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- Neither A Colonizer License, Nor A Registry, Two Land Mafia Arrested For Plotting 50 Lakh Cheats From 50 People
भोपाल11 मिनट पहले
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किसानों की मर्जी के बगैर 3.99 एकड़ जमीन पर भूमाफियाओं ने प्लॉट काट दिए। इसके लिए जालसाजों ने न तो कॉलोनाइजर लाइसेंस लिया और न ही प्लॉट का रजिस्ट्री करवाई। डायवर्सन किए बगैर ही 50 लोगों से प्लॉट के नाम पर 50 लाख ऐंठ लिए। शिकायत पर छोला मंदिर पुलिस ने दो भूमाफियाओं को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि उनके एक साथी की तलाश जारी है। एडीजी उपेंद्र जैन के मुताबिक पकड़े गए जालसाज रायसिन्हा कॉलोनी बिलखिरिया निवासी वीर सिंह ठाकुर और ग्राम कोलुआ खुर्द निवासी हेमराज चौकसे हैं। तीसरे साथी बलबीर सिंह की तलाश है। तीनों ने सितंबर 2015 में छोला मंदिर थाना क्षेत्र स्थित ग्राम खेजड़ा बरामद में चार किसान भाइयों से 3.99 एकड़ जमीन का सौदा 5.40 करोड़ में तय िकया। दस लाख रुपए एडवांस दिए और जमीन पर प्लॉटिंग शुरू कर दी। जालसाजों ने शांति अपार्टमेंट करोंद में एक ऑफिस खोला फिर भानपुर में दूसरा ऑफिस शुरू कर दिया।
सस्ते प्लॉट का विज्ञापन देखकर झांसे में आए थे लोग
लोगों को झांसे में लेने के लिए तीनों जालसाजों ने श्री राधेधाम कॉलोनी के नाम से पेंफलेट बंटवाए। 600, 800, 1000 और 1200 वर्गफीट के प्लॉट काटे और कीमत 600 रुपए वर्ग फीट रखी। कम दाम में मिल रहे प्लॉट का विज्ञापन देख लोग झांसे में आ गए और प्लॉट की बुकिंग शुरू कर दी। करीब 50 लोगों ने प्लॉट के लिए बुकिंग एमाउंट जमा कर दिया। ये रकम करीब 50 लाख रुपए थी।
नहीं करवाया जमीन का नामांतरण
जमीन का अनुबंध कर आरोपियों ने चारों किसान भाइयों से रजिस्ट्री भी नहीं करवाई। उनकी सहमति लिए बगैर आरोपियों ने प्लॉटिंग शुरू कर दी। तीनों ने कॉलोनाइजर लाइसेंस भी नहीं लिया। आरोपियों ने जमीन का रजिस्ट्री नामांतरण और डायवर्सन भी नहीं करवाया था।
ठगे गए इन लोगों ने ही पुलिस में की थी शिकायत
रमेश सातपुते, हरिनारायण, ललिता, आशुतोष श्रीवास्तव, महेश गुप्ता, सुरेंद्र जोते, सरिता ओझा, सुरेश चंद्र यादव, नितिन मालवीय, भगवान मालवीय, चंद्रशेखर समेत 50 लोगों ने शिकायत की थी। जांच के बाद पुलिस ने तीनों के खिलाफ धोखाधड़ी, अमानत में खयानत, आपराधिक साजिश समेत अन्य धाराओं में केस दर्ज किया गया है।
धोखा मिला तो किसानों ने नहीं कराई रजिस्ट्री
टीआई अनिल मौर्य के मुताबिक जमीन पर कब्जा मिलने के बाद तीनों आरोपियों ने किसानों को भी धोखा दे दिया। अनुबंध शर्तों का उल्लंघन करने के कारण किसानों ने जमीन की रजिस्ट्री करने से इनकार कर दिया। इससे लोगों की रजिस्ट्री भी संभव नहीं हो सकी। दबाव बढ़ा तो तीनों आरोपी अपना दफ्तर बंद कर अंडरग्राउंड हो गए।
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