Indore Zoo; Music Therapy Being Given To Elephant Moti At Kamla Nehru Prani Sangrahalay | जू में गुस्सैल हाथी मोती को शांत करने दी जा रही म्यूजिक थैरेपी, कई दफा तोड़ चुका दीवार, हथिनी लक्ष्मी को पटका था, जिससे मौत हो गई थी

Indore Zoo; Music Therapy Being Given To Elephant Moti At Kamla Nehru Prani Sangrahalay | जू में गुस्सैल हाथी मोती को शांत करने दी जा रही म्यूजिक थैरेपी, कई दफा तोड़ चुका दीवार, हथिनी लक्ष्मी को पटका था, जिससे मौत हो गई थी


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इंदौर42 मिनट पहले

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मोती के गुस्से को शांत करने के लिए बाड़े में स्विमिंग पूल की भी व्यवस्था की गई है।

  • इंदौर चिड़ियाघर में 40 साल से भी ज्यादा समय से है मोती, कई सालों तक मोती ने लोगों का मनोरंजन किया
  • दिसंबर 2019 में चिड़ियाघर में 4 साल रही हथिनी लक्ष्मी को मोती ने पटक दिया था, जिससे उसकी मौत हो गई थी

कमला नेहरू प्राणी संग्रहालय में हाथी मोती का गुस्सा शांत होने का नाम ही नहीं ले रहा है। कई बार अपने बाड़े की दीवार ढहा चुके मोती को शांत करने के लिए जू प्रबंधन नित नए प्रयोग कर रहा है। इसी कड़ी में माेती को शांत करने के लिए प्रबंधन अब म्यूजिक थैरेपी का सहारा ले रहा है। मोती को रोज गाने सुनाए जा रहे हैं। मोती भी गानों को सुनने में रुचि दिखा रहा है। मोती के गुस्से का शिकार हथिनी लक्ष्मी हो चुकी है। मोती ने उसे जमीन पर पटक दिया था, जिससे उसकी मौत हो गई थी। लक्ष्मी के जाने के बाद मोती और हमलावर हो चुका है।

मोती के बाड़े में दिनभर लाइट म्यूजिक बजता रहता है।

मोती के बाड़े में दिनभर लाइट म्यूजिक बजता रहता है।

इंदौर जू प्रभारी और डॉक्टर उत्तम यादव ने बताया कि मोती के गुस्से को शांत करने के लिए कई प्रयोग किए गए हैं। अभी उसके बाड़े में जेसीबी, ट्रैक्टर, ट्रक और बसों के टायरों को रखवाया गया है, जिससे वह खेलता रहता है। खेल में लगे रहने से उसका गुस्सा थोड़ा कम रहता है। हाथी के बाड़े में म्यूजिक सिस्टम लगाया गया है, म्यूजिक सिस्टम के माध्यम से बांसुरी और अन्य प्रकार के वाद्य यंत्र को बजाया जा रहा है, ताकि हाथी मोती का दिमाग शांत किया जा सके। प्रभारी डॉ. यादव के अनुसार म्यूजिक थैरेपी आमतौर पर दिमाग को शांत करने के लिए बहुत अच्छी मानी जाती है। इसी को लेकर हाथी के दिमाग को शांत करने के लिए यह नवाचार किया गया है।

डॉक्टर उत्तम यादव और उनकी टीम लगातार मोती को शांत रखने की कोशिश में लगे रहते हैं।

डॉक्टर उत्तम यादव और उनकी टीम लगातार मोती को शांत रखने की कोशिश में लगे रहते हैं।

यादव ने बताया कि 1902 में महान वैज्ञानिक जगदीश चंद बासू ने पौधे के ऊपर म्यूजिक का प्रयोग किया था, जिसके रिजल्ट बहुत अच्छे आए थे। हम जानते हैं कि हमारे दिमाग पर म्यूजिक का इफेक्ट कितना ज्यादा होता है। जानवरों में भी म्यूजिक का प्रभाव बहुत होता है। कई जगह ये बातें साबित भी हुई हैं। जैसे डेयरी फार्म में कई गायों को म्यूजिक सुनाया जाता है तो उनमें दूध देने की क्षमता बढ़ जाती है। मोती के बर्ताव को देखते हुए हमने लाइट म्यूजिक की व्यवस्था उसके बाड़े में की है। हम उम्मीद करते हैं कि म्यूजिक सुनकर वह शांत रहेगा। इसके अलावा हमने उसके बाड़े में स्विमिंग पूल, मड बाथ बना रखा है। ये सभी व्यवस्थाएं उसके गुस्से को कम करने के लिए की है।

14 दिसंबर को हथिनी लक्ष्मी को पटक दिया था
14 दिसंबर 2019 को चिड़ियाघर में चार साल से रह रही हथिनी लक्ष्मी को मोती ने पटक दिया था, जिससे उसकी 24 दिसंबर को मौत हो गई थी। वह लक्ष्मी को पिंजरे में ही 25 फीट दूर तक घसीटते हुए ले गया था। लक्ष्मी की दोनों किडनी डैमेज हो चुकी थीं। लक्ष्मी की मौत के बाद से ही मोती गुस्से में नजर आ रहा है। चिड़ियाघर प्रभारी उत्तम यादव के मुताबिक हाथी की प्रजाति में उम्र के मुताबिक गुस्सा बढ़ता जाता है। माेती 40 साल से भी ज्यादा समय से इंदौर के चिड़ियाघर में रह रहा है। उसने सालों तक लोगों का मनाेरंजन किया है। उसे बचपन में ही यहां लाया गया था।

हाथी मोती को शांत रखना बड़ी चुनौती है।

हाथी मोती को शांत रखना बड़ी चुनौती है।

मोती ने पीठ में गाड़ दिए थे दांत, भीतर तक कर दिया था जख्मी
बताते हैं कि मोती ने लक्ष्मी की पीठे में दांत गड़ा दिए थे, जिससे वह लहूलूहान हो गई थी। सर्दी के कारण उसके इलाज में दिक्कतें भी आईं। जू प्रबंधन ने लक्ष्मी को तत्काल खुले बाड़े से बाहर निकालकर अलग रखा था। यहीं, महू के गवर्नमेंट वेटरनरी कॉलेज की टीम उसका इलाज कर रही थी। सामान्य तौर पर हथिनी की औसत आयु 60 से 70 वर्ष के बीच होती है, जबकि लक्ष्मी की आयु 40 वर्ष के आसपास थी। वह पूरी तरह स्वस्थ भी थी।

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