भोपालएक मिनट पहले
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राजस्व न्यायालयों में लंबित प्रकरणों की संख्या
- अभी सीमांकन से जुड़े विवाद व बंटवारे के मामले में अलग-अलग जमा होती थी फीस
- 59 साल पुराने नियमों के हिसाब से हो रहा था मामलों का निपटारा
- भोपाल में ही राजस्व न्यायालयों में 25 हजार मामले लंबित हैं।
राजस्व न्यायालयों कमिश्नर, कलेक्टर, अपर कलेक्टर, एसडीएम व तहसीलदार के यहां डायवर्सन, नामांतरण, बंटवारे, सीमांकन और अवैध कब्जों के मामलों की सुनवाई (प्रत्येक प्रकरण) की फीस अब 100 रुपए होगी। प्रदेश में राजस्व न्यायालयों की संख्या 500 के लगभग है। अब तक सीमांकन से जुड़े विवाद व बंटवारे के मामलों में आवेदन की फीस अलग-अलग होती थी। प्रकरणों के निपटारे में पांच साल तक का समय लग जाता था। यह फीस बैंकों द्वारा कुर्क की जाने वाली संपत्ति में भी लागू होगी।
नई व्यवस्था के अनुसार जमीन से संबंधित विवादों के मामले में आवेदक को एक बार निर्धारित फीस जमा करनो होगी उसके बाद उसके बाद किसी स्तर पर भी फीस जमा नहीं करना होगी। प्रदेश के विभिन्न राजस्व न्यायालयों में 5 लाख से ज्यादा मामले लंबित हैं। हर महीने इनमें बड़े जिलों में 5 हजार और छोटे जिलों में 1000 प्रकरणों तक की वृद्धि हो जाती है। इनमें कमी लाने के लिए प्रक्रिया को सरल किया गया है। अभी तक मामले की सुनवाई में हर स्तर पर अलग से फीस जमा करनी पड़ती थी और मामलों में सुनवाई की तारीख लंबी मिलती थी जिससे लोगों के जमीन से संबंधित विवादों के निपटारे में लंबा समय लग जाता था।
आसान की गई है प्रक्रिया, लाेगों को होगा फायदा
राजस्व, अपर सचिव, श्रीकांत पांडे ने कहा कि प्रदेश के राजस्व न्यायालयों में प्रकरणों का जल्दी निपटारा हो। इसके लिए प्रक्रिया आसान की गई है। सामान्यत: जमीनों के विवादों से संबंधित मामलों में एक बार ही फीस जमा करना होगी। ऐसा करने से पक्षकारों को परेशान नहीं होना पड़ेगा। लोगों कोे सीमांकन और बंटवारे संबंधी प्रकरणों मे भी इससे काफी आसानी होगी।
यह थी अब तक प्रचलित प्रक्रिया

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