एमपी में हर साल एलोपैथिक,आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक दवाओं के लिए 5 करोड़ का बजट अलॉट होता है.
सरकारी अस्पतालों (government hospitals) को बजट ही नहीं मिला है. इसका सीधा असर दवाई (medicines) खरीदने पर पड़ा है.
रजिस्ट्रेशन बंद
अस्पतालों में पेंशनर्स का रजिस्ट्रेशन भी बंद पड़ा है. एमपी में हर साल एलोपैथिक,आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक दवाओं के लिए 5 करोड़ का बजट अलॉट होता है. इस साल अप्रैल तक अस्पतालों को बजट जारी नहीं किया गया. पैसा न होने के कारण इन सभी सरकारी अस्पतालों में इस बार दवाइयां नहीं खरीदी जा सकीं. इसलिए पेंशनर्स को दवाइयां नहीं मिल पा रही हैं.
इन जिलों पर ज्यादा असरप्रदेश में सबसे ज्यादा पेंशनर्स भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर में हैं. यहां दो-दो लाख पेंशनर्स हैं .अस्पताल में दवा नहीं मिलने के कारण इन्हीं जिलों में सबसे ज्यादा असर हुआ है. पेंशनर्स एसोसिएशन के पदाधिकारी गणेश जोशी ने बताया कि जब दवाइयों के लिए बजट ही नहीं मिल रहा है तो अस्पताल प्रशासन भी कहां से दवाइयां खरीदे. इसके अलावा नए रजिस्ट्रेशन भी बंद है. पेंशनर्स को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा है. एक अप्रैल से पेंशन कार्ड भी बनना बंद हो गए हैं.
मानव अधिकार आयोग ने रिपोर्ट मांगी
ये बात जब राज्य मानव अधिकार आयोग तक पहुंची तो उसके खान खड़े हुए. आयोग ने इस मामले में मुख्य सचिव के साथ प्रमुख सचिव वित्त विभाग और लोक स्वास्थ्य कल्याण विभाग से रिपोर्ट मांगी है. यह रिपोर्ट 4 सप्ताह के अंदर मानव अधिकार आयोग को देना है. इस रिपोर्ट में प्रशासन को यह बताना पड़ेगा कि इन पेंशनर्स को आखिरकार किन कारणों से दवा नहीं दी जा रही है. उनके अस्पतालों में रजिस्ट्रेशन क्यों बंद है. पेंशन कार्ड क्यों बनना बंद हो गए. इस रिपोर्ट के आधार पर मानव अधिकार आयोग आगे की वैधानिक कार्रवाई करेगा.