First time Brahma Kamal feeding in Bhopal; Five years ago there was a ropa plant in the courtyard of the house, its importance in the Puranas also | भोपाल में खिला ब्रह्मकमल; पांच साल पहले घर के आंगन में पौधा रोपा था, पुराणों में भी इसका महत्व

First time Brahma Kamal feeding in Bhopal; Five years ago there was a ropa plant in the courtyard of the house, its importance in the Puranas also | भोपाल में खिला ब्रह्मकमल; पांच साल पहले घर के आंगन में पौधा रोपा था, पुराणों में भी इसका महत्व


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भोपाल32 मिनट पहले

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अति दुलर्भ और पुराणों के महत्व का यह ब्रह्मकमल भोपाल के तुलसी नगर के वीके पांडे के घर खिला।

  • रात को खिला, करीब एक फिट तक बड़ा हुआ
  • खिलने के बाद पूरा घर ही सुगंधित हो गया

अति दुर्लभ और पौराणिक महत्व का ब्रह्मकमल भोपाल में खिला है। तुलसी नगर में रहने वाले वीके पांडे ने इसे पांच साल पहले घर के आंगन में इसका पौधा रोपा था। उनके बेटे अनिरुद्ध ने बताया कि हिमालय में खिलने वाले इन फूलों के पौधों की काफी देखभाल करना पड़ती है। पांच साल के इंतजार के बाद इसमें 10 कलियां आई थीं, लेकिन उनमें से एक ही शनिवार रात खिल सकी। पूरे परिवार ने इसे देखा। कई परिचित भी इसे देखने आए।

वीके पांडे को इस फूल को खिलता देखने के लिए पांच साल का इंतजार करना पड़ा।

वीके पांडे को इस फूल को खिलता देखने के लिए पांच साल का इंतजार करना पड़ा।

शाम करीब साढ़े 7 बजे यह खिलना शुरू हुआ। करीब ढाई घंटे बाद यह पूरी तरह खिल गया। इसके बाद पूरे घर में उसकी सुगंध फैल गई। यह खिलकर करीब एक फिट तक बड़ा हो गया। इस दुर्लभ फूल की सुंदरता देखते ही बन रही थी। इधर, कोटरा सुल्तानाबाद में रहने वाले अशोक शुक्ला के घर पर में एक साथ 4 फूल खिले। उन्होंने बताया कि यह करीब 3 से लेकर 4 घंटे पूरी तरह खिलता है।

कोटरा सुल्तानाबाद में रहने वाले अशोक शुक्ला के घर पर में एक साथ 4 फूल खिले।

कोटरा सुल्तानाबाद में रहने वाले अशोक शुक्ला के घर पर में एक साथ 4 फूल खिले।

सिर्फ रात को खिलता है
यह हिमालय की वादियों में मिलता है। इसका नाम है ब्रह्मकमल। यह फूल तीन हजार मीटर की ऊंचाई पर सिर्फ रात में खिलता है। सुबह होते ही इसका फूल बंद हो जाता है। इसे देखने दुनियाभर से लोग वहां पहुंचते हैं। इसे उत्तराखंड का राज्य पुष्प भी कहते हैं। ब्रह्मकमल को अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग नामों से जाना जाता है। उत्तरखंड में ब्रह्मकमल, हिमाचल में दूधाफूल, कश्मीर में गलगल और उत्तर-पश्चिमी भारत में बरगनडटोगेस कहा जाता है।

कोटरा सुल्तानाबाद में रहने वाले अशोक शुक्ला के घर पर में खिला ब्रह्मकमल फूल।

कोटरा सुल्तानाबाद में रहने वाले अशोक शुक्ला के घर पर में खिला ब्रह्मकमल फूल।

औषधीय गुणों के कारण संरक्षित प्रजाति में रखा गया है
ब्रह्मकमल हिमालय के उत्तरी और दक्षिण-पश्चिम चीन में पाया जाता है। बदरीनाथ, केदारनाथ के साथ ही फूलों की घाटी, हेमकुंड साहिब, वासुकीताल, वेदनी बुग्याल, मद्महेश्वर, रूप कुंड, तुंगनाथ में ये फूल मिलता है। धार्मिक और प्राचीन मान्यता के अनुसार ब्रह्मकमल को भगवान महादेव का प्रिय फूल माना गया है। इसका नाम उत्पत्ति के देवता ब्रह्मा के नाम पर दिया गया है। इसकी सुंदरता और औषधीय गुणों के कारण ही इसे संरक्षित प्रजाति में रखा गया है। कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के इलाज में ब्रह्मकमल को काफी मुफीद माना जाता है। यह भी कहा जाता है घर में भी ब्रह्मकमल रखने से कई दोष दूर होते हैं।

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