मध्य प्रदेश में कर्मचारियों का प्रदर्शन.
अधिकारी कर्मचारियों ने मंत्रालय के सामने जमकर प्रदर्शन (Protest) किया. तब पुलिस ने हल्का बल प्रयोग कर उन्हें वहां से खदेड़ा.
मालूम हो कि मध्य प्रदेश में 259 मंडियों, 298 उप मंडियों, 13 तकनीकी संभाग, 7 आंचलिक कार्यालय के हजारों की संख्या में अधिकारी कर्मचारी अनिश्चित हड़ताल पर हैं. मंडी को लेकर बने नए मॉडल एक्ट के विरोध के लिए प्रदेशभर की मंडी के अधिकारी कर्मचारी राजधानी भोपाल पहुंचे. संयुक्त कर्मचारी मोर्चा के अध्यक्ष बीबी फौजदार ने बताया कि मॉडल 18 से अधिकारी कर्मचारियों के साथ किसान हम्माल तुलावटी का नुकसान होगा. मंडियों का निजीकरण हो जाएगा और बड़े लोगों और प्राइवेट कंपनियों को इसका सीधा फायदा होगा, इसलिए सरकार को चाहिए कि इस एक्ट को वापस ले लें. इससे किसी का भला नहीं होगा.
इसलिए किया विरोध…
फौजदार ने बताया कि मॉडल एक्ट कृषि उपज मंडी अधिनियम 1972 के विपरीत है. अधिनियम 1972 में किसानों को दलालों, आढ़तियों के शोषण से मुक्त रहने के लिए कड़े प्रावधान के साथ बनाया गया था. इसका उद्देश्य किसानों को उनकी कृषि उपज का उचित मूल्य दिलाना था. मॉडल एक्ट में बड़े व्यापारी, निजी कंपनी को सुविधा दी गई है. मॉडल एक्ट 2020 के अंतर्गत निजी मंडी, उपज मंडी, यार्ड के प्लेटफार्म और सीधे उपार्जन की व्यवस्था की गई है, जिससे आदिवासी क्षेत्रों में छोटे और मझोले किसानों के लिए दिक्कत होगी.ये भी पढ़ें: नोएडा के मेडिसिन पार्क में इंटरटेनमेंट के साथ मिलेगा नॉलेज, खुद बोलेंगे महर्षि चरक!
एक कर्मचारी नेता के साथ मारपीट
मंत्रालय के पास जब सभी अधिकारी कर्मचारी वेट कर प्रदर्शन करने लगे. उसी दौरान पुलिस अधिकारियों ने उन्हें जाने की चेतावनी दी. इस दौरान एक कर्मचारी नेता अनाउंसमेंट करने लगा. इसी बात से नाराज होकर पुलिस की टीम ने उस नेता को अपनी कस्टडी में ले लिया और उसके साथ मारपीट की. हालांकि वहां पर दूसरे कर्मचारी नेता पहुंचे और पुलिस से बातचीत के बाद मामले को शांत किया. इसी दौरान जब बाकी के कर्मचारी उग्र हुए और सभी मंत्रालय की तरफ जाने लगे, तो पुलिस ने उन पर हल्का बल प्रयोग किया.