाले पहले भारतीय, पहले एशियाई और बॉबी फिशर के बाद पहले गैर सोवियत खिलाड़ी बने. 

22. भारत को एक ही पैरालंपिक में मिले 4 पदक
भारत के लिए जोगिंदर सिंह बेदी ने वर्ष 1984 के लॉस एंजेलिस पैरालंपिक खेलों में वो कारनामा कर दिखाया, जो कभी भूला नहीं जा सकता. बेदी ने शॉटपुट में सिल्वर मेडल जीतने के साथ ही डिस्क्स थ्रो और जैवलिन थ्रो में ब्रॉन्ज मेडल भी अपने नाम किए. भीमराव केसारकर ने भी जैवलिन थ्रो में सिल्वर मेडल जीतकर भारत की मेडल संख्या 4 पर पहुंचा दी.

23. भारत को मिली उड़न परी पीटी ऊषा
वर्ष 1984 के लॉस एंजेलिस ओलंपिक में 100 मीटर फर्राटा दौड़ में भारत की पीटी ऊषा सेकंड के 100वें से भी कम हिस्से से ब्रॉन्ज मेडल चूककर मिल्खा सिंह की कहानी दोहरा गई. इसके बाद ‘उड़न परी’ के नाम से मशहूर हुई ऊषा ने 1986 के सियोल एशियन गेम्स में 3 गोल्ड समेत कुल 4 पदक जीतकर सभी को हैरान कर दिया.

24. भारत ने आयोजित किया अपना दूसरा एशियन गेम्स
भारत ने 1982 में दिल्ली में ही फिर से एशियन गेम्स का आयोजन करते हुए दिखा दिया कि उसके पास बड़े आयोजनों को संभालने और बेहतरीन मेजबानी करने का पूरा सलीका है.

25. पहली बार इंग्लैंड से बाहर लेकर आए क्रिकेट विश्व कप
भारत के खाते में एक और बड़ी उपलब्धि तब आई, जब वर्ष 1987 में रिलायंस क्रिकेट विश्व कप का आयोजन भारत-पाकिस्तान ने मिलकर किया. ये पहला मौका था, जब इंग्लैंड से बाहर किसी देश में क्रिकेट विश्व कप आयोजित किया गया.

26. भारत ने दिया दुनिया को टेस्ट क्रिकेट का पहला 10 हजारी
सुनील गावस्कर वर्ष 1987 में पाकिस्तान के खिलाफ अपनी आखिरी टेस्ट सीरीज खेलते हुए 10 हजार टेस्ट रन पूरे करने का कारनामा कर ऐसा करने वाले दुनिया के पहले बल्लेबाज बन गए.

27. किसी गेंदबाज के सबसे बेहतरीन डेब्यू प्रदर्शन का इतिहास
भारत के लेग स्पिनर नरेंद्र हिरवानी ने 1988 में वेस्टइंडीज के खिलाफ मद्रास (अब चेन्नई) टेस्ट में 136 रन देकर 16 विकेट लिए. ये आज तक किसी भी गेंदबाज का अपने पहले टेस्ट मैच में बेस्ट बॉलिंग का विश्व रिकॉर्ड है.

28. इंग्लैंड को किया क्लीन स्वीप
भारतीय क्रिकेट टीम ने मोहम्मद अजहरुद्दीन की कप्तानी में वो किया, जो कभी नहीं हुआ था. भारत ने इंग्लैंड क्रिकेट टीम को अपने घर में 3-0 से टेस्ट सीरीज में हराकर पहली बार क्लीन स्वीप करने में सफलता हासिल की.

29. कपिल देव ने तोड़ा रिचर्ड हैडली का रिकॉर्ड
भारतीय क्रिकेट में एक और तमगा तब जड़ा गया, जब 1994 में श्रीलंका के खिलाफ अहमदाबाद टेस्ट में कपिल देव ने अपना 432वां विकेट लेकर रिचर्ड हैडली का सबसे ज्यादा टेस्ट विकेट का विश्व रिकॉर्ड तोड़ दिया था.

30. लिएंडर पेस ने 44 साल बाद ओलंपिक में बजवाया राष्ट्रगान
भारत के लिए ओलंपिक का सबसे बड़ा न भूलने वाला मौका होगा, जब वर्ष 1996 के अटलांटा ओलंपिक में लिएंडर पेस ने टेनिस में ब्रांज मेडल जीतकर फिर से देश का राष्ट्रगान बजवा दिया. 44 साल बाद किसी व्यक्तिगत पदक के लिए ओलंपिक में भारत का राष्ट्रगान बजाया गया.

