कमलनाथ सरकार में BJP नेताओं-कार्यकर्ताओं पर दर्ज आपराधिक मामले वापस होंगे! | bhopal – News in Hindi

कमलनाथ सरकार में BJP नेताओं-कार्यकर्ताओं पर दर्ज आपराधिक मामले वापस होंगे! | bhopal – News in Hindi


पुलिस मुख्यालय ने सभी ज़िलों के एसपी से इसकी जानकारी मंगवायी है.

किसी के खिलाफ दर्ज आपराधिक केस (Criminal cases) वापस लिया जाए या नहीं इसका फैसला अदालत (Court) करती है.

भोपाल.कमलनाथ सरकार (Kamalnath government) में बीजेपी नेता (bjp leader) और कार्यकर्ताओं पर दर्ज आपराधिक मामले वापस लेने की कवायद शुरू हो गई है. बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इसकी शिकायत की है. गृह विभाग से इसका निर्देश मिल गया है. निर्देश मिलते ही पुलिस मुख्यालय ने जानकारी जुटाना शुरू कर दी है.

बीजेपी के कई नेताओं ने सरकार से शिकायत की थी कि कांग्रेस सरकार में उनके खिलाफ झूठे मामले दर्ज किए गए हैं. यह सब मामले राजनीति से प्रेरित होकर दर्ज किए गए. शिकायत करने वालों में बीजेपी के सांसद, विधायक से लेकर मंत्री तक शामिल हैं. सूत्रों के अनुसार इस शिकायत को सरकार ने गंभीरता से लिया और गृह विभाग को मामले में वैधानिक कार्रवाई करने के दिशा निर्देश दिए थे. गृह विभाग ने फौरन ऐसे मामलों की जानकारी जुटाने के लिए पुलिस मुख्यालय को निर्देश दिए. मुख्यालय जानकारी जुटाने के लिए सभी जिलों के एसपी की मदद ले रहा है. प्रदेश के सभी एसपी से ऐसे मामलों की जानकारी मांगी गई है. केस वापस लेने की प्रक्रिया प्रत्याहरण कानून के तहत होगी.

इस प्रक्रिया से वापस होंगे केस
-केस वापस लेने की जानकारी और उससे जुड़ा प्रस्ताव कोई भी लोकसेवक, जांच अधिकारी, लोक अभियोजक या फिर शिकायतकर्ता अभियोजन संचालनालय को भेज सकता है.-मुख्यमंत्री, गृहमंत्री, जनप्रतिनिधि या फिर कलेक्टर भी केस वापस लेने के लिए आवेदन भेज सकते हैं. इन आवेदनों को जिला स्तर पर गठित आपराधिक प्रकरणों की समिति को भेजा जाता है. इस समिति का अध्यक्ष कलेक्टर और सचिव अभियोजन अधिकारी और सदस्य संबंधित एसपी, डीआईजी होता है. समिति केस वापस लेने की सिफारिश अभियोजन संचालनालय को भेजती है.

-जिले की तरह ही राज्य स्तर पर भी एक समिति होती है, जो जिला स्तरीय समिति की निगरानी करती है. इसमें गृह विभाग के एसीएस, विधि विभाग के पीएस, डीजीपी, महाधिवक्ता या उनकी ओर से कोई नामांकित प्रतिनिधि और संचालक लोक अभियोजन सदस्य होते हैं. अभियोजन संचालनालय इन केसों को परीक्षण के लिए विधि विभाग को भेजता है.

-विधि विभाग गुण-दोष के आधार पर इन केसों का परीक्षण कर इन्हें वापस लेने या बनाए रखने की सिफारिश करते हुए अभियोजन संचालनालय को अपना मत देता है.

-जिले के अभियोजन अधिकारी के माध्यम से अदालत को केस वापस लेने की आधिकारिक सूचना दी जाती है. इसके बाद अंतिम फैसला कोर्ट लेता है. कोर्ट पर निर्भर रहता है कि केस वापस करने या नहीं.





Source link