सुप्रीम कोर्ट ने महाकालेश्‍वर मंदिर में शिवलिंग के संरक्षण के दिए निर्देश | ujjain – News in Hindi

सुप्रीम कोर्ट ने महाकालेश्‍वर मंदिर में शिवलिंग के संरक्षण के दिए निर्देश | ujjain – News in Hindi


नई दिल्‍ली. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में मंगलवार को उज्‍जैन (Ujjain) के महाकालेश्‍वर मंदिर (Mahakaleshwar Temple) को लेकर अहम सुनवाई हुई. जस्टिस अरुण मिश्रा ने सुनवाई के दौरान मंदिर प्रबंध समिति निर्देश दिया कि महाकालेश्‍वर मंदिर में शिवलिंग (Shivling) को संरक्षण दिया जाए. ऐसा इसलिए क्‍योंकि शिवलिंग का क्षरण हो रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला एक याचिका पर सुनाया है, जिसमें शिवलिंग के क्षरण का हवाला देकर गर्भगृह में प्रवेश पर रोक लगाने की मांग की गई थी.

महाकालेश्‍वर ज्योतिर्लिंग के क्षरण मामले में सुनवाई में जस्टिस अरुण मिश्रा ने फैसला सुनाने के बाद कहा कि शिव की कृपा से यह भी फैसला हो गया. बता दें कि यह जस्टिस अरुण मिश्रा की ओर से सुनाया गया आखिरी फैसला था. बुधवार को उनका कार्यकाल खत्‍म हो रहा है. वह 2 सितंबर को रिटायर हो रहे हैं. फिलहाल महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के संरक्षण को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने अहम दिशा निर्देश जारी किए हैं

शिवलिंग के संरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट के अहम दिशा निर्देश-

1. शिवलिंग पर कोई रगड़ नहीं किया जाना चाहिए2. किसी भी भक्त को शिवलिंग को रगड़ने की अनुमति नहीं है

3. दही, घी और शहद का घिसना भी बंद कर देना चाहिए और केवल शुद्ध दूध शिवलिंग पर डालना चाहिए.

4. यदि पुजारी या पुरोहित द्वारा कोई उल्लंघन करता हुआ पाया जाता है, तो मंदिर समिति उनके खिलाफ कार्रवाई करेगी

5. मंदिर समिति अपने संसाधनों और शुद्ध पानी से शुद्ध दूध उपलब्ध कराएगी

6. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि रुड़की की सम्बंधित विभाग 6 महीने के भीतर डिटेल रिपोर्ट दखिल करेगी.

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने फैसला रखा था सुरक्षित
बता दें कि ज्योतिर्लिंग क्षरण का मामला सुप्रीम कोर्ट में अप्रैल 2017 से कोर्ट में चल रहा है. याचिकाकर्ता सारिका गुरु की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने विशेषज्ञों की एक कमेटी का गठन कर मंदिर का निरीक्षण करवाया था. कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी ने ज्योतिर्लिंग का क्षरण रोकने के लिए मंदिर समिति को सुझाव दिए थे. इसमें शिवलिंग का अभिषेक आरओ जल से करने, पूजन सामग्री सीमित मात्रा में उपयोग करने जैसे कई सुझाव शामिल थे.

सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी से मांगी थी रिपोर्ट
आपको बता दें कि मई 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर समिति को विशेषज्ञ कमेटी के सुझावों का पालन करने का आदेश दिया था. साथ ही यह भी कहा था कि इस मामले की फिर से समीक्षा की जाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर समिति से एक रिपोर्ट तलब की थी. 25 अगस्त को महाकाल मंदिर समिति की ओर से रिपोर्ट कोर्ट में पेश की गई.

गर्भगृह में प्रवेश पर रोक लगाने की मांग
दरअसल पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ता की ओर से भी कोर्ट पक्ष रखे गए. इसमें ज्योतिर्लिंग का क्षरण रोकने के लिए महाकाल मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश पूरी तरह रोक लगाने की मांग की गई है. आम दिनों में सभी श्रद्धालुओं को महाकाल मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश दिया जाता है. इन दिनों कोरोना संक्रमण के कारण पिछले पांच महीने से गर्भगृह में प्रवेश पूरी तरह बंद है.





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