31. 16 साल बाद एशियाई गोल्ड जीता भारत
वर्ष 1998 का बैकॉक एशियाड भारत के लिए अनोखा साबित हुआ. धनराज पिल्लै की कप्तानी वाली भारतीय हॉकी टीम ने 16 साल बाद देश को एशियाई खेलों में गोल्ड मेडल के दर्शन कराए.

32. अनिल कुंबले ने लिए पारी में 10 विकेट
भारतीय लेग स्पिनर अनिल कुंबले ने पाकिस्तान के खिलाफ वर्ष 1998-99 में वो कारनामा कर दिखाया, जो टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में दूसरी बार किया गया था. कुंबले ने फिरोजशाह कोटला में खेले गए टेस्ट मैच की दूसरी पारी में पाकिस्तान के सभी 10 विकेट चटकाकर रिकॉर्ड बुक ही बदल दी. इससे पहले सिर्फ एक बार इंग्लैंड के जिम लेकर ने सभी 10 विकेट पारी में लिए थे.

33. कर्णम मल्लेश्वरी ने दिखाया भारतीय महिलाओं का दम
भारत के लिए लगातार दूसरा ओलंपिक खुशखबरी लेकर आया, जब कर्णम मल्लेश्वरी ने वेटलिफ्टिंग में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर पूरी दुनिया को भारतीय महिलाओं का दम-खम दिखा दिया. ये किसी भारतीय महिला का पहला ओलंपिक पदक भी था.

34. भारत 20 साल बाद फिर विश्व कप फाइनल में
भारतीय क्रिकेट टीम 20 साल बाद फिर से विश्व विजेता बनते-बनते रहे गई, जब 2003 विश्व कप के फाइनल में उसे ऑस्ट्रेलिया के हाथों हार का सामना करना पड़ा.

35. राज्यवर्धन राठौड़ ने लिखी ओलंपिक पदक की नई कहानी
वर्ष 2004 के एथेंस ओलंपिक में भारत के लिए राज्यवर्धन राठौड़ ने निशानेबाजी में सिल्वर मेडल जीतकर पहली बार व्यक्तिगत वर्ग में देश को ब्रॉन्ज से ऊपर किसी मेडल के दर्शन कराए.

36. देवेंद्र झाझरिया ने 32 साल बाद जिताया पैरालंपिक में फिर से गोल्ड
एथेंस के पैरालंपिक खेल भी भारत के लिए अनोखे रहे, जब देवेंद्र झाझरिया ने जैवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल जीत लिया. ये भारत के लिए पैरालंपिक में 32 साल बाद गोल्ड मेडल था. इन्हीं खेलों में राजेंद्र सिंह राहेलू ने भी पॉवरलिफ्टिंग में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम कर लिया.

37. भारतीय महिलाएं भी चूकीं विश्व कप फाइनल
भारतीय पुरुषों के दो साल बाद महिला क्रिकेट टीम भी उसी राह पर चली और वर्ष 2005 में ऑस्ट्रेलिया के ही हाथों विश्व कप फाइनल हारकर विश्व विजेता बनने का मौका चूक गईं.

38. बीजिंग ओलंपिक में बदल गया भारतीय खेल इतिहास
भारत का सारा खेल इतिहास वर्ष 2008 के बीजिंग ओलंपिक खेलों ने पलट दिया. भारत ने पहली बार एक ओलंपिक में 3-3 व्यक्तिगत पदक जीते. अभिनव बिंद्रा ने पहली बार भारत को ओलंपिक खेलों में व्यक्तिगत गोल्ड मेडल दिलाया तो बॉक्सिंग में विजेंदर सिंह और कुश्ती में सुशील कुमार ने ब्रॉन्ज मेडल जीता.

39. भारत 24 साल बाद फिर क्रिकेट में विश्व विजेता
महेंद्र सिंह धोनी की युवा टीम ने वर्ष 2007 में वो कर दिखाया, जो 24 साल पहले कपिल देव की टीम ने किया था. वर्ष 2007 में पहली बार हुए टी-20 विश्व कप में भारतीय टीम ने खिताब जीतकर खुद को फिर से विश्व विजेता बना लिया.

40. आईपीएल ने बदल दिया दुनियाभर का खेल गणित
भारत ने वर्ष 2008 में इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) क्या शुरू की कि पूरी दुनिया का खेल गणित ही बदल गया. आईपीएल की बदौलत खिलाडिय़ों के पास आए जबरदस्त पैसे ने हर खेल को अपनी-अपनी लीग शुरू करने के लिए प्रेरित किया, नतीजतन अब कबड्डी जैसे खेल में भी लाखों रुपए खिलाडिय़ों को मिल रहे हैं.

