कांग्रेस ने मामले में प्रदेश शिवराज सरकार पर निशाना साधा है. फाइल फोटो.
केंद्र सरकार (Central Government) ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में 30 जुलाई से 2 अगस्त के बीच में 32 सैंपल चावल के लिए गए थे. इसमें कुछ सैंपल वेयरहाउस और कुछ सैंपल राशन दुकानों से लिए गए थे.
लैब की रिपोर्ट में बताया गया है कि सभी सैंपल ह्यूमन कंजंमशन के योग्य नहीं थे, जो चावल सप्लाई किया गया वहां पोल्ट्री ग्रेड का था. केंद्र की रिपोर्ट के खुलासे के बाद प्रदेश में सियासत गरमा गई है. एमपी कांग्रेस ने प्रदेश की बीजेपी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि राज्य सरकार ने कोरोना संक्रमण काल के दौरान गरीबों को घटिया चावल देने का काम किया है, जो कि जानवरों के खाने लायक था. कांग्रेस ने इस पूरे मामले में उच्च स्तरीय जांच की मांग कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.
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भ्रष्टाचार के आरोपकांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने कहा है कि इस पूरे मामले में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और गड़बड़ी होना सामने आया है. ऐसे में सरकार को जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए और साथ ही यह बताना चाहिए कि पूरे प्रदेश में कहां कहां पर पोल्ट्री ग्रेड का चावल बांटा गया है. वहीं बीजेपी ने भी जवाबी हमला बोला है. राशन दुकान से गरीबों को पोल्ट्री ग्रेड का चावल बांटे जाने के कांग्रेस के आरोप पर बीजेपी ने कहा है कि बीते 15 महीने में कांग्रेस सरकार के समय का यह पूरा मामला है. पिछली कांग्रेस सरकार ने भंडारण से लेकर राशन वितरण तक की व्यवस्था की थी, जिसमें सच अब खुलकर सामने आ रहा है. इस पूरे मामले में बीजेपी राज्य सरकार से उच्च स्तरीय जांच की मांग करेगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी.