सीहोर16 मिनट पहले
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तहसील क्षेत्र में सोयाबीन की फसल में इस समय तेजी से तना मक्खी, रस चूसक इल्ली का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। आलम यह है कि मक्खियों पर नियंत्रण ना लग पाने से सोयाबीन की फसल देखते ही देखते सूखने की स्थिति में पहुंच गई है। क्षेत्र में करीब 50 गांवों के खेतों की फसल इस रोग की चपेट में आकर बर्बादी की कगार पर है। क्षेत्र में करीब 63 हजार 120 हेक्टेयर में सोयाबीन की बोवनी की गई है। तना मक्खी की शिकायत मिलने के बाद कृषि विभाग भी गांव-गांव घूमकर फसलों की स्थिति का जायजा ले रहा है। कृषि अधिकारियों के साथ वैज्ञानिकों की टीम भी खेतों में घूम कर मक्खी के प्रकोप से फसलों को बचाने दवाओं के छिड़काव की सलाह दे रही है। कृषि विभाग के अनुसार दवा का असर सिर्फ उस फसल पर पड़ेगा जिस पौधे में मक्खी ने अपने पैर नहीं पसारे हैं। जहां मक्खी ने तने में प्रवेश कर लिया है, ऐसी फसल को नष्ट होने से नहीं बचाया जा सकता। कृषि विभाग के अनुसार तना मक्खी, रस चूसक इल्ली का प्रकोप वैसे तो पूरी तहसील में बढ़ता जा रहा है। सर्वाधिक प्रकोप गांव लाड़कुई, गूलरपुरा, झिरनिया, छापरी, पलासी कला सहित करीब 50 से अधिक गांवों के खेतों में फैल चुका है। पीली पड़ने लगी सोयाबीन की फसल: कृषि विभाग के वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी वीएस राज ने बताया फसल में तना मक्खी कीट प्रकोप के कारण सोयाबीन फसल पीली पड़ रही है। पौधे के तनों को चीर कर देखने पर पीले रंग की बारिक इल्ली दिखाई देती है। यह इल्ली तने के आंतरिक भाग को खाकर नष्ट कर रही है। इससे फसल सूख रही है।
इन दवाओं का करें उपयोग
कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. दीपक कुशवाह व एसएडीओ बीएस राज के अनुसार किसान अपने खेतों में रेनट्रानिलीप्रोल 10 प्रतिशत, नोवाल्यूरान 5.25 प्रतिशत, ईमामेक्टिन बेनजोएक्ट 9.25 प्रतिशत, 100 लीटर पानी में प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें। सफेद मक्खी कीट नियंत्रण के लिए थायमेथाक्शाम 25 प्रतिशत, डबल्यू पी 60 ग्राम अथवा डायकेन्थीयूरान 50 प्रतिशत, डबल्यू जी 200 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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