41. और भारत 28 साल बाद फिर बना वनडे का विश्व विजेता
वर्ष 2011 में मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में श्रीलंका के खिलाफ फाइनल मुकाबले के दौरान जैसे ही एमएस धोनी ने अपना हेलीकॉप्टर शॉट 6 रन के लिए मैदान से बाहर भेजा, तभी भारतीय क्रिकेट टीम फिर से वनडे में विश्व विजेता बन गई. भारत ने 28 साल बाद दूसरी बार वनडे विश्व कप अपने नाम किया.

42. सुशील बने भारत के लिए दो ओलंपिक पदक जीतने वाले पहले खिलाड़ी
लंदन ओलंपिक-2012 में पहलवान सुशील कुमार ने वो कर दिखाया, जो भारत के लिए पहले कभी नहीं हुआ था. सुशील ने सिल्वर मेडल जीता और दो ओलंपिक मेडल जीतने वाले भारत के पहले खिलाड़ी बन गए. इन खेलों में ही योगेश्वर दत्त ने भी ब्रांज मेडल जीतकर कुश्ती के पदकों की संख्या को दोहरी संख्या में पहुंचा दिया.

43. निशानेबाजी बना भारत का सबसे बड़ा खेल
लंदन ओलंपिक में भारत को निशानेबाजी में दो और पदक गगन नारंग और विजय कुमार ने दिलाए. गगन को ब्रांज मेडल और विजय को सिल्वर मेडल मिला. इस तरह से 6 ओलंपिक पदक के साथ निशानेबाजी भारत का सबसे बड़ा खेल बन गया.

44. पहली बार 2 महिला पदक विजेता भी मिलीं
लंदन ओलंपिक-2012 में बॉक्सिंग में एमसी मैरीकॉम ने ब्रांज मेडल जीता तो बैडमिंटन में साइना नेहवाल ने ये कारनामा कर दिखाया. इसके साथ ही एक ओलंपिक में पहली बार भारत को दो महिला पदक विजेता मिल गईं.

45. गिरिशा ने बढ़ाई पैरालंपिक की मुहिम आगे
लंदन पैरालंपिक खेलों में भारत के गिरिशा नागराजगौड़ा ने ऊंची कूद में सिल्वर मेडल जीतकर विकलांगों को नई राह दिखाने की मुहिम जारी रखी.

46. सचिन तेंदुलकर बने 100 शतक बनाने वाले पहले खिलाड़ी
मास्टर ब्लास्टर और क्रिकेट के भगवान के नाम से मशहूर सचिन तेंदुलकर ने टेस्ट क्रिकेट में अपना 51वां शतक बनाकर 100 अंतरराष्ट्रीय शतक बनाने वाला पहला बल्लेबाज बनने का कारनामा कर दिखाया.

47. रियो ओलंपिक में सिंधु ने लिखी नई इबारत
रियो ओलंपिक खेलों में बैडमिंटन में पीवी सिंधु ने सिल्वर मेडल जीतकर ऐसा करने वाली पहली भारतीय महिला बनने का गौरव हासिल किया तो साक्षी मलिक कुश्ती में कांस्य पदक जीतने वाली पहली महिला बनीं.

48. दीपा करमाकर चूककर भी जीत गईं दिल
ओलंपिक में क्वालिफाई करने वाली पहली भारतीय जिम्नास्ट दीपा करमाकर अंकों के दशमलव हिस्से से ब्रांज मेडल चूक गईं, लेकिन उनके प्रदर्शन ने पूरे विश्व को तालियां बजाने के लिए मजबूर कर दिया.

49. देवेंद्र झाझरिया का गोल्डन डबल
रियो ओलंपिक में भले ही भारत को सिर्फ दो मेडल मिले, लेकिन पैरालंपिक खेलों में भारत ने 4 पदक अपने नाम किए. देवेंद्र झाझरिया ने फिर से जैवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल जीता और दो अलग-अलग पैरालंपिक में पदक जीतने वाले पहले भारतीय बने. ऊंची कूद में टी. मरियप्पन ने गोल्ड मेडल और वरुण भाटी ने ब्रांज मेडल जीतकर दिखा दिया कि विकलांगता के बावजूद ऊंचा कैसे उछला जा सकता है.

50. दीपा मलिक ने दिखाया विकलांगता कोई कठिनाई नहीं
10 साल से व्हील चेयर पर बैठी 35 साल से ज्यादा उम्र की दीपा मलिक ने शॉटपुट में सिल्वर मेडल जीतकर दिखा दिया कि यदि मन में चाह है तो विकलांगता आपको नहीं रोक सकती.





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