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- MP Bus News | Bus Services Start Date In Madhya Pradesh Bhopal; Private Bus Operators Seek Tax Waiver
भोपाल20 मिनट पहले
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बस ऑपरेटरों का कहना है कि बिना टैक्स माफी के बस चलाना संभव नहीं है। बस शुरू करने के पहले कम से कम 7 दिन का समय चाहिए। कर्मचारियों को ड्यूटी पर बुलाने से लेकर बस का मैंटेनेंस भी करना जरूरी है। – भोपाल के आईएसबीटी का फाइल फोटो
- कारण- महीनों से एक ही जगह खड़ी होने से बसों का मैंटेनेंस नहीं हो पाया
- बिना टैक्स गाड़ी चलाने पर कानूनी अड़चन भी, दुर्घटना के लिए जिम्मेदार कौन?
मध्यप्रदेश में बसों का टैक्स माफ किए जाने की मांग को लेकर ऑपरेटर्स अड़े हुए हैं। इससे गुरुवार से बस संचालन शुरू नहीं हो सका। मुख्यमंत्री ने पूरी क्षमता के साथ 20 अगस्त से बस चलाने के निर्देश दिए थे। लेकिन ऑपरेटर्स ने मैंटेनेंस का कारण बताते हुए बसों को बाहर ही नहीं निकाला। हालांकि इसके पीछे कानूनी अड़चन आने की बात भी कही जा रही है। बस ऑपरेटर्स पर करीब 70 करोड़ रुपए का टैक्स बकाया है।
भोपाल नगर निगम के कमिश्नर वीएस चौधरी कोलसानी ने कहा कि हमारी बात चल रही है। हमने उनसे बसों का संचालन करने को कहा है, लेकिन प्राइवेट बस ऑपरेटर्स ने अभी तक इस पर निर्णय नहीं लिया है। इधर, मप्र प्राइम रूट ऑपरेटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष गोविंद शर्मा का कहना है कि टैक्स माफ होने के बाद ही बसें चलाई जाएंगी। अगर सरकार टैक्स माफ भी कर देती है तो कम से कम एक सप्ताह तक गाड़ियां शुरू नहीं हो सकती हैं।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश के बाद भी गुरुवार को प्रदेश में एक भी बस नहीं चली। – फाइल फोटो
यह दिए थे निर्देश….
मप्र में 20 अगस्त से पूरी क्षमता के साथ यात्री बसों का संचालन होगा। इसमें बस ऑपरेटर मास्क समेत कोविड के दूसरे प्रोटोकॉल के पालन के साथ बसें चला सकेंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को कोरोना संक्रमण की समीक्षा बैठक में यह जानकारी दी थी। प्रदेश में करीब साढ़े चार महीने से अंतरराज्यीय स्तर पर बसों का संचालन नहीं हो रहा है।
अब भी एक ही मांग टैक्स माफ करो
बस संचालकों की मांग अब भी एक ही है कि अप्रैल से लेकर अगस्त तक लॉकडाउन के समय का टैक्स माफ किया जाए। साथ ही पूरी क्षमता से बसों को चलाने की अनुमति दी जाए। सरकार ने एक बात मान ली है, लेकिन टैक्स माफी को लेकर कोई निर्णय नहीं हो सका। प्रदेश की 35 हजार बसों पर करीब 70 करोड़ रुपए टैक्स बन रहा है। यानी प्रति बस पर 20 हजार रुपए।
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