Indore Ranked Cleanest City 2020 For Time In A Row; Dainik Bhaskar On Segregation of Dry Waste & Wet Waste | 20 करोड़ रुपए से लगे प्लांट में होता है सूखे कचरे का निपटान, देशभर में ऐसा कोई दूसरा प्लांट नहीं, गीले कचरे से 45 दिन में बन जाती है खाद

Indore Ranked Cleanest City 2020 For Time In A Row; Dainik Bhaskar On Segregation of Dry Waste & Wet Waste | 20 करोड़ रुपए से लगे प्लांट में होता है सूखे कचरे का निपटान, देशभर में ऐसा कोई दूसरा प्लांट नहीं, गीले कचरे से 45 दिन में बन जाती है खाद


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इंदौर7 मिनट पहले

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निगम के ट्रेंचिंग ग्राउंड में सूखे कचरे की इस प्रकार से प्रोसेसिंग होती है।

  • अर्बन मिनिस्टर हरदीप पुरी की मौजूदगी में दिल्ली में ऑनलाइन कार्यक्रम में परिणाम की घोषणा की
  • इंदौर ने पहली बार 2017 में नंबर वन का ताज पाया था, इसके बाद लगातार चार बार नंबर वन बना

इंदौर ने गुरुवार को एक बार फिर नंबर वन का ताज हासिल कर लिया। दिल्ली में अर्बन मिनिस्टर हरदीप सिंह पुरी ने ऑनलाइन माध्यम से इंदौर के नंबर वन बनने की घोषणा की। इंदौर को स्वच्छता में नंबर वन बनाने के लिए इंदौरियों की मेहनत के साथ-साथ नगर निगम के सैकड़ों कर्मचारियों का भी बहुत बड़ा सहयोग रहा है। करीब 147 एकड़ फैले ट्रंचिंग ग्राउंड में रोजाना हजारों टन कचरा पहुंचता है, जहां गीला और सूखा कचरा को अलग-अलग किए जाने की प्रोसेस होती है। प्रतिदिन 13 टन गीला कचरा लगभग 40 कैप्सूल सूखा कचरा यहां पहुंचता है। सफाई में शहर के नंबर वन आने में सबसे मददगार यह ट्रेंचिंग ग्रांउड भी है। इंदौर के नंबर वन आने पर दैनिक भास्कर एप प्लस प्लांट पहुंचा और यहां की प्रोसेस को जानने की कोशिश की…

2017 में बने प्लांट को आईएसआई मार्क मिल चुका है।

2017 में बने प्लांट को आईएसआई मार्क मिल चुका है।

यहां लगा 300 टन का प्लांट इंडिया का नंबर-1 प्लांट

प्लांट के असिस्टेंट इंजीनियर राम गुप्ता ने बताया कि ट्रेंचिंग ग्राउंड में अलग-अलग गीला और सूखा कचरा प्लांट तक पहुंचता था। प्रतिदिन 600 से 650 टन गीला कचरा यहां पहुंचता है। इस कचरे काे हम प्लांट में 45 दिन में खाद में बदल देते हैं। इस खाद काे यहीं से सीधे किसानों काे दे दी जाती है। सूखे कचरे के निपटान के लिए यहां दाे प्लांट लगे हैं। एक 250 और दूसरा 300 टन का प्लांट है। 300 टन का प्लांट इंडिया का नंबर-1 प्लांट है। करीब 20 कराेड़ की लागत से स्थापित इस प्लांट जैसा देशभर में काेई दूसरा प्लांट नहीं है।

यहां पर प्रतिदिन 600 टन गीले कचरे का निपटान होता है।

यहां पर प्रतिदिन 600 टन गीले कचरे का निपटान होता है।

40 से 45 गीला, जबकि 42 से 45 गाड़ी रोज सूखा कचरा आता है

गुप्ता ने बताया कि गीले कचरे की यहां पर 40 से 45, जबकि सूख कचरे की 42 से 45 गाड़ी रोज आती है। उन्होंने बताया कि खाद बनाने का प्लांट 2017 में डाला गया था। तब नगर निगम को सिटी गार्डन या अन्य गार्डन के लिए खाद खरीदनी होती थी। इसके लिए निगम को तीन से चार करोड़ रुपए चुकाने होते थे। अब यह खाद इंदौर में नगर निगम में उपयोग होने के साथ ही किसानों को भी बेची जा रही है। बायो फ्यूल को लेकर बताया कि यहां 8 टन का डीजल डेमो प्लांट स्थापित किया गया है। प्लांट से करीब 2000 से 2500 लीटर पेट्रोल और 3000 लीटर डीजल का उत्पादन हो रहा है। इसे हम प्लास्टिक वेस्ट मटेरियल से बना रहे हैं।

प्लांट में 45 दिन में गीले कचरे से खाद तैयार कर ली जाती है।

प्लांट में 45 दिन में गीले कचरे से खाद तैयार कर ली जाती है।

ट्रेंचिंग ग्राउंड को मिल चुका है आईएसओ सर्टिफिकेट

  • देवगुराड़िया स्थित ट्रेंचिंग ग्राउंड के स्थापित होने के बाद मात्र डेढ़ साल में ही इसे आईएसओ सर्टिफिकेट मिल गया था। इसे पर्यावरणीय सुरक्षा पैमानों पर खरा उतरने, गुणवत्ता प्रबंधन और स्वास्थ्य और सुरक्षा प्रबंधों के लिए तीन आईएसओ (इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन फॉर स्टैंडर्डाइजेशन) प्रमाण-पत्र मिले हैं।
  • जब ट्रेंचिंग ग्राउंड के विकास की तैयारी की गई तो यहां पर 12-15 लाख मीट्रिक टन पुराना कचरा पड़ा था। निगम ने इसे वैज्ञानिक पद्धति से धीरे-धीरे खत्म किया। पुराने कचरे की मिट्टी के इस्तेमाल से ग्राउंड पर आठ बगीचे बनाए गए हैं। पुराने कचरे में बदबू ज्यादा होती है। उसमें बायो कल्चर जैविक पदार्थ डाला जा रहा है जो बदबू तो कम करते ही है, कचरे को कंपोस्ट में बदलने की प्रक्रिया में तेजी लाई गई।
  • सबसे पहले ट्रेंचिंग ग्राउंड (लैंडफिल साइट या डंपिंग यार्ड) की आधारभूत सुविधाओं जैसे प्लांट, मशीनरी, सड़क और बिल्डिंग आदि को व्यवस्थित किया गया। पहले सूखा कचरा गीले कचरे में मिलकर आता था। करीब ढाई करोड़ की लागत शहर से निकलने वाले मलबे और वेस्ट मटेरियल से ईंट, पेवर ब्लॉक बनाने का प्लांट स्थापित किया गया।
  • ग्राउंड पर दो मटेरियल रिकवरी सेंटर शुरू किए गए, जहां रोज 500 टन से ज्यादा सूखे कचरे का निपटान होता है। हाई और लो डेंसिटी पॉलिथीन को ग्राउंड पर लगी दो यूनिट में साफ कर रीसाइकिल किया जाता है। प्लास्टिक के कचरे से रॉ मटेरियल तैयार किया जाता है।
फ्यूल बनाने वाली कंपनी के अभय वैद्य प्लांट के असिस्टेंट इंजीनियर के साथ जानकारी देते हुए।

फ्यूल बनाने वाली कंपनी के अभय वैद्य प्लांट के असिस्टेंट इंजीनियर के साथ जानकारी देते हुए।

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