मध्य प्रदेश के जेल मुख्यालय में पदस्थ पुलिस अफसरों को लेकर शिकायत की गई है.
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के जेल मुख्यालय में पदस्थ तीन एडिशनल डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस रैंक के सीनियर आईपीएस (IPS) अफसरों को हटाने के लिए एक धड़े ने सरकार के स्तर पर मोर्चा खोल दिया है.
जेल मुख्यालय में एडिशनल डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस रैंक के सीनियर आईपीएस अफसरों के लंबे समय से पदस्थ रहने की वजह से बवाल मच गया है. उनके खिलाफ जेल विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने ही मोर्चा खोल दिया है. उन्होंने राज्य सरकार को पत्र लिखकर तीनों अफसरों को तत्काल हटाकर कहीं ओर पदस्थ करने की मांग की है.
इन नियमों का दिया हवाला
पहली बार जेल मुख्यालय के अधिकारियों ने वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोला है. उन्होंने विभाग के अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखा है. ये पत्र जेल डीआईजी संजय पांडेय, डीआईजी एमआर पटेल, डीआईजी डॉ, सुहेल अहमद, सेंट्रल जेल अधीक्षक दिनेश नारगावे, अधीक्षक अखिलेश तोमर, जेल विधि अधिकारी यूपी सिंह, जेल कार्यपालन यंत्री संजीव खरे ने संयुक्त रूप से लिखा है. जेल मुख्यालय में डीजी संजय चौधरी को मिलाकर चार आईपीएस अफ़सर हो रहे हैं. जबकि 2009 में जेल डीजी के बाद से नीचे की कड़ी में आईपीएस कैडर खत्म कर दिया गया था। जिस पद पर एडीजी पदस्थ हैं. वे पद डीआईजी पदोन्नति कर आईजी का होता है. पत्र में लिखा है कि जेल अफसरों की सुविधाओं में कटौती कर तीनों एडीजी सुधीर शाही, जीआर मीणा, एडीजी आशुतोष राय को संसाधन, गार्ड, ऑफिस, वेतन, कर्मचारी देना भारी पड़ रहा है.ये भी पढ़ें: पांच गांधीयों के साथ काम कर चुके कमलनाथ ने कहा- सोनिया गांधी ही रहें कांग्रेस की ‘कप्तान’
आईजी पद पर एडीजी
प्रदेश के जेल विभाग में मध्य प्रदेश जेल सेवा राजपत्रित भर्ती नियम-2002 एवं संशोधित नियम-2009 लागू हैं. इसके अनुसार जेल विभाग का विभागाध्यक्ष महानिदेशक जेल एवं सुधारात्मक सेवाएं होता है. वर्ष 2008 में शासन ने एक साल के लिए यानि 2009 तक के लिए आइजी का एक पद स्वीकृत किया था. इसके बाद यह पद समाप्त हो जाना चाहिए था, लेकिन इसे समाप्त करने की बजाए इसी पर एडीजी स्तर के अधिकारियों की पदस्थापना होती रही. पहले एक ही एडीजी की पदस्थापना की जाती रही, लेकिन इस बार पद से ज्यादा एडीजी पदस्थ कर दिए गए.
यह है विवाद की असली वजह
पूरे विवाद की असली वजह एडीजी स्तर की लम्बी फ़ौज है. एडीजी स्तर के अधिकारियों के बढ़ने की वजह से आईपीएस अफसरों के बीच में दो फाड़ हो गई है. प्रदेश में आईपीएस अफसरों की दो लॉबी काम करती है। यही कारण है कि अपनी लॉबी के अफसर को किसी भी विभाग में पदस्थ करने के लिए नियमों को तोड़ा जाता है और यही विवाद की वजह बनती है. पदोन्नति के साथ ही वरिष्ठ।आईपीएस अधिकारियों की फौज खड़ी हो गई है. वर्तमान में पुलिस महकमे में एक पुलिस महानिदेशक के अलावा 3 डीजी, 9 स्पेशल डीजी और 51 एडीजी हो गए हैं. जबकि विभाग में इनके लिए पद स्वीकृत नहीं है.