IIT इंदौर ने संस्कृत भाषा को लेकर एक अनूठी शुरुआत की है.
कोर्स दो पार्ट्स में होगा. पहले पार्ट के अंतर्गत हिस्सा लेने वालों के अंदर संस्कृत में बात करने की स्किल डेवलेप करनी होगी. यह उन लोगों के लिए होगा जिनके पास किसी भी तरह की संस्कृत में कोई जानकारी नहीं है.
दो भागों में होगा कोर्स
लेक्चर के बाद संस्कृत में चर्चा भी की जाएगी जिसमें संस्कृत के एक्स्पर्ट्स सहायता करेंगे. इसमें सभी प्रतिभागियों का हिस्सा लेना जरूरी होगा. इसमें हिस्सा लिए बिना सर्टिफिकेट नहीं दिया जाएगा. पार्ट-2 की तैयारी की जांच के लिए एक क्वालीफाइंग परीक्षा भी करवाई जाएगी. आईआईटी इंदौर के प्रोफेसर नीलेश कुमार जैन ने कहा कि संस्कृत काफी पुरानी भाषा है जिसका उपयोग आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस में किया जा रहा है और यह भविष्य की भाषा के तौर पर उभरने वाली है. उन्होंने कहा कि हम काफी खुश है कि हमने लोगों को इससे जोड़ने की शुरुआत की है. यह सिर्फ शौक लिए नहीं है बल्कि यह जरूरत है क्योंकि यह तकनीक से जुड़कर पेश की जा रही है.
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पूरे विश्व में सैकड़ों लोगों ने किया अप्लाई
आईआईटी इंदौर के प्रोफेसर डॉ. गांती एस मूर्ति जो कि इस कोर्स के को-ऑर्डिनेटर भी हैं उन्होंने कहा कि हमारे ज्यादातर भारतीय वैज्ञानिक ग्रंथ संस्कृत में हैं इसलिए इन टेक्स्ट्स को पढ़ने के उद्देश्य के साथ संस्कृत की जानकारी होना काफी महत्त्वपूर्ण है ताकि इस विरासत को बचाया जा सके. उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम का मूल उद्देश्य छात्रों को शास्त्रीय वैज्ञानिक विषयों का ज्ञान उनके वास्तविक रूप में उपलब्ध कराना है. उन्होंने कहा कि हमें काफी आश्चर्य हुआ पूरे विश्व से करीब 750 लोगों ने इसके लिए अप्लाई किया है. हम अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के सपोर्ट की वजह से काफी उत्साह का अनुभव कर रहे हैं.