Some patients called the staff very bad, then they stopped work, then the patients who came from Ranapur remained standing outside. | कुछ मरीजों ने स्टाफ को भला बुरा कहा तो उन्होंने काम बंद कर दिया, तब राणापुर से आए मरीज बाहर ही खड़े रहे

Some patients called the staff very bad, then they stopped work, then the patients who came from Ranapur remained standing outside. | कुछ मरीजों ने स्टाफ को भला बुरा कहा तो उन्होंने काम बंद कर दिया, तब राणापुर से आए मरीज बाहर ही खड़े रहे


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झाबुआएक घंटा पहले

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  • कोविड केयर सेंटर बाड़कुंआ में अव्यवस्था: हंगामे के बाद पहुुंचे सिविल सर्जन ने स्टाफ को समझाया, लौटे काम पर

मंगलवार सुबह कोविड केयर सेंटर बाड़कुंआ के सभी कर्मचारियों ने काम बंद कर दिया। वो बाहर निकल गए और एक तरह से हड़ताल कर दी। तब अंदर भर्ती पौने दो सौ के करीब मरीज चिंता में आ गए। दरअसल कॉमन टॉयलेट की सफाई और यहां की व्यवस्थाओं को लेकर कुछ मरीजों और स्टाफ में कहासुनी हो गई थी। बात बढ़ी तो स्टाफ वालों ने काम बंद कर दिया। बाद में अफसरों ने समझाया तो काम पर लाैटे। कर्मचारियों का कहना था, हम परिवार से 3 महीने से दूर हैं। यहां जान खतरे में डालकर काम कर रहे हैं। ऐसे में कोई मक्कार कहकर दुर्व्यवहार करे तो बर्दाश्त नहीं होगा। बात सुबह 10 बजे के आसपास की है। स्टाफ वाले बाहर निकल गए तो मंगलवार को न मरीजों को काढ़ा मिला, न खाना समय पर मिल पाया। सफाई भी नहीं हुई और डस्टबीन में जमा कचरा वहीं पड़ा रह गया। दोपहर में राणापुर से 8-10 मरीजों को यहां लाया गया। इस उठापटक के कारण उन्हें दो घंटे बाहर ही खड़े रहना पड़ा। सिविल सर्जन भी यहां आए तब मामला शांत हुआ और मरीजों को भर्ती किया गया। स्टाफ वालों में से कुछ ने बताया, कुछ मरीज नर्सिंग एरिया तक आ गए।

न होती है सफाई, न देते हैं दवाई
सेंटर में भर्ती कुछ मरीज साफ कह रहे हैं कि सेंटर में सुविधाओं की कमी है। यहां डस्टबीन भरे पड़े हैं, उन्हें 3 दिन से खाली नहीं किया गया। गंदगी व भोजन व पैकेट कॉरिडोर में बिखरे पड़े हैं। लोग कोरिडोर में भी नहीं निकल पा रहे। घूम फिर भी नही सकते। कोई उपचार नहीं दिया जाता। दिन में स्टाफ नर्स दो बार आक्सीजन लेवल व थर्मल स्क्रीनिंग ले लेती हैं। इसका भी कोई रिकॉर्ड नहीं रखा जाता। कॉमन टॉयलेट है, जहां सफाई करने कोई नहीं आता। मरीज खुद सफाई करते हैं।

24 घंटे ड्यूटी देते हैं, अभद्रता नहीं सहेंगे
कर्मचारियों को मरीजों द्वारा की गई अभद्रता चुभ गई। उन्होंने काम बंद कर दिया। बोंले, घर परिवार से दूर रहकर 3 महीने से यहां सेवा दे रहे हैं। सब लोगों की आवश्यकता की पूर्ति करते हैं। उसके बाद भी कुछ मरीज अच्छा व्यवहार नहीं करते। कर्मचारियों को कहते हैं कि बैठे रहते हो दिनभर, शासन का पैसा खा रहे हो। जितने संसाधन हैं, उससे सबकी पूर्ति का पूरा प्रयास करते हैं। कई लोग बीड़ी, सिगरेट व तंबाकू के पाउच फेंक देते हैं। उन्हें इधर-उधर जाने की अनुमति नहीं है, फिर भी 5-6 मरीज नर्सिंग स्टेशन तक आ गए। हमारी सुरक्षा का क्या।

लेकिन इन सबमें परेशान मरीज ही हुए
काढ़ा नहीं मिला और खाने में देर हुई। राणापुर से 2 बार में लाए गए मरीजों को बाहर अपना सामान लेकर खड़े रहना पड़ा। काफी देर बाद सिविल सर्जन आए और उन्होंने इंट्री कराई। सुबह का नियमित चैकअप भी नहीं हुआ। सफाई नहीं हो पाई। सबकुछ शाम को हो पाया। पूरी सफाई तो नहीं हुई, डस्टबीन खाली किए गए। नर्सों ने नियमित जांच की।

दोनों को समझाया है, कुछ कमी है तो सुधरवाएंगे: सिविल सर्जन डॉ. बीएस बघेल ने बताया, कर्मचारी भवन से नीचे आ गए थे। उन्हें हिदायत दी है। उनसे कहा है, अगली बार ऐसा हो तो लिखित में संबंधित के नाम के साथ सूचना दें। मरीजों को भी समझाइश दी है। व्यवस्थाओं में खामी है तो उसे भी सुधरवाएंगे।

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