PM declares September as ‘Nutrition Month’ | पीएम ने सितंबर को ‘पोषण माह’ के रूप में मनाने का किया ऐलान , बोलें- छात्रों की क्षमता प्रदर्शित करने में बड़ी भूमिका निभाता है पोषण, सार्वजनिक भागीदारी से इसे सफल बनाएं

PM declares September as ‘Nutrition Month’ | पीएम ने सितंबर को ‘पोषण माह’ के रूप में मनाने का किया ऐलान , बोलें- छात्रों की क्षमता प्रदर्शित करने में बड़ी भूमिका निभाता है पोषण, सार्वजनिक भागीदारी से इसे सफल बनाएं


23 मिनट पहले

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  • पोषण महीने के दौरान, MyGov पोर्टल पर आयोजित होगा भोजन और पोषण क्विज
  • स्कूलों में जागरूकता बढ़ाने के लिए क्लास मॉनिटर की तरह शुरू हो न्यूट्रिशन मॉनिटर

रविवार को रेडियो कार्यक्रम मन की बात के दौरान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने पौष्टिक आहार के महत्व के बारे में बात करते हुए, सितंबर को “पोषण माह” के रूप में मनाने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि “हमारे बच्चों और छात्रों की क्षमता प्रदर्शित करने में सही पोषण बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं।

“पोषण महीने के दौरान, MyGov पोर्टल पर भोजन और पोषण क्विज आयोजित किया जाएगा। इसके अलावा इस दौरान एक मीम प्रतियोगिता भी होगी। इसमें खुद भाग लेने के साथ ही दूसरों को हिस्सा लेने के लिए प्रेरित करना चाहिए। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि पोषण के बारे में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है।

न्यूट्रिशन मॉनिटर की हो शुरुआत
प्रधानमंत्री ने कहा कि एक कहावत है- यथा अन्नम तथा मन्नम है, यानी कि हमारा मानसिक और बौद्धिक विकास सीधे हमारे भोजन सेवन की गुणवत्ता से जुड़ा होता है। ऐसे में पोषण के बारे में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है। स्कूलों में जागरूकता बढ़ाने के लिए क्लास मॉनिटर की तरह न्यूट्रिशन मॉनिटर की भी शुरुआत की जानी चाहिए। उन्होंने गर्भवती महिलाओं के लिए पौष्टिक आहार के महत्व के बारे में भी बात की।

जन आंदोलन में परिवर्तित हो भागीदारी

प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि विशेषज्ञों के मुताबिक गर्भ में और बचपन के दौरान बच्चे के लिए बेहतर पोषण से उनका मानसिक विकास बेहतर होगा और वे स्वस्थ रहेंगे। बच्चों के लिए पोषण सुनिश्चित करने के लिए, माँ को भी पूर्ण पोषण मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि पोषण के इस आंदोलन में लोगों की भागीदारी भी बहुत महत्वपूर्ण है। यह सार्वजनिक भागीदारी है जो इसे सफल बनाती है। हमारे देश में पिछले कुछ वर्षों के दौरान इस दिशा में काफी प्रयास किए गए हैं। विशेष रूप से हमारे गांवों में, इसे सार्वजनिक भागीदारी के साथ एक जन आंदोलन में परिवर्तित किया जा रहा है।

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